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आधुनिकता भड़का रही 'पेट की आग', मशीनी दौर में बे'कार' होते मजदूर - आधुनिक खेती

पुराने समय में जहां फसल की बुआई से लेकर कटाई तक के कार्यों में मजदूरों से काम लिया जाता था. अब वह विलुप्त होती जा रही है, जिससे मजदूरों को रोजगार की तलाश में अन्य शहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

Old time farming is becoming extinct
मशीनी दौर में बेकार होते मजदूर
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Published : Apr 3, 2021, 12:50 PM IST

जबलपुर। आज के युग में जहां लोग आधुनिक खेती कर रहे है, तो वहीं पुरानी परंपराएं विलुप्त होती जा रही है. पुराने समय में फसल की बुआई से लेकर कटाई तक के कार्यों में मजदूरों से काम लिया जाता था, जिससे मजदूर को अच्छा खासा फायदा होता था, लेकिन अब आधुनिकता की दौड़ में हम कही न कही पुरानी परम्पराएं छोड़ते जा रहे है. मजदूरों को काम न देकर उनके हक को छीन रहे है, जिससे मजदूर अन्य शहरों में रोजगार की तलाश में जाने को मजबूर हो रहे है.

आधुनिकता की दौड़ में भूल रहे परंपराएं

आधुनिकता की दौड़ में हम पुरानी परम्पराएं भूलते जा रहे है. कृषि कार्य को ही ले लीजिए, तो इसके करने के तरीकों में परिवर्तन आया है. पहले लोग बैल से जुताई करते थे. अब बैलों की जगह ट्रैक्टरों ने ले ली गई है. इसी तरह खेत में लगी फसलों की बुआई से लेकर कटाई तक मजदूर काम करता था, लेकिन अब मजदूरों की जगह मशीनों ने ले ली है. गेहूं की कटाई में अब हार्वेस्टर मशीनों से की जाती है. लोगों का कहना है कि आज के दौर में खेतों में काम करने के लिए मजदूर नहीं मिलते, जिससे मशीनों से कटाई करवाने की मजबूरी बन जाती है.

मशीनी दौर में बेकार होते मजदूर

शराब के लिए नहीं दिए पैसे तो बदमाशों ने किया सिर पर तलवार से हमला


बहरहाल आज के इस दौर में जहां हम आधुनिकता की दौड़ में किसी से पीछे नहीं रहना चाहते. वहीं मजदूरों के साथ किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है. बावजूद इसके मजदूरो के न मिलने से कही न कही आधुनिक की उंगली पकड़ना मजबूरी बनती जा रही है.

जबलपुर। आज के युग में जहां लोग आधुनिक खेती कर रहे है, तो वहीं पुरानी परंपराएं विलुप्त होती जा रही है. पुराने समय में फसल की बुआई से लेकर कटाई तक के कार्यों में मजदूरों से काम लिया जाता था, जिससे मजदूर को अच्छा खासा फायदा होता था, लेकिन अब आधुनिकता की दौड़ में हम कही न कही पुरानी परम्पराएं छोड़ते जा रहे है. मजदूरों को काम न देकर उनके हक को छीन रहे है, जिससे मजदूर अन्य शहरों में रोजगार की तलाश में जाने को मजबूर हो रहे है.

आधुनिकता की दौड़ में भूल रहे परंपराएं

आधुनिकता की दौड़ में हम पुरानी परम्पराएं भूलते जा रहे है. कृषि कार्य को ही ले लीजिए, तो इसके करने के तरीकों में परिवर्तन आया है. पहले लोग बैल से जुताई करते थे. अब बैलों की जगह ट्रैक्टरों ने ले ली गई है. इसी तरह खेत में लगी फसलों की बुआई से लेकर कटाई तक मजदूर काम करता था, लेकिन अब मजदूरों की जगह मशीनों ने ले ली है. गेहूं की कटाई में अब हार्वेस्टर मशीनों से की जाती है. लोगों का कहना है कि आज के दौर में खेतों में काम करने के लिए मजदूर नहीं मिलते, जिससे मशीनों से कटाई करवाने की मजबूरी बन जाती है.

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बहरहाल आज के इस दौर में जहां हम आधुनिकता की दौड़ में किसी से पीछे नहीं रहना चाहते. वहीं मजदूरों के साथ किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है. बावजूद इसके मजदूरो के न मिलने से कही न कही आधुनिक की उंगली पकड़ना मजबूरी बनती जा रही है.

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