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हरी मटर को लेकर अब व्यापारियों ने की हड़ताल, बाजार में नहीं होगी खरीद बिक्री - एमपी न्यूज

Green peas matter once again open by merchants: जबलपुर में व्यापारियों ने करोड़ों रुपये के नुकसान के बाद हरी मटर की खरीद ब्रिकी अब बंद कर दी है. व्यापारियों का कहना है कि जब तक प्रशासन सुरक्षा का वादा नहीं करता तब तक मटर की खरीदी नहीं होगी.

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व्यापारियों ने सड़कों पर फेंकी सब्जियां और मटर
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 8, 2023, 6:21 PM IST

कृषि उपज मंडी जबलपुर में हड़ताल

जबलपुर। हरी मटर की खरीद बिक्री व्यापारियों ने बंद कर दी है. व्यापारियों का कहना है कि किसानों की हड़ताल की वजह से उनका करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. इसलिए जब तक प्रशासन पूरी सुरक्षा का वादा नहीं करता है तब तक हरी मटर की खरीद बिक्री नहीं होगी.

8 से 10 करोड़ का नुकसान: 5 दिसंबर को जब जबलपुर की कृषि उपज मंडी के दोनों दरवाजों को बंद करके किसानों ने हड़ताल की.तब उस वक्त मंडी के भीतर लगभग 180 गाड़ी हरी मटर जबलपुर से दूसरे प्रदेशों में जाने के लिए तैयार खड़ी हुई थीं. मटर का कारोबार करने वाले व्यापारी इंद्रेश दुबे ने बताया कि किसानों ने 24 घंटे तक जबलपुर की कृषि उपज मंडी के दरवाजे बंद रखें इसकी वजह से लगभग 8 करोड़ का मटर गाड़ियों में लदे-लदे खराब हो गया. व्यापारियों का नुकसान कौन भरेगा.

सब्जियों का भी नुकसान: सब्जी का कारोबार करने वाले व्यापारी देशराज ठाकुर का कहना है कि किसानों के हंगामे की वजह से केवल मटर का नुकसान नहीं हुआ बल्कि मंडी के भीतर और बाहर कई ट्रकों में दूसरी सब्जियां भी लदी हुईं थीं. जिन्हें बाजार तक पहुंचाना था लेकिन पूरा बाजार बंद होने के कारण टमाटर, कटहल गोभी, शिमला मिर्च जैसी सब्जियां ट्रक में रखे रखे ही खराब हो गईं.

क्या ये मुआवजे का खेल: कृषि उपज मंडी में हरी मटर के किसानों ने इस शर्त पर मंडी खोली थी कि उन्हें ₹700 प्रति बोरे के हिसाब से मुआवजा मिलेगा लेकिन जबलपुर मंडी के सचिव आर के संयम का कहना है कि अभी किसानों को मुआवजा देने के मामले में कोई फैसला नहीं हो पाया है हालांकि कृषि उपज मंडी की ओर से किसानों को ₹700 प्रति क्विंटल के हिसाब से मुआवजा देने की पर्चियां दी गई है.

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जबलपुर की कृषि उपज मंडी

ये भी पढ़ें:

अब क्या होगा: ऐसी स्थिति में बाजार में हरी मटर के दाम बढ़ेंगे और किसानों की फसलें खेत में ही रखी रहेगी. फिलहाल इस गतिरोध को खत्म करने के लिए प्रशासन किसानों और व्यापारियों से लगातार बैठक कर रहा है.

कृषि उपज मंडी जबलपुर में हड़ताल

जबलपुर। हरी मटर की खरीद बिक्री व्यापारियों ने बंद कर दी है. व्यापारियों का कहना है कि किसानों की हड़ताल की वजह से उनका करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. इसलिए जब तक प्रशासन पूरी सुरक्षा का वादा नहीं करता है तब तक हरी मटर की खरीद बिक्री नहीं होगी.

8 से 10 करोड़ का नुकसान: 5 दिसंबर को जब जबलपुर की कृषि उपज मंडी के दोनों दरवाजों को बंद करके किसानों ने हड़ताल की.तब उस वक्त मंडी के भीतर लगभग 180 गाड़ी हरी मटर जबलपुर से दूसरे प्रदेशों में जाने के लिए तैयार खड़ी हुई थीं. मटर का कारोबार करने वाले व्यापारी इंद्रेश दुबे ने बताया कि किसानों ने 24 घंटे तक जबलपुर की कृषि उपज मंडी के दरवाजे बंद रखें इसकी वजह से लगभग 8 करोड़ का मटर गाड़ियों में लदे-लदे खराब हो गया. व्यापारियों का नुकसान कौन भरेगा.

सब्जियों का भी नुकसान: सब्जी का कारोबार करने वाले व्यापारी देशराज ठाकुर का कहना है कि किसानों के हंगामे की वजह से केवल मटर का नुकसान नहीं हुआ बल्कि मंडी के भीतर और बाहर कई ट्रकों में दूसरी सब्जियां भी लदी हुईं थीं. जिन्हें बाजार तक पहुंचाना था लेकिन पूरा बाजार बंद होने के कारण टमाटर, कटहल गोभी, शिमला मिर्च जैसी सब्जियां ट्रक में रखे रखे ही खराब हो गईं.

क्या ये मुआवजे का खेल: कृषि उपज मंडी में हरी मटर के किसानों ने इस शर्त पर मंडी खोली थी कि उन्हें ₹700 प्रति बोरे के हिसाब से मुआवजा मिलेगा लेकिन जबलपुर मंडी के सचिव आर के संयम का कहना है कि अभी किसानों को मुआवजा देने के मामले में कोई फैसला नहीं हो पाया है हालांकि कृषि उपज मंडी की ओर से किसानों को ₹700 प्रति क्विंटल के हिसाब से मुआवजा देने की पर्चियां दी गई है.

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जबलपुर की कृषि उपज मंडी

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अब क्या होगा: ऐसी स्थिति में बाजार में हरी मटर के दाम बढ़ेंगे और किसानों की फसलें खेत में ही रखी रहेगी. फिलहाल इस गतिरोध को खत्म करने के लिए प्रशासन किसानों और व्यापारियों से लगातार बैठक कर रहा है.

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