जबलपुर। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की चार टीमों ने शहर के 33 कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले अस्पतालों का निरीक्षण किया है. बोर्ड के अधिकारी आलोक जैन का कहना है कि शहर के सभी निजी अस्पताल कोरोना गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं, लेकिन सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में कोरोना की गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है. साथ ही अस्पताल का कचरा खुले में फेंका जा रहा है, जोकि घातक सिद्ध हो सकता है.
स्पेशल यूनिट को देना होता है कचरा
दरअसल, कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले अस्पतालों को अपना कचरा एक स्पेशल यूनिट को देना होता है, जोकि जबलपुर के करौंदा में लगी हुई है. इसमें इस कचरे को जला दिया जाता है, ताकि इससे संक्रमण न फैल सके. कोरोन मरीजों का इलाज करने वाले अस्पतालों को इस यूनिट को एक निश्चित फीस देनी होती है. इसलिए अस्पतालों को इस यूनिट को कचरा देना मजबूरी बन जाती है. इसलिए ज्यादातर अस्पताल इसका पालन कर रहे हैं.
कचरे के आस-पास घूम रहे थे मरीजों के परिजन
ऐसे में अब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने जबलपुर सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी किया है. नोटिस में कहा गया है कि अस्पताल का कचरा खुले में ना फेंका जाए. इसके बाद भी जब मेडिकल कॉलेज के अस्पताल परिसर का जायजा लिया तो पाया कि कई खुली जगहों पर मेडिकल कॉलेज का कचरा पड़ा हुआ था. कुछ जगहों पर पीपीई किट खुले में फेंकी गई थी. कुछ जगहों पर अस्पताल के भीतर का कचरा भी डंप किया गया था.इसी के आसपास कोरोना के मरीजों का इलाज करवाने वाले लोग और उनके परिजन घूम रहे थे.
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पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कही ये बात
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी आलोक जैन का कहना है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल से रोज 4 ट्रक कचरा निकल रहा है, क्योंकि अस्पताल में लगभग पूरे बिस्तर पर कोरोना के संक्रमित मरीज हैं. इसलिए अस्पताल से कचरा भी ज्यादा निकल रहा है, लेकिन इसका प्रबंधन भी बहुत जरूरी है, नहीं तो इस कचरे से भी लोग संक्रमित हो सकते हैं.