जबलपुर। एमपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जबलपुर में ऐतिहासिक जीत मिली. जबलपुर के 8 विधायकों में से 7 विधायक भारतीय जनता पार्टी के बने. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्रियों की घोषणा हुई तो उम्मीद थी कि जबलपुर के किसी विधायक को यह मौका मिल सकता है,लेकिन यहां के लोगों को निराशा ही हाथ लगी.अब लोगों को अपेक्षा है कि मंत्रिमंडल में यहां से दो से तीन विधायकों को जगह मिलनी चाहिए.
शिवराज मंत्रिमंडल में भी रहा उपेक्षित: शिवराज मंत्रिमंडल में भी जबलपुर जिले से एक भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया था. उस दौरान भी जबलपुर के कई सीनियर विधायक जिसमें अजय बिश्नोई, अशोक रोहाणी, सुशील इंदू तिवारी इस इंतजार में थे की शिवराज सिंह उन्हें कोई मंत्री पद देंगे. सीएम शिवराज सिंह अंत तक कहते रहे कि वह जबलपुर को मौका जरूर देंगे लेकिन किसी भी विधायक को मंत्री पद नहीं दिया.
कांग्रेस ने कहा उम्मीद कम: कांग्रेस नगर अध्यक्ष जगत बहादुर सिंह ने मंत्रिमंडल को लेकर कहा कि जबलपुर के विधायको को मंत्री बनाया जाए, ऐसी उम्मीद बहुत ही कम है. हम मांग करते हैं कि जबलपुर से कम से कम 3 विधायकों को मंत्री पद दिया जाए. कांग्रेस नगर अध्यक्ष ने कहा कि महाकौशल की हमेशा से उपेक्षा होती रही है. भारतीय जनता पार्टी के विकास की सूची में जबलपुर शामिल नहीं है. जबकि कांग्रेस ने महाकौशल से मुख्यमंत्री दिया था.
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सामाजिक संस्थाओं ने की मांग: कई सामाजिक संस्थाओं ने मिलकर बैठक की और मांग कि है कि जबलपुर को कम से कम दो मंत्री पद दिए जाएं. साथ ही जबलपुर में हर साल कम से कम एक बार कैबिनेट की बैठक करवाई जाए.जबलपुर के समाजसेवी डॉ पीजी नाजपांडे का कहना है कि जबलपुर हमेशा उपेक्षा का शिकार रहा है लेकिन इस बार नए मुख्यमंत्री मोहन यादव से इस बात की उम्मीद है कि वह जबलपुर से कम से कम दो विधायकों को मंत्री पद जरूर दें.