जबलपुर। केंद्रीय संस्थानों के निजीकरण का दौर शुरू हो गया है. पहले रेलवे ने 109 ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपा, उसके बाद अब कोल माइंस का भी निगमीकरण किया गया है, जो ये बताता है कि आने वाले समय में देश के तमाम केंद्रीय संस्थान निजी हाथों में होंगे. कोल माइंस का निगमीकरण होने का केंद्रीय सुरक्षा संस्थान के कर्मचारियों ने विरोध किया है.
केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
देश की सभी 41 फैक्ट्रियों सहित जबलपुर की चारों ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों में केंद्र सरकार के खिलाफ कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया और आयुध निर्माणी खमरिया के बाहर कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए. कर्मचारियों का कहना है कि, कोरोना वायरस संक्रमण की आड़ में केंद्र सरकार एक-एक करके तमाम सरकारी संस्थानों को निजी हाथों में सौंप रही है. केंद्र सरकार ने पहले 109 ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपा, उसके बाद कोल माइंस का निगमीकरण किया गया. कर्मचारियों ने कहा कि, आने वाले समय में ये देखा जा सकता है कि, देश की केंद्रीय सुरक्षा संस्थाएं सेना को गोला बारूद, वाहन, गन बना कर देती है वह भी निजी हाथों में होगी.
कर्मचारी नेता अरूण दुबे ने बताया कि, अंग्रेजों के दौर से चली आ रही केंद्रीय सुरक्षा संस्थान जिससे कि लाखों मजदूरों को रोजगार मिला है. अब वे निजी हाथों में जाने को तैयार हैं. केंद्र सरकार जानबूझकर सुरक्षा संस्थानों की साख गिरा रही है. जिससे कि ये तमाम फैक्ट्रियां निजी हाथों में चली जाएं. कहा जा सकता है कि, ये सरकार का एक बड़ा षड्यंत्र है.
केंद्र सरकार को कर्मचारियों की चेतावनी
कोल माइंस को निगमीकरण करने के बाद अब कर्मचारियों का आक्रोश केंद्र सरकार के खिलाफ फूटने लगा है. जबलपुर में कर्मचारियों ने प्रदर्शन के दौरान चेतावनी दी है कि, अगर मोदी सरकार ने अपना निर्णय वापस नहीं लिया, तो आने वाले समय में देश की 41 सुरक्षा संस्थानों के तमाम कर्मचारी एक साथ होकर उग्र आंदोलन करेंगे. कर्मचारियों का आरोप है कि, कोविड-19 जैसी महामारी के बीच केंद्रीय संस्थानों का निगमीकरण करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.