जबलपुर। पाटन विधानसभा सीट जबलपुर के उत्तर पश्चिम भूभाग में है. इस विधानसभा सीट में पाटन और मझोली दो तहसीलें हैं. जबलपुर का सबसे ज्यादा समृद्धि कृषि क्षेत्र इन्हीं दोनों तहसीलों में है. खास तौर पर पाटन की जमीन को तो मानो भगवान ने आशीर्वाद दिया हुआ है. यहां कुछ जगहों पर धान के लिए उपयुक्त काली मिट्टी के जलभराव वाले खेत हैं. वहीं बड़ा भूभाग हिरण नदी के किनारे बसा हुआ है जो हिरण नदी का कछार है और यह भी बहुत ज्यादा उपजाऊ है. जबलपुर के अलावा इस विधानसभा सीट की सीमा दमोह और नरसिंहपुर जिले से भी जुड़ती है. इस इलाके में कोई रेल लाइन नहीं है लेकिन जबलपुर से दमोह जाने वाला राज्य मार्ग यहीं से गुजरता है पूरे इलाके में सड़कों का अच्छा जाल है.
व्यापारिक गतिविधियां: जबलपुर में इस विधानसभा को हम अन्न उगलने वाली धरती कहें तो गलत नहीं होगा क्योंकि यहां खरीफ की फसल धान, रवि की फसल गेहूं, जायद की फसल मूंग और हरा मटर बड़े पैमाने पर उगाया जाता है, इसलिए इस पूरे इलाके में धनवान के साथ रहते हैं. पाटन और मझोली दो कस्बे व्यापार का बड़ा केंद्र हैं बड़ी जरूरतों के लिए लोग जबलपुर के बाजारों में आते हैं.
पाटन की विशेषता: इस विधानसभा में विष्णु वराह का 10 वीं शताब्दी का बेहद खूबसूरत मंदिर है. कटंगी की पहचान अपने रसगुल्ले की वजह से है और इस इलाके का हरा मटर भारत की कई बड़ी मंडियों में जबलपुर को इज्जत दिलाता है. पाटन विधानसभा की जनता बहुत समझदार है इसलिए यहां जो झुककर प्यार से वोट मांगेगा उसे जनता आशीर्वाद देती है क्योंकि इस इलाके में गरीबी मुद्दा बड़ा मुद्दा नहीं है लेकिन लोग सम्मान बहुत चाहते हैं इसलिए यहां लोगों को डरा कर नहीं बल्कि प्यार से ही वोट पाए जा सकते हैं.
राजनैतिक समीकरण: 1998 से लेकर अब तक के चुनाव पर यदि नजर डाली जाए तो 1993 में छात्र नेता रामनरेश त्रिपाठी को भारतीय जनता पार्टी से चुनकर विधानसभा भेजा था लेकिन 1998 में किसान नेता सोबरन सिंह यहां से जनता दल से चुनाव जीत गए. सोबरन सिंह किसान नेता थे और राजपूत के इस इलाके में राजपूतों के प्रभाव वाले बहुत से गांव है. जमीन से जुड़े हुए नेता थे इसी वजह से उन्हें 2003 में भी जनता ने दूसरी बार चुनाव लेकिन इसके बाद परिसीमन हुआ और पाटन विधानसभा से जबलपुर को अलग कर दिया गया और मझोली को जोड़ दिया गया. इसकी वजह से समीकरण पूरी तरह से बदल गए और भारतीय जनता पार्टी के नेता अजय विश्नोई ने 2008 के चुनाव में जीत हासिल की.
