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नर्मदा का आशीर्वाद फिर भी 'प्यासी संस्कारधानी', बूंद-बूंद को तरसते लोग, अनदेखी की है ये कहानी...

जबलपुर में पेयजल संकट से नागरिकों को राहत दिलाने के लिए शुरू की गई करोड़ों की अमृत योजना में पानी की तरह रुपए तो बहा दिए गए, लेकिन शहरवासियों की प्यास नहीं बुझ पा रही है. लोगों को पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

Drinking water crisis in Jabalpur
जबलपुर में पेयजल संकट
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Published : Jul 31, 2020, 12:23 AM IST

जबलपुर। नर्मदा किनारे बसे जबलपुर शहर में गर्मी हो या ठंड हर मौसम में पानी के लिए जनता को तरसना पड़ता है. जनता के लिए नगर निगम ने समूचे शहर में अमृत योजना के तहत पानी की 16 टंकियां बनवाई. लोगों को लगा कि अब अमृत योजना के तहत बनी पानी की टंकियों से अमृत बरसेगा, पर बीते कई सालों से बनी इन पानी की टंकियों में पानी की एक बूंद तक नहीं आया है, नगर निगम ने एक बार फिर जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

जबलपुर में पेयजल संकट

अमृत योजना के तहत बनी 16 टंकियां

केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत नगर निगम ने शहर के अलग-अलग वार्ड में पानी की 16 बड़ी टंकी बनवाई, अगर ये पानी की टंकी शुरू हो जाती हैं, तो कहा जा सकता है कि आने वाले समय में जबलपुर शहर में पानी की किल्लत काफी हद तक दूर हो जाएगी. लेकिन असल में बीते 3 सालों से तैयारपानी की टंकी सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह गई हैं. चाहे लोकसभा चुनाव हो विधानसभा चुनाव हो या फिर नगर निगम का. हर चुनाव में राजनेता पानी को मुद्दा बनाकर सामने आते हैं और जैसे ही चुनाव हो जाता है तो फिर यही राजनेता जनता की समस्याओं को भूल जाते हैं.

स्थानीय निवासी सोनू दुबे बताते हैं कि प्रशासन के करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी तैयार खड़ी पानी की टंकियां सिर्फ सफेद हाथी बन गई हैं, पानी की टंकियों को सिर्फ वोट पाने के लिए ही नेता याद करते हैं. यही वजह है कि जबलपुर शहर की जनता को आज भी पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

शहर-शहर घूम कर भरना पड़ता है पानी

लाला लाजपत राय वार्ड में रहने वाली अंजनी सोनी बताती हैं कि उन्हें पानी के लिए सुबह-शाम साइकिल पर डिब्बे लेकर घूमना पड़ता है, इसकी एक वजह ये भी है कि जो नल घर के पास लगे हुए हैं उनमें सप्ताह में कभी-कभार ही पानी आता है, आए दिन पानी की मोटर खराब हो जाती है, ये बहाना बनाकर नगर निगम के अधिकारी भी शांत बैठ जाते हैं, ऐसे में पूरे क्षेत्र में घूम-घूम कर लोगों को पानी भरना पड़ रहा है. ऐसा नहीं है कि ये हालात सिर्फ शहर के एक वार्ड के हों, अमूमन शहर के हर वार्ड की यही कहानी है. लोगों का ये भी कहना है कि नगर निगम टैक्स तो पानी का पूरा वसूल करता है, लेकिन पानी की उपलब्धता करवाने में वो पूरी तरह से फेल है.

निगम अधिकारियों के खोखले दावे

नगर निगम में पदस्थ कार्यपालन यंत्री पुरुषोत्तम तिवारी का कहना है कि अमृत योजना के तहत जबलपुर शहर में 16 टंकियां 150 करोड़ में बनाई गईं हैं, निगम का दावा है कि अगस्त महीने के पहले हफ्ते से ही पानी की टंकियों से पूरे शहर में पानी उपलब्ध करवाया जाएगा.

अमृत योजना के तहत बनी टंकियों पर एक नजर

  • शहरी नवीकरण परिवर्तन मिशन योजना के तहत बनी हैं शहर में 16 पानी की टंकियां.
  • पानी की टंकियों को बनाने में कुल 150 करोड़ रुपए हुए हैं खर्च.
  • पनागर विधानसभा में सात, कैंट में चार,बरगी में एक, पूर्व में एक, पश्चिम में दो और उत्तर मध्य विधानसभा में एक पानी की टंकियां बनवाई गईं हैं.
  • जुलाई महीने में 7 पानी की टंकी शुरू करने का निगम ने दावा किया था, जो पूरा नहीं हो सका है.

