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स्मैक के साथ पकड़े गए व्यक्ति को हाईकोर्ट ने क्यों दी जमानत, जिला कोर्ट ने नहीं दिया था लाभ - district court not give benefit

High Court grant bail person caught with smack: पुलिस ने एक व्यक्ति को 10 ग्राम स्मैक के साथ गिरफ्तार किया था. नियमानुसार पुलिस 60 दिनों में चालान पेश नहीं कर पाई और जिला कोर्ट ने उसे डिफॉल्ट जमानत का लाभ नहीं दिया. इस मामले में अब फरियादी को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है.

जबलपुर हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 26, 2023, 4:34 PM IST

जबलपुर। स्मैक के साथ गिरफ्तार जब एक व्यक्ति को डिफॉल्ट जमानत का लाभ जिला कोर्ट से नहीं मिला तो उसने हाईकोर्ट की शरण ली. हाईकोर्ट जस्टिस डी के पालीवाल ने पाया कि याचिकाकर्ता के पास मिली स्मैक की मात्रा इतनी नहीं है कि वह व्यापार की श्रेणी में आये. एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को जमानत दे दी है.

क्या है मामला: याचिकाकर्ता बृजेश कुमार मिश्रा की तरफ से दायर रिवीजन याचिका में कहा गया कि सीधी जिले के बहरी थाना पुलिस ने उसे 10 ग्राम स्मैक के साथ गिरफ्तार किया था. पुलिस द्वारा 60 दिनों में चालान प्रस्तुत नहीं करने पर उसने जमानत के लिए जिला कोर्ट में आवेदन किया था. जमानत आवेदन को खारिज करते हुए पुलिस के आवेदन पर चालान पेश करने की समय अवधि में बढ़ोतरी करते हुए उसे 90 दिन कर दिया था.इसके बावजूद कोर्ट में पुलिस चालान पेश नहीं कर पाई और जिला कोर्ट ने दोबारा उसके जमानत आवेदन को खारिज करते हुए चालान प्रस्तुत करने के लिए पुलिस को 180 दिन का समय दे दिया. इसके चलते फरियादी ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

हाईकोर्ट ने ये कहते हुए दी जमानत: एकलपीठ ने सुनवाई के बाद पाया कि डिफॉल्ट जमानत आवेदन दायर होने के बाद पुलिस ने चालान समय अवधि बढ़ाने आवेदन प्रस्तुत किया. याचिकाकर्ता को पुलिस के आवेदन पर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर नहीं दिया गया. इसके अलावा आवेदक के पास इतनी मात्रा में स्मैक बरामद नहीं हुई कि वह व्यापार की श्रेणी में आती हो. व्यापार की श्रेणी में बरामद स्मैक के मामले में चालान पेश करने के लिए 180 दिन का समय प्रदान करने का प्रावधान है. इस मामले में पुलिस को निर्धारित 60 दिनों में ही चालान पेश करना था. एकलपीठ ने जिला कोर्ट के निर्णय को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को डिफॉल्ट जमानत प्रदान की.

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क्या है मामला: याचिकाकर्ता बृजेश कुमार मिश्रा की तरफ से दायर रिवीजन याचिका में कहा गया कि सीधी जिले के बहरी थाना पुलिस ने उसे 10 ग्राम स्मैक के साथ गिरफ्तार किया था. पुलिस द्वारा 60 दिनों में चालान प्रस्तुत नहीं करने पर उसने जमानत के लिए जिला कोर्ट में आवेदन किया था. जमानत आवेदन को खारिज करते हुए पुलिस के आवेदन पर चालान पेश करने की समय अवधि में बढ़ोतरी करते हुए उसे 90 दिन कर दिया था.इसके बावजूद कोर्ट में पुलिस चालान पेश नहीं कर पाई और जिला कोर्ट ने दोबारा उसके जमानत आवेदन को खारिज करते हुए चालान प्रस्तुत करने के लिए पुलिस को 180 दिन का समय दे दिया. इसके चलते फरियादी ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

हाईकोर्ट ने ये कहते हुए दी जमानत: एकलपीठ ने सुनवाई के बाद पाया कि डिफॉल्ट जमानत आवेदन दायर होने के बाद पुलिस ने चालान समय अवधि बढ़ाने आवेदन प्रस्तुत किया. याचिकाकर्ता को पुलिस के आवेदन पर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर नहीं दिया गया. इसके अलावा आवेदक के पास इतनी मात्रा में स्मैक बरामद नहीं हुई कि वह व्यापार की श्रेणी में आती हो. व्यापार की श्रेणी में बरामद स्मैक के मामले में चालान पेश करने के लिए 180 दिन का समय प्रदान करने का प्रावधान है. इस मामले में पुलिस को निर्धारित 60 दिनों में ही चालान पेश करना था. एकलपीठ ने जिला कोर्ट के निर्णय को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को डिफॉल्ट जमानत प्रदान की.

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