जबलपुर। मध्य प्रदेश का पिछला विधानसभा चुनाव किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर लड़ा गया था. कमलनाथ ने वादा किया था कि जैसे ही वे सरकार में आएंगे तो सबसे पहला काम किसानों की कर्जमाफी का किया जाएगा. कमलनाथ ने कुछ कोशिश की भी थी और दो लाख तक के कर्ज को माफ करने के लिए एक रणनीति बनाई थी. कुछ किसानों के कर्ज माफ भी हुए. लेकिन कमलनाथ सरकार गिर गई और एक बार फिर से शिवराज सिंह सत्ता में आए. शिवराज सिंह के सत्ता में आने के बाद लगभग 3 साल तक किसान इंतजार करते रहे कि कर्ज माफी की योजना को आगे बढ़ाएंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
किसान अब भी इंतजार में : सरकार के इंतजार में मध्य प्रदेश के लाखों किसान डिफाल्टर हो गए हैं. अब भी किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनकी तरफ नजरें इनायत करेगी. इस मामले में भाजपा नेता और जबलपुर पाटन से विधायक व पूर्व मंत्री अजय विश्नोई का कहना है कि सरकार किसानों की चिंता कर रही है. उनके कर्ज में ब्याज की माफी देने की घोषणा हो गई है, जिसकी प्रक्रिया अप्रैल से ही शुरू हो जाएगी. इसलिए लोगों को थोड़ा इंतजार और करना चाहिए. वहीं इसी मुद्दे को मध्यप्रदेश विधानसभा में सवाल के जरिए पूछने वाले जबलपुर मध्य के विधायक विनय सक्सेना का कहना है कि कांग्रेस ने जो कोशिश की थी यदि उसको आगे बढ़ाया जाता तो किसान डिफाल्टर नहीं होते.
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किसानों की ये है मांग : वहीं इसी मुद्दे पर भारत कृषक समाज के नेता केके अग्रवाल का कहना है कि कमलनाथ सरकार ने जो कोशिश की थी यदि वह जारी रहती तो किसान मजबूत हो जाते. किसानों की आय बढ़ सकती थी लेकिन इसके आधे अधूरे क्रियान्वयन की वजह से किसानों पर दोहरी मार पड़ी है. अब किसान डिफाल्टर हो गए. किसानों को बैंकों से नए लोन नहीं मिल पा रहे हैं. इसकी वजह से उनका विकास भी रुक गया है. किसानों की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने का काम मध्य प्रदेश सरकार ने किया है. इसके दोषी कमलनाथ भी हैं और शिवराज सिंह भी. अब इसका निदान भी सरकार को ही करना चाहिए और किसानों को डिफाल्टर की श्रेणी से निकालकर नियमित किया जाना चाहिए.