अजय विश्नोई उस समय शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और इस दौरान उन्होंने इस इलाके में विकास की बहुत काम करवाए. इसमें हजारों एकड़ के सिंचाई के रखने को बढ़ाया गया और नहरों का जाल मझौली और पाटन इलाके में बिछा दिया गया. अजय विश्नोई ने अपनी जड़ें मजबूत कर ली थी लेकिन 2013 के चुनाव में बिग कांग्रेस की एक प्रयोग बिल्कुल युवा प्रत्याशी नीलेश अवस्थी से चुनाव हार गए. लोगों का ऐसा मानना था कि अजय विश्नोई के बढ़ते हुए कद की वजह से जनता से थोड़े कट गए थे और प्रदेश के भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं को भी पसंद नहीं आ रहे थे इसलिए उन्हें हरा दिया गया लेकिन 2018 के चुनाव में अजय विश्नोई ने एक बार फिर चुनाव मैदान में हुंकार भरी और इस बार भी सफल हुए और बीते 5 सालों से भी पाटन विधानसभा में अपनी जड़ें मजबूत कर रहे हैं.
2013 विधानसभा चुनाव: 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर नीलेश अवस्थी (कांग्रेस) ने 85538 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को 12736 मतों के अंतर से हराया. दूसरा स्थान (72802) वोटों के साथ अजय विश्नोई (बीजेपी) को मिला. तीसरा स्थान (2905) वोटों के साथ हब्बीलाल रविदास (आईएनडी) का रहा. (2612) वोटों के साथ नोटा को चौथा स्थान को मिला. चुनाव में कुल 169255 मत पड़े थे. कुल 77.63% मतदान हुआ.
जनसंख्यात्मक विवरण: पाटन विधानसभा क्षेत्र में 3 लाख 33 हजार 357 लोग निवास करते हैं मतदाताओं की संख्या 2 लाख 35 हजार है. जिनमें 85.94% ग्रामीण जबकि 14.06% जनसंख्या शहर में रहती है. यहां की कुल आबादी में 15.77 आदिवासी जबकि 16.95 फीसदी आबादी दलितों की है. 2013 के विधानसभा चुनाव में 77.63 फीसदी मतदान हुआ था. इस विधानसभा में किसी भी जाति का बाहुल्य नहीं है जातिगत नजरिए से देखें तो राजपूत ठाकुर, ब्राहण, बनिया, लोधी कुर्मी और जैन रहते हैं. कटंगी मझौली इलाके में कुछ मुस्लिम बस्तियां भी हैं लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है कुल मिलाकर यहां की राजनीति में जाति बहुत बड़ा आधार नहीं है.
राजनीतिक मुद्दे और दावेदार: मैदान में मुख्य रूप से दो ही पार्टियां हैं भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस. भारतीय जनता पार्टी की ओर से अजय विश्नोई सबसे बड़े दावेदार हैं क्योंकि वह लंबे समय से इस इलाके में सक्रिय हैं और अब तक तीन बार यहां से चुनाव जीत भी चुके हैं लेकिन लोग अब उन्हें उम्रदराज मानने लगे हैं और संभवत यह उनका अंतिम चुनाव होगा लेकिन उनकी सक्रियता में कहीं कोई कमी नहीं है. उनका कहना है कि इस बार फिर वह चुनाव जीतेंगे उन्हें शिवराज सिंह के कार्यकाल के दौरान जो योजनाएं चलाई गई हैं उनकी वजह से जनता आशीर्वाद देगी भारतीय जनता पार्टी की ओर से ही इस विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व ग्रामीण अध्यक्ष आशीष दुबे और पाटन के रहने वाले किसान मोर्चा अध्यक्ष कृष्ण शेखर सिंह भारतीय जनता पार्टी की ओर से दावेदारी कर रहे हैं.
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क्षेत्र के लोकल मुद्दे: कांग्रेस की ओर से पहला दावा नीलेश अवस्थी का ही है और वह बीते 5 साल से इस इलाके में सक्रिय भी है वही पाटन के रहने वाले किसान नेता विक्रम सिंह भी कांग्रेस की ओर से दावेदारी कर रहे हैं इसके साथ ही दुर्गेश पटेल भी सक्रिय हैं इस इलाके में कांग्रेस हिरण नदी से रेत के अवैध उत्खनन को मुद्दा बनाती रही है इसके अलावा किसानों से जुड़े हुए मुद्दों पर भी कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को कटघरे में खड़ा किया है. बरगी बांध की नहरों की बदहाल स्थिति भी यहां कांग्रेस के लिए मुद्दा रही है.