जबलपुर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने डेयरी फॉर्म को शहर से बाहर करने का आदेश दिया है. साथ ही नई गाइडलाइन भी जारी की है. शहर की एक समाजसेवी संस्था ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें ये आरोप लगाया गया था की बड़ी तादाद में दूध डेयरी फार्म से निकलने वाला गोबर और गंदा पानी नदियों को प्रदूषित कर रहा है. ये मामला हाईकोर्ट से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पास ट्रांसफर कर दिया गया था. जिसमें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक नई गाइडलाइन जारी कर दी है. जो न केवल जबलपुर बल्कि पूरे देश में लागू होगी.
स्थानीय प्रशासन को मिली जिम्मेदारी
गाइड लाइन के अनुसार डेयरी व्यवसाय शहरी इलाके में नहीं किया जा सकेगा. इसके लिए एक जगह निश्चित करनी होगी. वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग से 100 मीटर दूर और किसी भी जल स्रोत जिसमें नदी तालाब या झरना से लगभग आधा किलोमीटर दूर ही डेयरी फार्म लगाया जा सकेगा. गाइडलाइन के पालन करवाने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होगी. यदि स्थानीय प्रशासन यानि कलेक्टर, तहसीलदार और प्रदूषण विभाग के अधिकारी गाइडलाइन का पालन नहीं करवा पाएंगे, तो इसकी जानकारी इनके सीआर रिपोर्ट में दर्ज की जाएगी.
गाइडलाइन लागू कराने के लिए मिला 1 महीने का समय
एनजीटी के इस फैसले का पालन अगर 1 महीने में नहीं किया गया तो पहली बार एनजीटी में ये व्यवस्था दी गई है कि इसमें अवमानना याचिका दायर की जा सकती है. जबलपुर की नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच संस्था के सदस्यों का कहना है कि उन्होंने प्रशासन को 1 महीने का समय दिया है. अगर प्रशासन 1 महीने में डेयरी फार्म को व्यवस्थित करने का काम नहीं कर पाया तो संस्था अवमानना याचिका दायर करेगी.
शहर में 200 से ज्यादा दूध डेरियां
बता दें जबलपुर में लगभग 200 डेयरी फार्म हैं. एक लाख से ज्यादा पशु हैं. इतनी बड़ी व्यवस्था को इतनी जल्दी कैसे बदला जा सकता है. ये समझ के परे है. वहीं अभी तक जबलपुर में नया डेयरी क्षेत्र भी नहीं बनाया गया है. दूध का व्यापार लाखों लोगों को रोजगार देता है, लेकिन अभी तक यह व्यवस्थित तरीके से नहीं किया जा रहा है.