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MP High Court: पात्रता परीक्षा सिर्फ उम्मीदवारों को शॉर्ट लिस्ट करने के लिए, भर्ती प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं

मध्यप्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने अहम आदेश में कहा है कि पात्रता परीक्षा का भर्ती प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं है. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अलुवालिया की एकलपीठ ने कहा है कि पात्रता परीक्षा सिर्फ उम्मीदवारों को शॉर्ट लिस्ट करने के लिए है. एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ मुख्य परीक्षा में न्यूनतम निर्धारित अंक में बदलाव किये जाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया.

MP High Court
पात्रता परीक्षा शॉर्ट लिस्ट के लिए, भर्ती प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं
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Published : Jul 3, 2023, 8:09 PM IST

जबलपुर। याचिकाकर्ता गणेश प्रसाद प्रजापति सहित अन्य 18 लोगों की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया कि हाईस्कूल टीचर पात्रता परीक्षा में एसटी, एससी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस तथा विकलांग वर्ग के लिए न्यूनतम अंक 50 प्रतिशत तथा अन्य के लिए 60 प्रतिशत निर्धारित किए गए थे. इसी आधार पर पात्रता परीक्षा के रिजल्ट भी जारी किये गए. मुख्य परीक्षा के लिए एसटी, एससी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस तथा विकलांग वर्ग के लिए न्यूनतम अंक 40 प्रतिशत तथा अन्य वर्ग के लिए 50 प्रतिशत निर्धारित किये गए हैं.

याचिका में ये तर्क दिए : याचिका में कहा गया कि खेल प्रारंभ होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता. इसलिए मुख्य परीक्षा के लिए न्यूनतम अंक में बदलाव करना अवैधानिक है. इसके अलावा साल 2018 में पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने को भी याचिका में चुनौती दी गयी. सरकार की तरफ से तर्क दिया गया कि पात्रता परीक्षा का आयोजन उम्मीरवारों को शॉर्ट लिस्ट करने किया गया था. पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने वाला अभ्यार्थी किसी रिक्त पद के लिए चयन का पात्र नहीं होगा. वह सिर्फ उस पद पर आयोजित परीक्षा में शामिल होने के लिए योग्य होगा. इस प्रकार एकलपीठ ने याचिका को निरस्त कर दिया.

उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को तलब किया: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अशासकीय महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को सातवें वेतनमान का लाभ दिए जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के पूर्व आदेशों का पालन नहीं होने के मामले को काफी गंभीरता से लिया है. सुनवाई दौरान शासन की ओर से बताया गया कि प्रस्ताव वित्त विभाग के पास लंबित है. जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने पाया कि अभी तक प्राध्यापकों के अभ्यावेदन पर निर्णय नहीं लिया गया. एकलपीठ उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने के निर्देश दिये हैं. वहीं वित्त विभाग के प्रमुख सचिव को सातवें वेतन आयोग का लाभ देने के प्रस्ताव पर लिए गए निर्णय के संबंध में जवाब पेश करने कहा है. मामले पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभय पांडे ने पक्ष रखा.

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दमोह पुलिस को निर्देश : दमोह जिले में पुलिस विभाग द्वारा स्कूल के मुख्य गेट के सामने दीवार खड़ी किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने पुलिस प्रशासन को निर्देशित किया है कि वह स्कूल के मुख्यगेट के सामने खडी की गयी दीवार को तत्काल तोड़े. दमोह जिले के सेंट जॉन्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल की तरफ से याचिका दायर की गई. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की.

जबलपुर। याचिकाकर्ता गणेश प्रसाद प्रजापति सहित अन्य 18 लोगों की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया कि हाईस्कूल टीचर पात्रता परीक्षा में एसटी, एससी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस तथा विकलांग वर्ग के लिए न्यूनतम अंक 50 प्रतिशत तथा अन्य के लिए 60 प्रतिशत निर्धारित किए गए थे. इसी आधार पर पात्रता परीक्षा के रिजल्ट भी जारी किये गए. मुख्य परीक्षा के लिए एसटी, एससी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस तथा विकलांग वर्ग के लिए न्यूनतम अंक 40 प्रतिशत तथा अन्य वर्ग के लिए 50 प्रतिशत निर्धारित किये गए हैं.

याचिका में ये तर्क दिए : याचिका में कहा गया कि खेल प्रारंभ होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता. इसलिए मुख्य परीक्षा के लिए न्यूनतम अंक में बदलाव करना अवैधानिक है. इसके अलावा साल 2018 में पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने को भी याचिका में चुनौती दी गयी. सरकार की तरफ से तर्क दिया गया कि पात्रता परीक्षा का आयोजन उम्मीरवारों को शॉर्ट लिस्ट करने किया गया था. पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने वाला अभ्यार्थी किसी रिक्त पद के लिए चयन का पात्र नहीं होगा. वह सिर्फ उस पद पर आयोजित परीक्षा में शामिल होने के लिए योग्य होगा. इस प्रकार एकलपीठ ने याचिका को निरस्त कर दिया.

उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को तलब किया: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अशासकीय महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को सातवें वेतनमान का लाभ दिए जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के पूर्व आदेशों का पालन नहीं होने के मामले को काफी गंभीरता से लिया है. सुनवाई दौरान शासन की ओर से बताया गया कि प्रस्ताव वित्त विभाग के पास लंबित है. जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने पाया कि अभी तक प्राध्यापकों के अभ्यावेदन पर निर्णय नहीं लिया गया. एकलपीठ उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने के निर्देश दिये हैं. वहीं वित्त विभाग के प्रमुख सचिव को सातवें वेतन आयोग का लाभ देने के प्रस्ताव पर लिए गए निर्णय के संबंध में जवाब पेश करने कहा है. मामले पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभय पांडे ने पक्ष रखा.

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