जबलपुर। मध्य प्रदेश की सबसे चर्चित पटवारी चयन परीक्षा पर पहली बार मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. जबलपुर के एक अभ्यर्थी ने हाई कोर्ट में यह दलील दी है कि एमपी सरकार के मुखिया को इस परीक्षा को रोकने का अधिकार नहीं है. यदि सरकार को आपत्ति है तो जिस कॉलेज में गड़बड़ी हुई है. उसके उम्मीदवारों को भर्ती प्रक्रिया से रोक दिया जाए, बाकी लोगों के लिए भर्ती प्रक्रिया जारी रखी जाए. सरकार से इस मामले में 3 सप्ताह में जवाब मांगा गया है.
जबलपुर के युवक ने लगाई याचिका: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पटवारी चयन परीक्षा की चयन प्रक्रिया पर लगी रोक को चुनौती दी गई है. जबलपुर गढ़ा इलाके के रहने वाले प्रयागराज नाम के युवक ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका लगाई है कि वह पटवारी चयन परीक्षा का उम्मीदवार है और पटवारी चयन परीक्षा की प्रक्रिया को रोकना गलत है. इसमें जिस कॉलेज पर आपत्ति है, उसके उम्मीदवारों को भले ही चयन प्रक्रिया से अलग कर दिया जाए, लेकिन बाकी लोग जिन्होंने पढ़ाई करके परीक्षा में स्थान बनाया है. उनका मौका उनसे नहीं छीनना चाहिए. इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज मनिंदर सिंह ने इस पूरे मामले को चुना और सरकार से 3 सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है. कोर्ट ने अपने मौके आदेश में यह भी कहा कि इस मामले में सरकार को स्पष्ट फैसला लेना चाहिए था.
क्यों लगी पटवारी भर्ती पर रोक: दरअसल ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज की वजह से पटवारी चयन परीक्षा शक के घेरे में आ गई. बीजेपी विधायक के इस कॉलेज में पटवारी चयन परीक्षा का सेंटर बनाया गया था. इसी कॉलेज में 7 उम्मीदवार ऐसे निकले जो मेरिट में आ गए, लेकिन जब इनसे मीडिया ने उनकी काबिलियत जाननी चाही तो वह बड़े मामूली से सवालों का जवाब नहीं दे पाए. इन उम्मीदवारों के सिग्नेचर और उनकी इंग्लिश की योग्यता पर भी सवाल खड़े हुए. जबकि इन्हें चयन परीक्षा में अच्छे नंबर मिले थे. जब इस मामले में सरकार की ज्यादा किरकिरी होने लगी तो सीएम शिवराज ने इस मामले की जांच रिटायर्ड जज से करवाने की बात कहकर पटवारी चयन प्रक्रिया पर रोक लगा दी.
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हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर: पटवारी चयन परीक्षा कर्मचारी चयन मंडल ने करवाई थी और इसमें 980000 छात्रों ने परीक्षा दी थी. इसमें से लगभग 9000 लोगों को चयनित किया जाना है. यह मध्यप्रदेश की अब तक की सबसे बड़ी चयन परीक्षा थी. इसी तरह से इस एक परीक्षा के माध्यम से सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार भी मिलने वाला था, लेकिन रोक लगने के बाद परीक्षा में बैठे उम्मीदवार खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. दरअसल मध्यप्रदेश इसके पहले व्यापम के मामले में भी बदनाम रहा है. इसी वजह से बेरोजगारों को लग रहा है कि कहीं दोबारा उनके साथ धोखा ना हो जाए.
हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुई कॉपी: बहरहाल सरकार को इस मामले में अब 21 अगस्त को जवाब देना है. ऐसा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में बहस के दौरान कहा गया है, हालांकि अभी तक इस मामले में नोटिस की कॉपी हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुई है, लेकिन कोर्ट की लाइव प्रोसिडिंग में यह बात सुनाई दे रही है. अभी तक यह मामला सरकारी जांच में था, लेकिन अब यह कोर्ट की सुनवाई में चला गया है. हालांकि अभी तक पूरी जांच कोर्ट के दायरे में नहीं आई है. देखना है कि 3 सप्ताह बाद सरकार इसमें क्या जवाब पेश करती है.