जबलपुर। याचिका की सुनवाई के दौरान सोमवार को हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ के समक्ष यूनिवर्सिटी के एग्जाम कंट्रोलर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 14 जून को निर्धारित की है. बता दें कि जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा एमडी-एमएस की मुख्य परीक्षा का आयोजन 6 जून से किया जा रहा है. नियम अनुसार एमडी-एमएस की परीक्षा 36 माह में होनी चाहिए. मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा 34 माह में परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है.
याचिका में ये तर्क दिया : याचिका में कहा गया कि अध्ययन के दौरान कोरोना के कारण जूनियर डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गयी थी. कोरोना के 6 माह तक क्लॉसेस बाधित रहीं. याचिका में कहा गया है कि थीसिस जमा करने के 6 माह बाद परीक्षा का आयोजन किया जाना चाहिए. उनके द्वारा जनवरी में थीसिस जमा की गयी थी. मुख्य परीक्षा का आयोजन निर्धारित 6 माह से पहले किया गया रहा है. नियम के अनुसार थीसिस अप्रूवल होने के तीन माह बाद परीक्षा आयोजित होनी चाहिए. अभी तक जमा की गयी थीसिस को एप्रूवल नहीं दिया गया. थीसिस अप्रूवल के बाद ही परीक्षा में शामिल होने की अनुमति मिलती है.
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जिला कलेक्टर के आदेश को सही ठहराया : फर्जी बैंक गारंटी पेश करने पर शराब दुकान का लायसेंस निरस्त करते हुए कलेक्टर ने नये टेंडर आमंत्रित करने के आदेश जारी किये थे. इस कारण शराब ठेकेदार कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस आलुवालिया तथा जस्टिस एके सिंह ने जिला कलेक्टर के आदेश को सही ठहराते हुए याचिका को निरस्त कर दिया. राठौर एंड मेहता एसोसिएटस की तरफ से तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उनके फर्म में तीन पार्टनर हैं. फर्म में संजीव कुमार मेहता तथा सुरेन्द्र राठौर की 45 प्रतिशत भागीदारी तथा सुशील सिंह की 10 प्रतिशत भागीदारी है. संजीव कुमार ने अपने हिस्से से 15 प्रतिशत की भागीदारी आनंद त्रिपाठी को प्रदान की थी.