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MP High Court: वाहन चालकों से सीट बेल्ट व हेलमेट का पालन कराए सरकार, 6 माह की मोहलत

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Published : Jul 11, 2023, 6:18 PM IST

दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट व चार पहिया वालों को सीट बेल्ट बांधना अनिवार्य है. इस मामले को लेकर जबलपुर हाई कोर्ट में फिर सुनवाई हुई. हाई कोर्ट में सरकार ने कार्रवाई की रिपोर्ट रखी. कोर्ट ने सरकार को 6 माह का समय देते हुए कहा है कि अगर इसके बाद भी ऐसा ही रवैया रहा तो अवमानना की कार्रवाई की जाएगी.

drivers follow seat belt and helmet
वाहन चालकों से सीट बेल्ट व हेलमेट का पालन कराए सरकार

जबलपुर। हेलमेट नहीं लगाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई. इस दौरान सरकार की तरफ से कार्रवाई की रिपोर्ट पेश की गई. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने कहा कि सड़क पर हेलमेट लगाये दो पहिया वाहन चालन नजर नहीं आते. कोर्ट ने सरकार को 6 माह का समय देते हुए कहा कि दो पहिया वाहनों के लिए हेलमेट तथा चार पहिया वाहनों में सीट बेल्ट अनिर्वाय रूप से लागू किया जाए. आदेश का पालन नहीं होने पर आयुक्त परिवाहन विभाग तथा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी.

क्या है मामला : विधि छात्रा एश्वर्या शांडिल्य की तरफ से सड़क दुर्घटना में हुई दो व्यक्तियों की मौत का हवाला देते हुए ग्वालियर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. चीफ जस्टिस के निर्देश पर उक्त याचिका सुनवाई के लिए मुख्यपीठ में स्थानांतरित की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि दुर्घटना के समय दो पहिया वाहन चालक हेलमेट लगाये होते तो उनकी मौत नहीं होती. अधिकांश सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से सिर में चोट आने के कारण दो पहिया वाहन सवारों की मौत होती है. याचिका में कहा गया था कि सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालय ने दो पहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेल की अनिर्वायता के संबंध में आदेश जारी किये हैं.

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मैदानी स्तर पर दिखे कार्रवाई : याचिका में ये भी कहा गया कि मोटर व्हीकल एक्ट में भी हेलमेट लगाकर वाहन चलाने का प्रावधान है, जिसका प्रदेश में पालन नहीं किया जाता है. हेलमेल की अनिर्वायता का सख्ती से पालन किया जाए तो सड़क दुर्घटना में मौतों के ग्राफ में कमी आयेगी. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से चालानी कार्रवाई का डेटा पेश किया गया था. इस पर युगलपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि सड़कों पर हेलमेट लगाकर वाहन चलाते लोग नजर नहीं आते हैं. कागजी कार्रवाई नहीं, बल्कि मैदानी कार्रवाई दिखनी चाहिए. युगलपीठ ने सरकार पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई थी. याचिका पर अगली सुनवाई 15 जनवरी को निर्धारित की गयी है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने पैरवी की.

जबलपुर। हेलमेट नहीं लगाने के कारण सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई. इस दौरान सरकार की तरफ से कार्रवाई की रिपोर्ट पेश की गई. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने कहा कि सड़क पर हेलमेट लगाये दो पहिया वाहन चालन नजर नहीं आते. कोर्ट ने सरकार को 6 माह का समय देते हुए कहा कि दो पहिया वाहनों के लिए हेलमेट तथा चार पहिया वाहनों में सीट बेल्ट अनिर्वाय रूप से लागू किया जाए. आदेश का पालन नहीं होने पर आयुक्त परिवाहन विभाग तथा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी.

क्या है मामला : विधि छात्रा एश्वर्या शांडिल्य की तरफ से सड़क दुर्घटना में हुई दो व्यक्तियों की मौत का हवाला देते हुए ग्वालियर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. चीफ जस्टिस के निर्देश पर उक्त याचिका सुनवाई के लिए मुख्यपीठ में स्थानांतरित की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि दुर्घटना के समय दो पहिया वाहन चालक हेलमेट लगाये होते तो उनकी मौत नहीं होती. अधिकांश सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से सिर में चोट आने के कारण दो पहिया वाहन सवारों की मौत होती है. याचिका में कहा गया था कि सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालय ने दो पहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेल की अनिर्वायता के संबंध में आदेश जारी किये हैं.

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मैदानी स्तर पर दिखे कार्रवाई : याचिका में ये भी कहा गया कि मोटर व्हीकल एक्ट में भी हेलमेट लगाकर वाहन चलाने का प्रावधान है, जिसका प्रदेश में पालन नहीं किया जाता है. हेलमेल की अनिर्वायता का सख्ती से पालन किया जाए तो सड़क दुर्घटना में मौतों के ग्राफ में कमी आयेगी. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से चालानी कार्रवाई का डेटा पेश किया गया था. इस पर युगलपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि सड़कों पर हेलमेट लगाकर वाहन चलाते लोग नजर नहीं आते हैं. कागजी कार्रवाई नहीं, बल्कि मैदानी कार्रवाई दिखनी चाहिए. युगलपीठ ने सरकार पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई थी. याचिका पर अगली सुनवाई 15 जनवरी को निर्धारित की गयी है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने पैरवी की.

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