जबलपुर। पटवारी भर्ती परीक्षा में हुए घोटाले के बाद जिन होनहार छात्र-छात्राओं ने मेहनत करके परीक्षा दी थी, वह खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. जबलपुर की संजना दहिया ने सरकार से मांग की है कि भले ही जांच करवा लें, लेकिन परीक्षा कैंसिल ना करें और जिन लोगों ने पूरी मेहनत के साथ परीक्षा दी है. उन्हें नियुक्तियां दे, क्योंकि हर आदमी के संघर्ष की कहानी अलग-अलग है.
पटवारी परीक्षा देने वाली संजना की कहानी: जबलपुर के कस्बाई इलाके बड़ा पत्थर के पास रहने वाली संजना की कहानी संघर्ष की कहानी है. संजना मध्य मवर्गीय परिवार से आती हैं. उन्होंने बचपन से ही स्कूली शिक्षा में अव्वल नंबर प्राप्त किए. इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन मैथ और साइंस से किया है और यहां भी वे गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं. यही नहीं वे अपने कॉलेज की टॉपर भी थी, लेकिन इतनी पढ़ाई के बाद भी उन्हें उस दौरान कोई नौकरी नहीं मिली. धीरे-धीरे उनकी नौकरी की इच्छा दबी रह गई और परिवार के लोगों ने उनकी शादी कर दी. अब संजना की एक 5 साल की बेटी है, संजना की पढ़ाई के प्रति लगन देखते हुए परिवार के लोगों ने एक बार फिर उसे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने का मौका दिया. पहले यह परिवार गांव में रहता था, लेकिन संजना की पढ़ाई की इच्छा को देखकर यह गांव से शहर आया. जहां परिवार चलाने के लिए पति ने प्राइवेट नौकरी शुरू की और संजना ने एक स्कूल में पढ़ाना शुरू किया.
पति करता है प्राइवेट जॉब: इसी बीच पटवारी भर्ती परीक्षा की घोषणा हुई. संजना ने जी जान से पढ़ाई करना शुरू किया. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में बहुत समय देना होता है, लेकिन संजना के पास कई जिम्मेदारियां हैं. इनमें उनके बीमार ससुर की सेवा, 5 साल की बच्ची की जरूरत और घर परिवार की दूसरी जिम्मेदारियां इन सब को निभाते हुए संजना ने पटवारी भर्ती परीक्षा दी. संजना को उम्मीद थी कि जिस तरीके से उसने मेहनत की है, उसे अच्छा परिणाम ही मिलेगा. संजना का नाम भी मेरिट में आया. संजना को लग रहा था कि उसकी मेहनत रंग लाई और अब जिंदगी सरल हो जाएगी, क्योंकि परिवार की गाड़ी अब तक पति की निजी कंपनी की नौकरी में चल रही थी, लेकिन महंगाई के इस दौर में प्राइवेट जॉब से परिवार चलाना एक कठिन काम है.
घोटाले ने छीने सपने: वहीं संजना को अपनी मेहनत का पुरस्कार मिलने वाला था, लेकिन इसके पहले की संजना के सपने पूरे हो पाते पटवारी भर्ती परीक्षा में घोटाले की खबर आ गई. ऐसे छात्रों के इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे, जिन्हें पढ़ाई के नाम पर कुछ भी नहीं आता, लेकिन वे मेरिट सूची में अव्वल हैं, फिर भी संजना को उम्मीद थी कि सरकार इन लोगों को हटाकर प्रक्रिया को नहीं रोकेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और सरकार ने पूरी प्रक्रिया को जांच के दायरे में लाकर फिलहाल रोक दिया. अब संजना का कहना है कि आखिर उसने क्या गलती की थी जो उसे अपनी ईमानदारी और मेहनत से की हुई लड़ाई का बुरा नतीजा भोगना पड़ रहा है संजना का कहना है कि "उसने जिस परिस्थिति में पढ़ाई की अपने परिवार का समय अपनी पढ़ाई में लगाया, अपनी बच्ची के साथ समय बिताने के बजाए और घंटों पढ़ती रही, उसके सत्य को कोई नहीं समझ पाएगा और ना ही अब दोबारा वह चाहे के भी इतना समय निकाल पाएगी. सरकार को इस बात को समझना चाहिए कि जिन लोगों ने ईमानदारी से मेहनत की है, उनके साथ गलत नहीं होना चाहिए. फिलहाल पटवारी भर्ती परीक्षा की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस कर रहे हैं, लेकिन इस बड़े भर्ती अभियान की जांच इतनी जल्दी संभव नहीं है. खास तौर पर इस पूरी प्रक्रिया में इतनी जटिलता है कि इस समझने और इसके आधार पर इसमें हुई गड़बड़ियों को सिद्ध करने में बहुत समय लगेगा. ऐसे में कहीं ऐसा ना हो कि संजना जैसे होनहारों के साथ एक बार फिर धोखा हो जाए.