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MP Nursing College Scam: सरकार के रवैये से हाईकोर्ट खफा,कार्रवाई रिपोर्ट के साथ DME को पेश होने का आदेश - कार्रवाई रिपोर्ट के साथ DME तलब

फर्जी नर्सिंग कॉलेज मामले (MP Nursing College Scam) की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह इस रवैये से सख्ती करने पर मजबूर कर रही है. युगलपीठ ने डीएमई को कार्रवाई रिपोर्ट के साथ शुक्रवार को उपस्थित होने के निर्देश जारी किए हैं.

MP Nursing College Scam
एमपी हाईकोर्ट खफा, DME को पेश होने का आदेश
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Published : Jul 14, 2023, 1:29 PM IST

जबलपुर। हाईकोर्ट में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई. जबकि वास्तविकता में ये कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. ऐसा कोई कॉलेज नहीं है, जो निर्धारित मापदंड पूरा करता हो. अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ 4-5 कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेजों में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है.

मनमाने तरीके से दी मान्यता : याचिका में ये भी कहा है कि बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है. याचिका की पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि 80 कॉलेज ऐसे हैं, जिसमें एक व्यक्ति को उसी समय कई स्थानों पर काम पर रखा है. 10 कॉलेजों में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य हैं और उन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकड़ों किलोमीटर है. टीचिंग स्टाफ भी एक समय में 5-5 कॉलेज में एक ही समय में सेवा दे रहा है. माइग्रेट फैक्लटी के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किये जाने को मामला हाईकोर्ट के समक्ष उठाया गया था.

डीएमई ने हलफनामा पेश किया : पूर्व में हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्ट्रार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किये थे. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने डीएमई को शाम 4 बजे तक व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश दिये थे. वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का आग्रह हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था. भोपाल से जबलपुर तक का सफर सड़क मार्ग से तय करने के बावजूद डीएमई समय पर हाईकोर्ट में उपस्थित नहीं हो पाये थे. याचिका पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थित डीएमई ने हलफनामा पेश कर युगलपीठ को बताया गया कि पूर्व रजिस्ट्रार सुनीता शिजू को गत शाम भोपाल से इंदौर के लिए रिलीव कर दिया गया है.

कोर्ट को कार्रवाई की जानकारी दी : डीएमई ने कोर्ट को बताया कि पूर्व आदेश के पालन में सुनीता सिजु को नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार के पद से हटाते हुए विभिन्न अनियमिताओं हेतु नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था. जबाव संतोषजनक नहीं होने के कारण उनके खिलाफ विभागीय जांच प्रारंभ कर दी गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आलोक वागरेजा ने युगलपीठ को बताया गया कि पूर्व रजिस्ट्रार का स्थानांतरण 9 जून को इंदौर दिया गया था. कोर्ट की सख्ती के कारण उसे रिलीव किया गया है. सरकार ने स्टेला पीटर को रजिस्ट्रार नियुक्ति किया है. उन्होंने वर्ष 2020 में ग्वालियर संभाग के 46 कॉलेजों का निरीक्षण किया था. उन्होंने ही इन कॉलेजों को मान्यता देने की अनुशंषा की थी.

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70 कॉलेज फर्जी मिले : कोर्ट को ये भी बताया गया कि जांच के दौरान 70 कॉलेज फर्जी पाये गये थे, जिसमें से 16 कॉलेजों को मान्यता प्रदान करने पीटर ने अनुशंसा की थी. पीटर वर्ष 2020 नर्सिंग काउंसिल कार्यकारिणी समिति की सदस्य थी. इस साल 660 कॉलेजों को मान्यता प्रदान की गयी थी. जिसमें से 200 कॉलेज बंद हो गये हैं. फर्जी कॉलेज को मान्यता देने की अनुशंसा करने वाले इंस्पेक्टर्स पर कार्रवाई की बजाय रजिस्ट्रार पद की जिम्मेदारी दी गयी है. इतना ही नहीं दोषियों पर कार्रवाई के संबंध में सिर्फ एक पन्ने का नोटिस दिया जाता है.

जबलपुर। हाईकोर्ट में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई. जबकि वास्तविकता में ये कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. ऐसा कोई कॉलेज नहीं है, जो निर्धारित मापदंड पूरा करता हो. अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ 4-5 कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेजों में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है.

मनमाने तरीके से दी मान्यता : याचिका में ये भी कहा है कि बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है. याचिका की पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि 80 कॉलेज ऐसे हैं, जिसमें एक व्यक्ति को उसी समय कई स्थानों पर काम पर रखा है. 10 कॉलेजों में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य हैं और उन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकड़ों किलोमीटर है. टीचिंग स्टाफ भी एक समय में 5-5 कॉलेज में एक ही समय में सेवा दे रहा है. माइग्रेट फैक्लटी के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किये जाने को मामला हाईकोर्ट के समक्ष उठाया गया था.

डीएमई ने हलफनामा पेश किया : पूर्व में हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्ट्रार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किये थे. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने डीएमई को शाम 4 बजे तक व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश दिये थे. वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का आग्रह हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था. भोपाल से जबलपुर तक का सफर सड़क मार्ग से तय करने के बावजूद डीएमई समय पर हाईकोर्ट में उपस्थित नहीं हो पाये थे. याचिका पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थित डीएमई ने हलफनामा पेश कर युगलपीठ को बताया गया कि पूर्व रजिस्ट्रार सुनीता शिजू को गत शाम भोपाल से इंदौर के लिए रिलीव कर दिया गया है.

कोर्ट को कार्रवाई की जानकारी दी : डीएमई ने कोर्ट को बताया कि पूर्व आदेश के पालन में सुनीता सिजु को नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार के पद से हटाते हुए विभिन्न अनियमिताओं हेतु नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था. जबाव संतोषजनक नहीं होने के कारण उनके खिलाफ विभागीय जांच प्रारंभ कर दी गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आलोक वागरेजा ने युगलपीठ को बताया गया कि पूर्व रजिस्ट्रार का स्थानांतरण 9 जून को इंदौर दिया गया था. कोर्ट की सख्ती के कारण उसे रिलीव किया गया है. सरकार ने स्टेला पीटर को रजिस्ट्रार नियुक्ति किया है. उन्होंने वर्ष 2020 में ग्वालियर संभाग के 46 कॉलेजों का निरीक्षण किया था. उन्होंने ही इन कॉलेजों को मान्यता देने की अनुशंषा की थी.

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70 कॉलेज फर्जी मिले : कोर्ट को ये भी बताया गया कि जांच के दौरान 70 कॉलेज फर्जी पाये गये थे, जिसमें से 16 कॉलेजों को मान्यता प्रदान करने पीटर ने अनुशंसा की थी. पीटर वर्ष 2020 नर्सिंग काउंसिल कार्यकारिणी समिति की सदस्य थी. इस साल 660 कॉलेजों को मान्यता प्रदान की गयी थी. जिसमें से 200 कॉलेज बंद हो गये हैं. फर्जी कॉलेज को मान्यता देने की अनुशंसा करने वाले इंस्पेक्टर्स पर कार्रवाई की बजाय रजिस्ट्रार पद की जिम्मेदारी दी गयी है. इतना ही नहीं दोषियों पर कार्रवाई के संबंध में सिर्फ एक पन्ने का नोटिस दिया जाता है.

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