जबलपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा ने आपत्ति के संबंध में हलफनामे के साथ जवाब पेश करने के निर्देश जारी किए हैं. याचिका पर अगली सुनवाई 13 फरवरी को निर्धारित की गई है. बता दें कि मंदसौर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर 23 जुलाई 2016 को न्यायिक अधिकारी राजवर्धन गुप्ता के साथ अभ्रदता करके उनके साथ झूमाझटकी की गई थी. इस पर हाई कोर्ट के तत्कालीन रजिस्ट्रार जनरल मनोहर ममतानी ने पहले प्रारंभिक जांच कराई. प्रारंभिक जांच, समाचार पत्र की संबंधित खबरों, वीडियो क्लिपिंग्स और अन्य साक्ष्यों से श्री गुप्ता पर हुए हमलों की पुष्टि होने पर रजिस्ट्रार जनरल ने पूरा मामला तत्कालीन एक्टिंग चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन के समक्ष पेश किया था. पूर्व में दिए गए आदेशों के बाद भी इस तरह की घटना होने पर चिंता जताते हुए हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिए थे.
सरकार ने पेश की स्टेटस रिपोर्ट : याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को प्रदेश के न्यायालय परिसर में पर्याप्त ऊंचाई की बाउंड्री वॉल तथा पुलिस चौकियों की स्थापना, आवासीय परिसर में न्यायिक अधिकारियों व उनके परिवार की सुरक्षा तथा न्यायालय में सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे. सरकार की तरफ से पेश की गयी स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश के 45 जिला न्यायालय में पर्याप्त ऊंचाई की बाउंड्री वॉल है. तीन जिला न्यायालय में बाउंड्री वॉल की ऊंचाई पर्याप्त नहीं है.
स्टेटस रिपोर्ट में ये जानकारी दी : ये भी बताया गया कि 4 जिला न्यायालय में बाउंडी वॉल नहीं है. इसके अलावा प्रदेश के 6 जिला न्यायालयों में स्थाई तथा 6 जिला न्यायालय में अस्थाई पुलिस चौकियां हैं. आवासीय परिसर में न्यायिक अधिकारियों व उनके परिवार की सुरक्षा के लिए 75 करोड़ रुपये स्वीकृत करने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया है. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की तरफ से नियुक्त अधिवक्ता ने युगलपीठ को बताया गया कि सिर्फ 40 जिला न्यायालय में पर्याप्त ऊंचाई के बाउंडी वॉल हैं. इसके अलावा सरकार की तरफ से पेश स्टेटस रिपोर्ट में अन्य आपत्ति भी प्रस्तुत की गईं. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अधिवक्ता अमित सेठ ने पक्ष रखा.