जबलपुर। छात्रवृत्ति घोटाले में सरकार 24 करोड़ में से मात्र 7 करोड़ रुपए ही वसूल पाई है. जबलपुर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रवि मलिमथ एवं जस्टिस विशाल मिश्रा की युगल पीठ ने गुरुवार को फिर मामले की सुनवाई की. मध्यप्रदेश में सैकड़ों पैरामेडिकल कॉलेजों ने फर्जी तरीके से छात्रों का एडमिशन दिखा कर 24 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति का घोटाला किया था इसमें हाईकोर्ट ने इन कॉलेजों से छात्रवृत्ति वसूलने के आदेश दिए थे.
वसूली पर सख्त हाईकोर्ट: छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में सरकार ने गुरुवार को फिर एक्शन टेकन रिपोर्ट पेस की और कोर्ट को बताया कि ऐसी एक दो संस्थाएं हैं जिनकी कुर्की की जानी है किंतु उनकी संपत्ति अभी तक पता नहीं लगाई जा सकी है जिसकी कार्रवाई जारी है साथ ही जिन संस्थाओं द्वारा आरआरसी नोटिस के बावजूद राशि जमा नहीं की गई है उनकी संपत्ति की नीलामी जल्द की जाएगी. सरकार की रिपोर्ट में ग्वालियर से संबंधित वसूली की जानकारी सम्मिलित ना होने पर याचिकाकर्ता द्वारा फिर आपत्ति प्रकट की गई. हाईकोर्ट ने जबलपुर के साथ साथ अन्य सभी शेष जिलों की वसूली की स्थिति की रिपोर्ट अगली सुनवाई में पेश करने के लिए कहा है.
कॉलेजों को राहत: गुरुवार को जनहित याचिका के साथ 22 पैरामेडिकल कॉलेजों की लंबित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई. जिस पर कोर्ट में वसूली योग्य राशि में से 50% राशि जमा करने की शर्त पर पैरामेडिकल कॉलेजों को राहत दे दी. जिन कॉलेजों की संपत्ति सील कर दी गई है उन्हें भी पैसे जमा करने की शर्त पर मुक्त के निर्देश दिए हैं. कल की सुनवाई में एक संस्था द्वारा 50% राशि जमा करने की शर्त पर दिए गए स्थगन आदेश को आज हाईकोर्ट ने संस्था के अधिवक्ता के आग्रह पर परिवर्तित करते हुए स्थगन हटा दिया है और बगैर राशि जमा किए स्थगन देने से इनकार कर दिया है और सरकार को पूरी वसूली करने के निर्देश दिए हैं.
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फैक्ट फाइल
- कुल वसूली योग्य राशि- 24 करोड़ रुपए
- कुल वसूल की गई राशि- 7 करोड़ 87 लाख रुपए
- वसूली हेतु शेष राशि- 16 करोड़ रुपए
- हाईकोर्ट से स्थगन प्राप्त मामले- 18
- वसूली पूर्ण संस्थाओं की संख्या -55
- वसूली हेतु शेष संस्थाओं की संख्या- 37
सरकार की ओर से जब इन संस्थाओं को पैसा जा रहा था तब इसमें सरकारी अधिकारी भी रिश्वत ले रहे थे. इसलिए संस्थाओं को छात्रवृत्ति का पैसा तुरंत मिल जाता था लेकिन वसूलने के नाम पर इस देरी की वजह समझ में नहीं आ रही है.