जबलपुर। मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में महज 3 सप्ताह में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. जबलपुर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष राजेश सोनकर का दावा है कि उन्होंने बीते 3 सप्ताह में जबलपुर के अलग-अलग श्मशान घाटों में हुए अंतिम संस्कारों का आंकड़ा एकत्रित किया है. जिसमें बीते 3 सप्ताह में जबलपुर में एक हजार लोगों की मौत हुई है.
नगर निगम के बीते 3 सालों के आंकड़ों पर नजर डाले तो केवल 2020 के जनवरी महीने में 1,076 लोगों की मृत्यु हुई थी. इस महीने में यह आंकड़ा इससे भी कहीं आगे पहुंच जाएगा. इसके अलावा बीते 3 सालों में कभी एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत इतने कम दिनों में नहीं हुई है. बीते 3 साल में जबलपुर में औसतन 700 से 800 लोग हर महीने मृत्यु का शिकार होते हैं, लेकिन इस महीने यह आंकड़ा एक हजार के पार गया है.
कांग्रेस नेता राजेश सोनकर का आरोप है कि अचानक से जबलपुर में बढ़ी हुई मृत्यु दर की वजह सरकारी अस्पतालों में लोगों को सही तरीके से इलाज नहीं मिल पाने को बताया है, और निजी अस्पतालों में महंगे बिलों की वजह से लोगों का नहीं पहुंचना, और डॉक्टरों की क्लीनिक पर सीनियर डॉक्टर्स का न मिलना मृत्यु की बड़ी वजह बना है. राजेश सोनकर का कहना है कि जबलपुर में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब श्मशान घाटों पर एक साथ इतने अंतिम संस्कार देखने को मिला हो.
वहीं कोरोना वायरस की वजह से जबलपुर में अभी तक मात्र 142 लोगों की ही मौत हुई है. इसके अलावा जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें ज्यादातर टाइफाइड हार्ट अटैक निमोनिया जैसी बीमारियों की वजह से लोगों की मौत हो रही है. इसके अलावा बुजुर्गों की मृत्यु दर भी इस समय बहुत तेज है.
जबलपुर में इस समय श्मशान घाटों पर लोगों को दाह संस्कार करने के लिए जगह नहीं बची है. अचानक से बढ़ी हुई मृत्यु दर की वजह से लोग डरे हुए हैं. समस्या बहुत विकट है और किसी के पास इसका फिलहाल कोई समाधान नहीं है. जब तक निजी और सरकारी स्वास्थ्य अमला 100 फसदी सेवाएं लोगों को नहीं देता है तब तक मौत का यह आंकड़ा लगातार बढ़ता हुआ ही नजर आएगा.