जबलपुर। हरी मटर की खरीद बिक्री व्यापारियों ने बंद कर दी है. व्यापारियों का कहना है कि किसानों की हड़ताल की वजह से उनका करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. इसलिए जब तक प्रशासन पूरी सुरक्षा का वादा नहीं करता है तब तक हरी मटर की खरीद बिक्री नहीं होगी.
8 से 10 करोड़ का नुकसान: 5 दिसंबर को जब जबलपुर की कृषि उपज मंडी के दोनों दरवाजों को बंद करके किसानों ने हड़ताल की.तब उस वक्त मंडी के भीतर लगभग 180 गाड़ी हरी मटर जबलपुर से दूसरे प्रदेशों में जाने के लिए तैयार खड़ी हुई थीं. मटर का कारोबार करने वाले व्यापारी इंद्रेश दुबे ने बताया कि किसानों ने 24 घंटे तक जबलपुर की कृषि उपज मंडी के दरवाजे बंद रखें इसकी वजह से लगभग 8 करोड़ का मटर गाड़ियों में लदे-लदे खराब हो गया. व्यापारियों का नुकसान कौन भरेगा.
सब्जियों का भी नुकसान: सब्जी का कारोबार करने वाले व्यापारी देशराज ठाकुर का कहना है कि किसानों के हंगामे की वजह से केवल मटर का नुकसान नहीं हुआ बल्कि मंडी के भीतर और बाहर कई ट्रकों में दूसरी सब्जियां भी लदी हुईं थीं. जिन्हें बाजार तक पहुंचाना था लेकिन पूरा बाजार बंद होने के कारण टमाटर, कटहल गोभी, शिमला मिर्च जैसी सब्जियां ट्रक में रखे रखे ही खराब हो गईं.
क्या ये मुआवजे का खेल: कृषि उपज मंडी में हरी मटर के किसानों ने इस शर्त पर मंडी खोली थी कि उन्हें ₹700 प्रति बोरे के हिसाब से मुआवजा मिलेगा लेकिन जबलपुर मंडी के सचिव आर के संयम का कहना है कि अभी किसानों को मुआवजा देने के मामले में कोई फैसला नहीं हो पाया है हालांकि कृषि उपज मंडी की ओर से किसानों को ₹700 प्रति क्विंटल के हिसाब से मुआवजा देने की पर्चियां दी गई है.
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अब क्या होगा: ऐसी स्थिति में बाजार में हरी मटर के दाम बढ़ेंगे और किसानों की फसलें खेत में ही रखी रहेगी. फिलहाल इस गतिरोध को खत्म करने के लिए प्रशासन किसानों और व्यापारियों से लगातार बैठक कर रहा है.