जबलपुर। शिक्षा विभाग की शिकायत पर डिंडौरी जिले के समनापुर पुलिस ने जबलपुर डायोकेसन एजुकेशन के अध्यक्ष बिशप गेराल्ड अलमेडा तथा कोषाध्यक्ष के खिलाफ धोखाधड़ी तथा जुवेनाइल एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया था. जिला न्यायालय डिंडौरी द्वारा अग्रिम जमानत का आवेदन खारिज किए जाने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में दर्ज एफआईआर को खारिज किये जाने और राहत देने की मांग की गई थी. पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने बिशप को राहत दी है.
अगली सुनवाई 24 अप्रैल को : याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ को बताया गया कि याचिकाकर्ताओं पर आरोप है कि उन्होंने सरकार से अनुदान प्राप्त करने के बावजूद बच्चों से फीस की राशि वसूली थी. याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि सिर्फ उन्हीं बच्चों की फीस ली गयी, जो पात्र नहीं थे. सरकार ने जिन बच्चों को अनुदान दिया उन्हे पूरा फायदा मिला, मगर जिनके लिए सरकार की तरफ से कोई राहत राशि नहीं दी गई उन्हे फायदा नहीं मिला. एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को राहत प्रदान करने हुए अगली सुनवाई में केस डायरी व जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किए. याचिका पर अगली सुनवाई 24 अप्रैल को निर्धारित की गयी है.
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डीसीपी सुरेखा को सुप्रीम कोर्ट से झटका : डीएसपी सुरेखा परिवार सहित अन्य पुलिसकर्मियों को 23 साल पूर्व हुए प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय से झटका लगा है. हाईकोर्ट ने अभियोजन की अनुमति नहीं होने कारण जिला न्यायालय द्वारा दर्ज किये गये प्रकरण को खारिज कर दिया था. जिसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की गयी थी. सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस जस्टिस अभय ओका तथा जस्टिस राजेश बिंदल ने अपील को स्वीकार करते हुए कहा है कि अधिकारिक कर्तव्यों का पालन साफ नही होने पर अभियोजन की अनुमति आवश्यक नहीं है. युगलपीठ ने निचली अदालत द्वारा तय आरोप को सही मानते हुए हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया.