जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा है कि किसी निजी स्थान या निवास में पार्टी करना और शराब का सेवन अपराध की कैटेगिरी में नहीं आता. जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने कहा कि आज के दौर में युवकों के एकत्रित होकर पार्टी करना आम बात है. उन पर कोई पाबंदी नहीं लगाई जा सकती. दरअसल, कोर्ट शरखोरी के मामले में सुनवाई कर रही थी.
दरअसल, जबलपुर हाईकोर्ट बेंच गोरखपुर के भसीन आर्केड में शराबखोरी और कोलाहल अधिनियम के तहत 10 युवकों के खिलाफ दर्ज प्रकरण को निरस्त कर दिया. न्यायालय ने अदालत में प्रस्तुत चालान और आगे की कार्रवाई भी निरस्त कर दी. क्योंकि 27 दिसंबर 2022 को गोरखपुर पुलिस ने एक फ्लैट में तेज आवाज में साउंड बजाने की शिकायत पर मौके पर दबिश दी थी. यहां पुलिस ने कार्रवाई करते हुए, शराब की बोतले जप्त की, और रजिन्दर सिंह राजपूत सहित दस युवकों के खिलाफ आबकारी अधिनियम और कोलाहल अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया था.
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पुलिस ने कोर्ट में क्यो बताया: पुलिस ने पाया था कि युवक युवतियों ने शराब का सेवन किया हुआ था. मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि व्यक्तिगत दुर्भावना के तहत शिकायत की गई थी. पार्टी के दौरान संतुलित आवाज में म्यूजिक बजाया जा रहा था. सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने उक्त मत के साथ दर्ज प्रकरण को निरस्त कर दिया. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता संजय अग्रवाल ने पक्ष रखा. इसके बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि युवकों का एकत्रित होकर पार्टी करना आम बात है. यहां कोई भी पाबंदी नहीं लगाई जा सकती.