जबलपुर। परिवहन विभाग के दफ्तरों के अंदर और बाहर दलालों का डेरा रहता है. यह बात किसी से छुपी नहीं है. ये दलाल हर काम के लिए लोगों से पैसा लेते हैं. इनका मुख्य काम लोगों का डीएल बनवाना होता है. दलालों से विभाग के कर्मचारी भी मिले रहते हैं. इसी को देखते हुए अब परिवहन विभाग में सक्रिय रहने वाले दलालों पर शिकंजा कसने के लिए विभाग ने तैयारी कर ली है. विभाग की योजना के मुताबिक अब लाइसेंस बनवाने का काम बाबू नहीं, बल्कि कंप्यूटर करेगा. विभागीय अधिकारियों को भरोसा है कि इस तरीके से लाइसेंस बनाने वाले दलालों पर शिकंजा कस जाएगा.
डीएल बनवाने पर दलाल लेते हैं रिश्वत : परिवहन विभाग पर लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया पर लग रहे आरोपों को देखते हुए नए लाइसेंस बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की प्रक्रिया अपनाने की योजना बना रहा है. इसके तहत अब लाइसेंस पाने के लिए आवेदक को टेस्ट तो देना ही होगा, लेकिन इसे कोई कर्मचारी नहीं बल्कि कंप्यूटर लेगा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से होने वाले ड्राइविंग टेस्ट पास करने की सूरत में ही आवेदक को लाइसेंस दिया जाएगा. लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया में अभी तक दलाल जमकर चांदी काटते भी आ रहे हैं.
परिवहन विभाग के कर्मी भी दलालों के साथ : परिवहन विभाग के अधिकारियों -कर्मचारियों से साठगांठ कर दलाल लोगों का लाइसेंस बनवाते हैं. ये दलाल बदले में डीएल बनवाने वालों से मोटी रकम वसूलते हैं. इसी को देखते हुए परिवहन महकमे ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया शुरू करने की योजना बनाई है. कंप्यूटर के जरिए होने वाली ड्राइविंग की परीक्षा ठीक उसी तर्ज पर ली जाएगी, जैसे किसी कर्मचारी के द्वारा ली जाती है, लेकिन फर्क सिर्फ इतना होगा कि यह मानव रहित होगी. जबलपुर के आरटीओ संतोष पाल का कहना है कि इससे दलालों पर लगाम कस जाएगी. (Artificial intelligence in RTO) ( Process of making driving license)