जबलपुर नगर निगम भले ही शहर में पानी की समस्या दूर करने का लाख दावा कर रहा हो पर वर्तमान में उनके तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं. क्योंकि अभी तक तो पानी का मुद्दा वोट बैंक रहा है.

जबलपुर। नर्मदा किनारे बसे जबलपुर शहर में गर्मी हो या ठंड हर मौसम में पानी के लिए जनता को तरसना पड़ता है. जनता के लिए नगर निगम ने समूचे शहर में अमृत योजना के तहत पानी की 16 टंकियां बनवाई. लोगों को लगा कि अब अमृत योजना के तहत बनी पानी की टंकियों से अमृत बरसेगा, पर बीते कई सालों से बनी इन पानी की टंकियों में पानी की एक बूंद तक नहीं आया है, नगर निगम ने एक बार फिर जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

जबलपुर में पेयजल संकट

अमृत योजना के तहत बनी 16 टंकियां

केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत नगर निगम ने शहर के अलग-अलग वार्ड में पानी की 16 बड़ी टंकी बनवाई, अगर ये पानी की टंकी शुरू हो जाती हैं, तो कहा जा सकता है कि आने वाले समय में जबलपुर शहर में पानी की किल्लत काफी हद तक दूर हो जाएगी. लेकिन असल में बीते 3 सालों से तैयारपानी की टंकी सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह गई हैं. चाहे लोकसभा चुनाव हो विधानसभा चुनाव हो या फिर नगर निगम का. हर चुनाव में राजनेता पानी को मुद्दा बनाकर सामने आते हैं और जैसे ही चुनाव हो जाता है तो फिर यही राजनेता जनता की समस्याओं को भूल जाते हैं.

स्थानीय निवासी सोनू दुबे बताते हैं कि प्रशासन के करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी तैयार खड़ी पानी की टंकियां सिर्फ सफेद हाथी बन गई हैं, पानी की टंकियों को सिर्फ वोट पाने के लिए ही नेता याद करते हैं. यही वजह है कि जबलपुर शहर की जनता को आज भी पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

शहर-शहर घूम कर भरना पड़ता है पानी

लाला लाजपत राय वार्ड में रहने वाली अंजनी सोनी बताती हैं कि उन्हें पानी के लिए सुबह-शाम साइकिल पर डिब्बे लेकर घूमना पड़ता है, इसकी एक वजह ये भी है कि जो नल घर के पास लगे हुए हैं उनमें सप्ताह में कभी-कभार ही पानी आता है, आए दिन पानी की मोटर खराब हो जाती है, ये बहाना बनाकर नगर निगम के अधिकारी भी शांत बैठ जाते हैं, ऐसे में पूरे क्षेत्र में घूम-घूम कर लोगों को पानी भरना पड़ रहा है. ऐसा नहीं है कि ये हालात सिर्फ शहर के एक वार्ड के हों, अमूमन शहर के हर वार्ड की यही कहानी है. लोगों का ये भी कहना है कि नगर निगम टैक्स तो पानी का पूरा वसूल करता है, लेकिन पानी की उपलब्धता करवाने में वो पूरी तरह से फेल है.

निगम अधिकारियों के खोखले दावे

नगर निगम में पदस्थ कार्यपालन यंत्री पुरुषोत्तम तिवारी का कहना है कि अमृत योजना के तहत जबलपुर शहर में 16 टंकियां 150 करोड़ में बनाई गईं हैं, निगम का दावा है कि अगस्त महीने के पहले हफ्ते से ही पानी की टंकियों से पूरे शहर में पानी उपलब्ध करवाया जाएगा.

अमृत योजना के तहत बनी टंकियों पर एक नजर

  • शहरी नवीकरण परिवर्तन मिशन योजना के तहत बनी हैं शहर में 16 पानी की टंकियां.
  • पानी की टंकियों को बनाने में कुल 150 करोड़ रुपए हुए हैं खर्च.
  • पनागर विधानसभा में सात, कैंट में चार,बरगी में एक, पूर्व में एक, पश्चिम में दो और उत्तर मध्य विधानसभा में एक पानी की टंकियां बनवाई गईं हैं.
  • जुलाई महीने में 7 पानी की टंकी शुरू करने का निगम ने दावा किया था, जो पूरा नहीं हो सका है.

जबलपुर नगर निगम भले ही शहर में पानी की समस्या दूर करने का लाख दावा कर रहा हो पर वर्तमान में उनके तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं. क्योंकि अभी तक तो पानी का मुद्दा वोट बैंक रहा है.

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