जबलपुर। प्रदेश सहित पूरे देश में कोरोना माहमारी ने लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, जहां एक ओर कोरोना माहमारी का डर तो वहीं दूसरी ओर रोजी-रोटी की चिंता सता रही है. हालात तो यहां तक आ गए थे कि लोगों को अस्पतालों में बिस्तर मिलना भी मुश्किल हो रहा था तो ऐसे में प्रदेश के कई होटल और स्कूलों को कोविड केयर सेंटर बना दिया गया, जिसमें अस्पताल और डॉक्टरों की मनमानी चल रही है.
होटल के साथ गोदामों को बनाया कोविड सेंटर
जबलपुर में जब अस्पतालों में कोरोना वायरस प्रभावित मरीजों को बिस्तर मिलने में समस्या होने लगी तो प्रशासन ने ही एक सुझाव दिया था कि शहर के होटलों को भी कोविड सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. जिन लोगों को कम समस्या है उन मरीजों को यहां रखा जा सकता है. प्रशासन के इसी छूट का फायदा उठाकर अब डॉक्टरों ने होटलों को तो दूर गोदामों को भी कोविड-19 सेंटर में तब्दील करना शुरू कर दिया है. जबलपुर के विजयनगर इलाके में दवा की एक गोदाम खाली पड़ी था, यहां से लगभग 5 किलोमीटर दूर विकास नाम के एक अस्पताल में इस गोदाम को किराए पर लिया और इसमें कोविड-19 का सेंटर बना दिया है.
रिहायशी इलाकों में संक्रमण का डर
आपको बता दें कि यह गोदाम एक रिहायशी इलाके में है और आसपास के लोगों का कहना है कि गोदाम के कोविड-19 सेंटर में तब्दील होने की वजह से बहुत परेशानी हो रही है. इस सेंटर से निकलने वाला मेडिकल वेस्ट उसी कचरा गाड़ी में डाला जाता है, जिसमें बाकी घरों का कचरा इकट्ठा होता है. जाहिर सी बात है कि अस्पताल से निकलने वाले कचरे में कोरोना वायरस के मरीजों का कचरा भी शामिल है, इससे पूरे इलाके में कोरोना वायरस फैलने की संभावना है.
लोगों ने बाहर निकलना किया बंद
आस-पास के लोगों का कहना है कि कोविड सेंटर के आस पड़ोस की दुकानों पर बिक्री पूरी तरह से बंद हो गई है. सेंटर में भर्ती मरीजों के परिजन आस-पास की दुकानों से ही चीजें खरीद रहे हैं, जिससे लोग डरे हुए हैं. वहीं सामने ही चौपाटी है जिस पर अब लोगों ने आना जाना बंद कर दिया है. व्यवसायियों का कहना है कि प्रशासन को ऐसे सेंटरों को बंद करवाना चाहिए. अमूमन यही हालात शहर के दूसरे सेंटर के आस-पास भी हैं.
सुविधाओं के नाम पर केवल बेड
अगर इस कोविड सेंटर में सुविधाओं की बात करें तो सुविधा के नाम पर सेंटर में केवल बेड हैं. इस गोदाम में ना तो ऑक्सीजन की सुविधा है और ना ही डॉक्टर की. वहीं इसके ठीक पास में रहने वाले कुछ परिवारों में बुजुर्ग हैं और बच्चे हैं, इन लोगों का कहना है कि वह क्या करें उनकी समझ में नहीं आ रहा है. यहां अब डर लगता है, पता नहीं कब संक्रमण हमारी ओर आ जाए.
कमाई का जरिया बना कोविड सेंटर एक्सटेंशन
यह हाल केवल एक सेंटर का नहीं है, बल्कि शहर के कई बंद पड़े होटल यहां तक कि बारात घरों में भी अस्पतालों ने एक्सटेंशन बना लिया है और इसमें 5 हजार से लेकर 15 हजार रुपए तक की कमाई की जा रही है. इलाज के नाम पर यहां कोई सुविधाएं नहीं है, लेकिन सरकारी अस्पताल की अव्यवस्था और निजी अस्पतालों के महंगे बिलों से डरे लोग इन्हीं में अपना इलाज करवा रहे हैं.