जबलपुर। शहर 4 विधानसभा क्षेत्रों में बटा हुआ है. जिनमें से एक है जबलपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र. यह सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. जिले की पूर्व विधानसभा में 2023 में भी मुख्य मुकाबला जबलपुर की राजनीति के दो धुर विरोधियों के बीच होगा. बीते 3 चुनाव से इस विधानसभा में कांग्रेस का ही पड़ला भारी नजर आ रहा है. इस क्षेत्र में सरकारी कर्मचारियों से लेकर राजपूत, ब्राह्मण और अनुसूचित जातियां निवास करती हैं. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी इस इलाके में काफी है इसलिए इस सीट पर टक्कर कांटे की देखने को मिलती है.
किसकी कितनी दावेदारी: जबलपुर की राजनीति में पूर्व विधानसभा का बड़ा महत्वपूर्ण रोल है स्वतंत्रता के पहले भारत के सबसे बड़े ठग पिंडारे इसी इलाके में रहते थे और इनका सबसे बड़ा बाजार जबलपुर की पूर्व विधानसभा के गुरंदी इलाके में था. कालांतर में इनमें से कुछ लोग इसी विधानसभा क्षेत्र में बस गए. इस इलाके में कई जातियां रहती हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार इस विधानसभा में लगभग 52 हजार अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं जो विधानसभा के कुल वोटरों का लगभग 22% है. इनमें खटीक, बंशकार, जाट, राजपूत, ब्राह्मण बाहुल्य में है. इसके अलावा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से रिटायर्ड कर्मचारियों ने भी इसी विधानसभा में अपने घर बनाए हुए हैं. इसकी वजह से देश भर की कई जातियों के लोग यहां पुरानी कालोनियों में बसे हुए हैं. इसके साथ ही पाकिस्तान से सिंधी समाज के लोगों की कॉलोनी भी इसी विधानसभा क्षेत्र में है.
मुस्लिम मतदाता: अनुसूचित जाति के अलावा इस इलाके में लगभग 60 हजार मुस्लिम मतदाता भी रहते हैं और सामान्य तौर पर इनका रुझान कांग्रेस की ओर ही रहता है लेकिन हमेशा कांग्रेस को ही इसका फायदा मिले, ऐसा नजर नहीं आता क्योंकि कई बार इस इलाके से भारतीय जनता पार्टी के विधायक जी अच्छी बढ़त के साथ जीते हैं.
पूर्व विधानसभा: जबलपुर की इस विधानसभा में वोटरों की कुल संख्या 2 लाख 36 हजार 296 है. 2018 के चुनाव में वोटिंग प्रतिशत 67. 93 रहा था. इस विधानसभा में चार चुनावों से मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के अंचल सोनकर और कांग्रेस के लखन घनघोरिया के बीच ही रहा है. दोनों ही अपनी-अपनी पार्टियों के कार्यकाल में मंत्री भी रहे हैं.
बीते 3 विधानसभा चुनाव के परिणाम
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मतदाताओं का रुझान: बीते 3 चुनाव में यदि हम इस इलाके के मतदाताओं का रुझान परखने की कोशिश करें तो यह कभी कांग्रेस की तरफ तो कभी भारतीय जनता पार्टी की तरफ नजर आता है. 2018 के विधानसभा चुनाव में 57% वोट कांग्रेस को मिले थे और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को मात्र से 35% वोट ही मिल पाए थे लेकिन दूसरी साल 2019 में जब संसदीय चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी ने यहां 51% वोट पाए. वहीं कांग्रेस को केवल 45% वोट मिले लेकिन पिछले साल जब जबलपुर में नगर निगम के महापौर का चुनाव हुआ तो महापौर इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के महापौर उम्मीदवार को 40 हजार वोटों की बढ़त मिली थी. हालांकि यहां से मुस्लिम वोटर्स का कुछ प्रतिशत असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को भी गया है और उनके 2 पार्षद जीतकर आए हैं इसलिए मुस्लिम वोटर्स का टर्न आउट कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बनेगा.
संभावित उम्मीदवार: कांग्रेस की ओर से 2023 के विधानसभा चुनाव में संभावित उम्मीदवार लखन घनघोरिया ही नजर आ रहे हैं और कांग्रेस इन पर ही दांव लगाएगी. भारतीय जनता पार्टी में जरूर परिवर्तन होने की उम्मीद नजर आ रही है हालाकी अंचल सोनकर भी अपनी दावेदारी बनाए हुए हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी यहां से किसी नए चेहरे पर दांव लगा सकती है.
क्षेत्र के मुख्य मुद्दे: विकास के नजरिए से देखा जाए तो यह जबलपुर का सबसे पिछड़ा इलाका है और घनी बस्तियों में लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरसते हैं. रोजगार के कोई बहुत अच्छे अवसर यहां नहीं हैं बल्कि जबलपुर में सबसे ज्यादा अपराध इसी विधानसभा क्षेत्र में होते हैं और कभी-कभी मतदाताओं को अपने पक्ष में रखने के लिए इस इलाके के नेता भी अपराधियों के साथ खड़े हुए नजर आते हैं. महाकौशल इलाके का सबसे बड़ा कबाड़ी बाजार इसी विधानसभा से संचालित होता है और लोहे के भी कई बड़े कारोबारी इस विधानसभा में हैं. लोहे से बना फर्नीचर इसी विधानसभा से महाकौशल के कई इलाकों में सप्लाई भी होता है लेकिन इस पूरे कारोबार को कोई सरकारी मदद उपलब्ध नहीं है फिलहाल विधानसभा में किसी एक पार्टी का सीधा साधा माहौल नजर नहीं आ रहा है.