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MP High Court सुसाइड नोट के बारे में हैंड राइटिंग पर अपनी ओपिनियन दे PHQ - हाई कोर्ट ने पुलिस मुख्यालय को दिया आदेश

सुसाइड के मामले में पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं करने पर पीड़ित पत्नी को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. मामले में हाई कोर्ट ने पुलिस मुख्यालय को सुसाइड नोट की हैंड राइटिंग पर ओपनियन देने का आदेश जारी किया है.

MP High Court order to mp phq
सुसाइड नोट के बारे में हैंड राइटिंग पर अपनी ओपिनियन दे पीएचक्यू
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Published : Jan 24, 2023, 11:39 AM IST

जबलपुर। आत्महत्या के तीन माह बाद भी पुलिस मुख्यालय द्वारा सुसाइड नोट के संबंध में हैंडराइटिंग ओपिनियन नहीं दिये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. हाईकोर्ट जस्टिस एमएस भटटी की एकलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए पुलिस मुख्यालय के प्रश्न विभाग के डायरेक्टर को निर्देशित किया है कि एक माह में हैंडराइटिंग ओपिनियन प्रदान करें. याचिकाकर्ता झूमा वर्मा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उनके पति राजू वर्मा आत्महत्या करने खुद को गोली मार ली थी.

सुसाइड नोट का हवाला : उपचार के दौरान उनकी 26 अक्टूबर को मौत हो गयी थी. आत्महत्या करने से पहले उनके पति ने एक सुसाइट नोट लिखा था. सुसाइट नोट में उन्होंने लिखा था कि बालिराम साहा, श्रीमति साहा तथा वंदना अग्रवाल झूठे मामले में फंसाकर उन्हें जेल भिजवाना चाहती थे. जिसके कारण वह आत्महत्या कर रहे हैं. सुसाइड नोट के आधार पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने उन्होने सिविल लाइन थाने में लगातार याचना की. पुलिस अधिकारियों द्वारा पुलिस मुख्यालय के प्रश्न विभाग से हैंडराइटिंग ओपिनियन नहीं मिलने का हवाला दिया जाता रहा.

पुलिस ने अब तक कार्रवाई नहीं की : याचिका में आगे कहा गया है कि उन्होंने प्रदेश के कानून मंत्री, पुलिस मुख्यालय तथा वरिष्ठ अधिकारियों से इस संबंध में याचना की थी. याचिका में कहा गया है कि उनके पति की मृत्यु हुए तीन माह से अधिक का समय गुजर गया. हैंडराइटिंग ओपिनियन नहीं मिलने के कारण पुलिस दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. एकलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए उक्त आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता पंकज दुबे तथा कुणाल दुबे ने पैरवी की.गौरतलब है कि पुलिस की लापरवाही को लेकर अक्सर कोर्ट से फटकार मिलने के बाद भी कार्यप्रणाली पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं.

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जमीन आवंटन मामले में अगली सुनवाई 7 फरवरी को : बरगी हिल्स के समीप प्रदेश सरकार द्वारा आईटी पार्क व सिटी के लिए जमीन आवंटित किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर याचिका पर वापस लेने के बाद हाईकोर्ट स्वंता संज्ञान लेकर इस मामले की सुनवाई कर रहा है. कोर्ट मित्र ने याचिका में संशोधन करने कर राहत चाही. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई 7 फरवरी को निर्धारित की है.

जबलपुर। आत्महत्या के तीन माह बाद भी पुलिस मुख्यालय द्वारा सुसाइड नोट के संबंध में हैंडराइटिंग ओपिनियन नहीं दिये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. हाईकोर्ट जस्टिस एमएस भटटी की एकलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए पुलिस मुख्यालय के प्रश्न विभाग के डायरेक्टर को निर्देशित किया है कि एक माह में हैंडराइटिंग ओपिनियन प्रदान करें. याचिकाकर्ता झूमा वर्मा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उनके पति राजू वर्मा आत्महत्या करने खुद को गोली मार ली थी.

सुसाइड नोट का हवाला : उपचार के दौरान उनकी 26 अक्टूबर को मौत हो गयी थी. आत्महत्या करने से पहले उनके पति ने एक सुसाइट नोट लिखा था. सुसाइट नोट में उन्होंने लिखा था कि बालिराम साहा, श्रीमति साहा तथा वंदना अग्रवाल झूठे मामले में फंसाकर उन्हें जेल भिजवाना चाहती थे. जिसके कारण वह आत्महत्या कर रहे हैं. सुसाइड नोट के आधार पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने उन्होने सिविल लाइन थाने में लगातार याचना की. पुलिस अधिकारियों द्वारा पुलिस मुख्यालय के प्रश्न विभाग से हैंडराइटिंग ओपिनियन नहीं मिलने का हवाला दिया जाता रहा.

पुलिस ने अब तक कार्रवाई नहीं की : याचिका में आगे कहा गया है कि उन्होंने प्रदेश के कानून मंत्री, पुलिस मुख्यालय तथा वरिष्ठ अधिकारियों से इस संबंध में याचना की थी. याचिका में कहा गया है कि उनके पति की मृत्यु हुए तीन माह से अधिक का समय गुजर गया. हैंडराइटिंग ओपिनियन नहीं मिलने के कारण पुलिस दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. एकलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए उक्त आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता पंकज दुबे तथा कुणाल दुबे ने पैरवी की.गौरतलब है कि पुलिस की लापरवाही को लेकर अक्सर कोर्ट से फटकार मिलने के बाद भी कार्यप्रणाली पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं.

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