जबलपुर। याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से बताया गया कि एमपीपीएससी अधिकार दावा नहीं होने के संबंध में शपथ-पत्र मांग रहा है. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस हद्वेष की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई की. याचिकाकर्ता शिखा सिंघल व अन्य की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर असंशोधित नियम 2015 के अनुसार एमपीपीएससी की रिवाइज लिस्ट निकाली गयी है. रिवाइज लिस्ट 87:13:13 फार्मूले के आधार पर निकाली गयी है. जिसमें 87 प्रतिशत अभ्यार्थियों का क्लीयर रिजल्ट जारी किया गया है. ओबीसी तथा अनारक्षित वर्ग के 13 प्रतिशत अभ्यार्थियों की लिस्ट जारी की गयी है.
रिवाइज लिस्ट क्यों जारी की : याचिका में कहा गया कि उन्होंने एमपीपीएससी 2019 का मैन एग्जाम क्लीयर कर लिया था और इंटरव्यू का इंतजार कर रहे थे. रिवाइज लिस्ट के बाद उन्हें 13 प्रतिशत अनारक्षित वर्ग में रखा दिया गया. एमपीपीएससी ने प्रारंभिक परीक्षा में मिले अंक के आधार पर रिवाइज लिस्ट जारी की है. मैरिट लिस्ट का निर्धारण एमपीपीएससी मुख्य परीक्षा तथा इंटरव्यू में मिले अंक के आधार पर करता है. हाईकोर्ट ने भी पारित आदेश में प्रारंभिक परीक्षा को स्क्रीनिंग टेस्ट माना है. इसके बावजूद भी प्रारंभिक परीक्षा मिले अंक के आधार पर रिवाइज लिस्ट जारी की गयी है.
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याचिका में ये भी बताया : याचिका की सुनवाई के दौरान बताया गया कि शेष 13 प्रतिशत में सामान्य वर्ग या ओबीसी वर्ग में किसी एक का चयन किया जाएगा. एमपीपीएससी ऐसे अभ्यार्थियों से अधिकार दावा नहीं होने के संबंध में शपथ-पत्र मांगा रहा है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा है कि एमपीपीएससी शपथ-पत्र के संबंध में अंतिम आदेश कोर्ट के अधीन रहेगा. एमपीपीएससी शपथ-पत्र का उपयोग नहीं करेगा. युगलपीठ ने एमपीपीएससी को शपथ-पत्र के साथ जवाब प्रस्तुत करने के आदेश जारी किये हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा ने पैरवी की.