जबलपुर। MPPSC 2019 की मुख्य परीक्षा के संबंध में दायर की गई अपील पर सुनवाई 13 अप्रैल को निर्धारित की गई है. एमपीपीएससी 2019 की मुख्य परीक्षा के संबंध में एकलपीठ द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गयी थी. दायर अपील में कहा गया था कि एकलपीठ ने एमपीपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. अपील दायर करने में देरी के कारण पर सुनवाई 13 अप्रैल को निर्धारित की गई है. रायसेन निवासी छात्रा उज्जवला दुबे तथा सतना निवासी छात्र शैलेन्द्र सिंह की तरफ से दायर अपील में कहा था कि एकलपीठ ने एमपीपीएससी 2019 परीक्षा में असंशोधित नियम 2015 का पालन करने के निर्देश दिए थे. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि असंशोधित नियम के तहत नवीन सूची में अनारक्षित वर्ग के जिन अभ्यार्थियों का चयन हुआ है, उनके लिए 6 माह में पीएससी विशेष परीक्षा का आयोजित करें.
कोर्ट का आदेश: एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि जिन अभ्यार्थियों का मुख्य परीक्षा में चयन हो गया है और साक्षात्कार के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया है, पुनः परीक्षा उनके साथ अन्याय होगा. जो अभ्यार्थी मुख्य परीक्षा क्लियर नहीं कर पाए हैं, उनके लिए दोबारा का कोई अवसर नहीं है. पुनः मुख्य परीक्षा करवाने में अधिक व्यय होगा, जो जनहित में नहीं है. नवीन सूची के अनुसार चयनित अभ्यार्थियों के लिए विशेष परीक्षा 6 माह में आयोजित की जाए. पूर्व की मुख्य परीक्षा तथा विशेष परीक्षा के परिमाण अनुसार अंतिम सूची तैयार की जाए. एकलपीठ के आदेश के खिलाफ दायर अपील को हाईकोर्ट की युगलपीठ ने खारिज कर दिया था.
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दोबारा दायर की गई थी अपील: एकलपीठ के आदेश के खिलाफ पुनः उक्त अपील दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि प्रारंभ से एमपीपीएससी परीक्षा में असंशेधित नियम का पालन नहीं किया गया है. नियम खिलाफ रिजल्ट जारी किए गए हैं. असंशोधित नियम के तहत रिजल्ट तैयार नहीं किया गया तो पूरी प्रक्रिया ही अवैधानिक है. जिसके कारण एकलपीठ द्वारा अनारक्षित वर्ग के लिए विशेष परीक्षा आयोजित करने का आदेश में अवैधानिक है. यह तथ्य पूर्व में दायर अपील की सुनवाई के दौरान न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया था. अपील की प्रारंभ सुनवाई के बाद युगलपीठ ने नोटिस जारी करते हुए उक्त आदेश जारी किए.