जबलपुर। अपहरण और मारपीट के मामले में पूर्व मंत्री रहे बीजेपी विधायक संजय पाठक और उनके साथियों के खिलाफ न्यायालय में परिवाद दायर किया गया था. अब इसकी सुनवाई करते हुए न्यायाधीश स्नेहा सिंह ने साथियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही विधायक होने के नाते संजय पाठक का प्रकरण जबलपुर के MP-MLA कोर्ट में ट्रांसफर करने के आदेश जारी किए गए हैं.
क्या है मामला: मामला एक पत्रकार के साथ मारपीट करने और अपहरण करने के मामले से जुड़ा है. पत्रकार रवि गुप्ता की ही तरफ से परिवाद दायर किया गया था. इसमें कहा गया है कि 22 से 23 मई को दरम्यानी रात विधायक संजय पाठक और उनके साथी सुधीर मिश्रा, सुधीर मिश्रा, निक्कू सरदार, गुड्डा जैन, मुकेश पांडे, अनुज तिवारी, मनीष पाठक और विनय दीक्षित उसके घर आए थे.
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सभी ने गाली-गलौज और मारपीट करते हुए, जबरदस्ती कार में बैठाया और ले गए थे. उससे एक ढाबे में ले जाकर दोबारा से मारपीट की गई थी. इस मामले में पुलिस में शिकायत की गई, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके बाद परिवाद दायर किया गया था. न्यायालय ने अपने आदेश में प्रथम दृष्टी में अपहरण और मारपीट का मामला मानते हुए, विधायक संजय पाठक के साथियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि विधायक होने के कारण संजय पाठ का प्रकरण जबलपुर के एमपीएमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया जाए.
राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. जिसमें कुल सात लाख 40 हजार 202 मामले सुनवाई के लिये रखे गये थे. जिनमें से सवा लाख मामलों में आपसी रजामंदी से मामलों का निराकरण किया गया. वहीं 4 अरब 80 करोड़ की अवार्ड राशि पारित की गई. ये जानकारी मप्र राज्य विधिक सदस्य सचिव राजीव कर्महे और अतिरिक्त सचिव मनोज कुमार सिंह ने दी.
उन्होंने बताया - हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू के मार्गदर्शन में नेशनल लोक अदालत आयोजित हुई. इसमें न्यायालयों में लंबित एक लाख 92 हजार 811 मामले समझौते के माध्यम से निराकृत करने का लक्ष्य रखा गया था. इनमें से 40 हजार से अधिक मामलों का निराकरण किया गया. साथ ही पांच लाख 47 हजार 391 प्रीलिटिगेशन प्रकरण सुनवाई के लिए रखे गए, जिनमें से 76 हजार से अधिक मामलों पर पक्षकारों को मौके पर समझाइश देते हुए निराकृत किये गये.