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MP High Court: स्क्रीनिंग टेस्ट में नहीं, चयन प्रक्रिया में लागू होता है आरक्षण.. - High Court order on reservation in screening test

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने एक मामले में आदेश जारी करते हुए कहा है कि स्क्रीनिंग टेस्ट में आरक्षण लागू नहीं होता, बल्कि चयन प्रक्रिया में आरक्षण व्यवस्था लागू होती है.

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Published : Jan 3, 2023, 7:37 AM IST

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है कि स्क्रीनिंग टेस्ट में आरक्षण लागू नहीं होता है, स्क्रीनिंग टेस्ट अभ्यार्थियों को शॉर्ट लिस्ट करने की प्रक्रिया है. युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ असिस्टेंट ग्रेड व शीघ्र लेखकों के 1255 पदों पर लागू शत-प्रतिशत कम्युनल आरक्षण सहित महिला तथा दिव्यांगों के लिए आरक्षण लागू नहीं किए जाने के संबंध में दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया.

क्या है मामला: याचिकाकर्ता पुष्पेन्द्र पटैल सहित अन्य की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि, 30 मार्च को हाईकोर्ट (MP High Court) द्वारा जारी प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट में 100 प्रतिशत कम्युनल आरक्षण लागू किया गया है, आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थीयों को अनारक्षित वर्ग में चयनित नहीं किया गया है. आरोप है कि हाईकोर्ट ने उक्त भर्ती प्रक्रिया में असंवैधनिक रूप से आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4 (4) के विरूद्ध रिजल्ट बनाया गया है, जो संविधान के अनुछेद 14 एवं 16 का खुला उल्लंघन है. जो सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच द्वारा इंद्रा शाहनी वनाम भारत संघ के प्रकरण में 1992 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अनारक्षित वर्ग में सिर्फ मेरिटोरियस चाहे किसी भी वर्ग के हों, को ही स्थान चयनित किया जाएगा और उक्त प्रक्रिया परीक्षा के प्रत्येक चरण में लागू की जाएगी.

MP High Court का अहम फैसला, DNA टेस्ट के लिए रेप पीड़िता की सहमति आवश्यक है, अभियुक्त की नहीं

कोर्ट के फैसलों का किया गया उल्लंघन: मध्यप्रदेश उच्च न्यायलय द्वारा भी 7 अप्रैल 2022 को पीएससी परीक्षा से संबंधित प्रकरणो में स्पष्ट रूप से व्यवस्था दी गई है कि अनारक्षित वर्ग का जन्म ही मेरिटोरियस अभ्यार्थियों से ही होता है. मामले में आवेदकों की ओर से न्यायालय को बताया गया कि महिलाओं को 30 फीसदी हॉरिजोंटल आरक्षण का स्पष्ट रूप से प्रावधान होने के बाबजूद भी उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया है और न ही दिव्यांगों के केटेगिरीवाइज प्रथक से मेरिट लिस्ट जारी की गई है, जिसके कारण हॉरिजोंटल रिजर्वेशन प्रवर्ततित नहीं हुआ है तथा हाईकोर्ट द्वारा अनुछेद 15(3) तथा 16 का खुला उल्लंघन किया है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत इंद्रा शाहनी वनाम भरतसंघ, सौरभ यादव वनाम उत्तरप्रदेश राज्य, राजेश कुमार डारिया में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों का उल्लंघन है.

चयन प्रक्रिया में लागू होती है आरक्षण व्यवस्था: युगलपीठ ने पारित आदेशों की व्याख्या करते हुए कहा है जारी विज्ञापन में प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन स्क्रीेनिंग टेस्ट के रूप में किया है. स्क्रीनिंग टेस्ट का आयोजन अभियार्थियों को शॉर्ट लिस्ट करने के लिए किया गया था, इसलिए उसमें आरक्षण लागू नहीं होता है. युगलपीठ ने हाईकोर्ट की प्रक्रिया को सही करार देते हुए अपने आदेश में कहा है कि चयन प्रक्रिया में आरक्षण व्यवस्था लागू होती है.

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है कि स्क्रीनिंग टेस्ट में आरक्षण लागू नहीं होता है, स्क्रीनिंग टेस्ट अभ्यार्थियों को शॉर्ट लिस्ट करने की प्रक्रिया है. युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ असिस्टेंट ग्रेड व शीघ्र लेखकों के 1255 पदों पर लागू शत-प्रतिशत कम्युनल आरक्षण सहित महिला तथा दिव्यांगों के लिए आरक्षण लागू नहीं किए जाने के संबंध में दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया.

क्या है मामला: याचिकाकर्ता पुष्पेन्द्र पटैल सहित अन्य की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि, 30 मार्च को हाईकोर्ट (MP High Court) द्वारा जारी प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट में 100 प्रतिशत कम्युनल आरक्षण लागू किया गया है, आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थीयों को अनारक्षित वर्ग में चयनित नहीं किया गया है. आरोप है कि हाईकोर्ट ने उक्त भर्ती प्रक्रिया में असंवैधनिक रूप से आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4 (4) के विरूद्ध रिजल्ट बनाया गया है, जो संविधान के अनुछेद 14 एवं 16 का खुला उल्लंघन है. जो सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच द्वारा इंद्रा शाहनी वनाम भारत संघ के प्रकरण में 1992 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अनारक्षित वर्ग में सिर्फ मेरिटोरियस चाहे किसी भी वर्ग के हों, को ही स्थान चयनित किया जाएगा और उक्त प्रक्रिया परीक्षा के प्रत्येक चरण में लागू की जाएगी.

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कोर्ट के फैसलों का किया गया उल्लंघन: मध्यप्रदेश उच्च न्यायलय द्वारा भी 7 अप्रैल 2022 को पीएससी परीक्षा से संबंधित प्रकरणो में स्पष्ट रूप से व्यवस्था दी गई है कि अनारक्षित वर्ग का जन्म ही मेरिटोरियस अभ्यार्थियों से ही होता है. मामले में आवेदकों की ओर से न्यायालय को बताया गया कि महिलाओं को 30 फीसदी हॉरिजोंटल आरक्षण का स्पष्ट रूप से प्रावधान होने के बाबजूद भी उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया है और न ही दिव्यांगों के केटेगिरीवाइज प्रथक से मेरिट लिस्ट जारी की गई है, जिसके कारण हॉरिजोंटल रिजर्वेशन प्रवर्ततित नहीं हुआ है तथा हाईकोर्ट द्वारा अनुछेद 15(3) तथा 16 का खुला उल्लंघन किया है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत इंद्रा शाहनी वनाम भरतसंघ, सौरभ यादव वनाम उत्तरप्रदेश राज्य, राजेश कुमार डारिया में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों का उल्लंघन है.

चयन प्रक्रिया में लागू होती है आरक्षण व्यवस्था: युगलपीठ ने पारित आदेशों की व्याख्या करते हुए कहा है जारी विज्ञापन में प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन स्क्रीेनिंग टेस्ट के रूप में किया है. स्क्रीनिंग टेस्ट का आयोजन अभियार्थियों को शॉर्ट लिस्ट करने के लिए किया गया था, इसलिए उसमें आरक्षण लागू नहीं होता है. युगलपीठ ने हाईकोर्ट की प्रक्रिया को सही करार देते हुए अपने आदेश में कहा है कि चयन प्रक्रिया में आरक्षण व्यवस्था लागू होती है.

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