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धान घोटाले के आरोपियों को क्यों बचा रहा जबलपुर जिला प्रशासन, जिन्होंने घोटाला खोला उन्हीं पर कार्रवाई - जबलपुर में धान घोटाला

Paddy scam Jabalpur : जबलपुर में धान घोटाले के मामले में दो पटवारियों को सस्पेंड करने से मामला गर्म है. इससे पटवारियों में रोष है. वहीं जिला प्रशासन धान माफिया का बचाव करने में जुटा है. जिन अधिकारियों ने घोटाला खोला, वही कार्रवाई के दायरे में हैं.

Paddy scam in Jabalpur two Patwaris suspended
धान घोटाले के के आरोपियों को क्यों बचा रहा है जबलपुर जिला प्रशासन
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 13, 2024, 1:43 PM IST

धान घोटाले के के आरोपियों को क्यों बचा रहा है जबलपुर जिला प्रशासन

जबलपुर। शहर में शनिवार को राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. दरअसल, जबलपुर कलेक्टर ने दो पटवारियों को सस्पेंड कर दिया है और सिहोरा एसडीएम और मझौली के तहसीलदार को आरोप-पत्र दिया है. वहीं, पटवारी संघ के अध्यक्ष जागेश्वर पिपरी का कहना है कि धान खरीदी में राजस्व विभाग के कर्मचारियों का सीधा कहीं कोई दखल नहीं होता. किसान अपनी उपज का रजिस्ट्रेशन सहकारी समितियों में करवाता है. इन सहकारी समितियों के कंप्यूटर ऑपरेटर किसान की फसल का रजिस्ट्रेशन करते हैं. राजस्व विभाग का कोई काम नहीं होता. इसलिए पटवारी के खिलाफ कार्रवाई गलत है.

खरीद केंद्रों पर पड़ी है धान : जबलपुर में धान खरीदी में जो घोटाला हुआ, उसमें कुछ स्थानों पर 35फीसदी जमीन सिकमीनामा के माध्यम से रजिस्ट्रेशन में दर्शाई गई हैं. मतलब इस जमीन पर जमीन का मालिक खेती नहीं कर रहा है, बल्कि उसने किसी को किराए से दी है और इसी किराए की जमीन की उपज लेकर किसान खरीदी केंद्रों में गया. इनमें से लगभग 50 हजार क्विंटल धान उन खरीदी केंद्रों पर पहुंची है. जिन खरीदी केंद्र को सरकार ने खरीदी करने की अनुमति नहीं दी, यही धान अब खरीदी केंद्रों के बाहर लावारिस ढंग से पड़ी हुई है. इसमें कई किसान भी फंस गए हैं.

वेयरहाउस मालिकों पर सवाल : बता दें कि इन खरीदी केंद्र को शुरू करने का षड्यंत्र उन वेयरहाउस मालिकों ने किया, जिन्हें कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने खरीदी करने का इशारा कर दिया था. इन लोगों ने बिना सरकारी अनुमति के खरीदी शुरू कर दी लेकिन अब तक इन दोषी खरीदी केंद्र के संचालकों के खिलाफ शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है. जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि दरअसल इसमें कुछ खरीदी केंद्र स्व सहायता समूह द्वारा चलाए जा रहे थे. इन स्व सहायता समूह को एक बार सुनवाई का मौका दिया जाएगा और यदि यह लोग सही जवाब नहीं दे पाए, तब फिर इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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3 दिन में 66 हजार खसरे कैसे वेरीफाई होंगे : जबलपुर कलेक्टर ने तीन दिन में लगभग 66 हजार खसरों के भौतिक सत्यापन का काम तहसीलदार और पटवारी को दिया है. सवाल यह खड़ा होता है कि क्या 66 हजार खसरे का भौतिक सत्यापन खेत पर जाकर किया जा सकता है, क्या कोई ऐसी तकनीक है कि जिसमें एक दिन में लगभग 22 हजार खसरे जांच लिए जाएं और इसमें अधिकारी खेत पर भी चला जाए, भौतिक सत्यापन भी कर ले और फसल का जायजा भी ले ले. फिलहाल स्थिति यह है कि अभी भी लगभग 40 हजार क्विंटल धान मझौली के कुछ वेयरहाउस के सामने पड़ी हुई है. कई किसान अपनी धान के रजिस्ट्रेशन को लेकर परेशान हैं. जिन्होंने इस पूरे षडयंत्र को रचा है, वे स्वतंत्र घूम रहे हैं.

धान घोटाले के के आरोपियों को क्यों बचा रहा है जबलपुर जिला प्रशासन

जबलपुर। शहर में शनिवार को राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. दरअसल, जबलपुर कलेक्टर ने दो पटवारियों को सस्पेंड कर दिया है और सिहोरा एसडीएम और मझौली के तहसीलदार को आरोप-पत्र दिया है. वहीं, पटवारी संघ के अध्यक्ष जागेश्वर पिपरी का कहना है कि धान खरीदी में राजस्व विभाग के कर्मचारियों का सीधा कहीं कोई दखल नहीं होता. किसान अपनी उपज का रजिस्ट्रेशन सहकारी समितियों में करवाता है. इन सहकारी समितियों के कंप्यूटर ऑपरेटर किसान की फसल का रजिस्ट्रेशन करते हैं. राजस्व विभाग का कोई काम नहीं होता. इसलिए पटवारी के खिलाफ कार्रवाई गलत है.

खरीद केंद्रों पर पड़ी है धान : जबलपुर में धान खरीदी में जो घोटाला हुआ, उसमें कुछ स्थानों पर 35फीसदी जमीन सिकमीनामा के माध्यम से रजिस्ट्रेशन में दर्शाई गई हैं. मतलब इस जमीन पर जमीन का मालिक खेती नहीं कर रहा है, बल्कि उसने किसी को किराए से दी है और इसी किराए की जमीन की उपज लेकर किसान खरीदी केंद्रों में गया. इनमें से लगभग 50 हजार क्विंटल धान उन खरीदी केंद्रों पर पहुंची है. जिन खरीदी केंद्र को सरकार ने खरीदी करने की अनुमति नहीं दी, यही धान अब खरीदी केंद्रों के बाहर लावारिस ढंग से पड़ी हुई है. इसमें कई किसान भी फंस गए हैं.

वेयरहाउस मालिकों पर सवाल : बता दें कि इन खरीदी केंद्र को शुरू करने का षड्यंत्र उन वेयरहाउस मालिकों ने किया, जिन्हें कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने खरीदी करने का इशारा कर दिया था. इन लोगों ने बिना सरकारी अनुमति के खरीदी शुरू कर दी लेकिन अब तक इन दोषी खरीदी केंद्र के संचालकों के खिलाफ शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है. जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि दरअसल इसमें कुछ खरीदी केंद्र स्व सहायता समूह द्वारा चलाए जा रहे थे. इन स्व सहायता समूह को एक बार सुनवाई का मौका दिया जाएगा और यदि यह लोग सही जवाब नहीं दे पाए, तब फिर इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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