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MP PSC एग्जाम पर हाईकोर्ट का आदेश, 6 माह में करवाएं नवीन सूची में चयनित अभ्यार्थियों की विशेष परीक्षा - पीएससी एग्जाम पर हाईकोर्ट का आदेश

एमपी लोक सेवा आयोग द्वारा पीएससी 2019 की मुख्य परीक्षा फिर करवाये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने परीक्षा असंशोधित नियम 2015 के तहत करवाने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने नवीन सूची में अनारक्षित वर्ग के जिन अभ्यार्थियों का चयन हुआ है, उनके लिए पीएससी 6 माह में विशेष परीक्षा आयोजित करने की बात कही है.

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जह
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Published : Dec 13, 2022, 10:42 PM IST

Updated : Dec 13, 2022, 11:01 PM IST

जबलपुर। एमपी लोक सेवा आयोग द्वारा पीएससी 2019 की मुख्य परीक्षा फिर करवाये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश की व्याख्या एमपीपीएसी द्वारा मनमाने तरीके से की गयी है. न्यायालय ने अपने आदेश में परीक्षा असंशोधित नियम 2015 के तहत करवाने के निर्देश दिए हैं. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि नवीन सूची में अनारक्षित वर्ग के जिन अभ्यार्थियों का चयन हुआ है, उनके लिए पीएससी 6 माह में विशेष परीक्षा आयोजित करे.

गौरतलब है कि पीएससी 2019 की मुख्य परीक्षा में चयनित 102 अभ्यार्थियों की तरफ से हाईकोर्ट में पांच याचिकाएं दायर की गयी थी. याचिकाओं में कहा गया था कि एमपी पीएससी(MPPSC) ने 2019 की प्रारंभिक परीक्षा परिमाण को रिवाइज करते हुए मुख्य परीक्षा के लिए नई सूची तैयार की है. पूर्व में आयोजित पीएससी 2019 की मुख्य परीक्षा के रिजल्ट को निरस्त कर दिया गया है. मुख्य परीक्षा में उनका चयन हो गया था और इंटरव्यू होना बाकी था. पीएससी के उक्त आदेश के कारण उन्हें फिर से मुख्य परीक्षा में शामिल होना पडे़गा.

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चयनित होने के बाद मुख्य परीक्षा निरस्त करना अन्याय: याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि 571 पदों के लिए 3.6 लाख अभियार्थियों ने आवेदन किया था. पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा जनवरी 2022 में आयोजित की गयी थी. संशोधित नियम 2015 के तहत परीक्षा परिणाम घोषित किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. इस दौरान पीएससी द्वारा मुख्य परीक्षा का आयोजन किया गया था. मुख्य परीक्षा में उनका चयन हो गया है और सिर्फ इंटरव्यू की प्रक्रिया बाकि है. हाईकोर्ट दायर याचिका की सुनवाई करते हुए असंशोधित नियम 2015 का पालन करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने परीक्षा निरस्त करने का आदेश नहीं दिया है. पीएससी परीक्षा 2011,2013 व 2015 के परीक्षा परिमाण में संशोधन कर नवीन अभ्यार्थियों के लिए विशेष परीक्षा का आयोजन किया गया था. चयनित होने के बाद मुख्य परीक्षा का निरस्त करना उनके साथ अन्याय है.

6 माह में विशेष परीक्षा हो आयोजित: एकलपीठ ने आपने आदेश में कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश की व्याख्या एमपीपीएससी ने मनमाने तरीके से करते हुए मुख्य परीक्षा पुन करवाने का निर्णय लिया है. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि प्रारंभिक परीक्षा की रिवाइज लिस्ट में आरक्षित वर्ग के नवयोग्य अभियार्थियों की संख्या 2721 है. मुख्य परीक्षा में अनारक्षित अभ्यार्थियों की संख्या 1918 है. मुख्य परीक्षा में 10767 अभ्यार्थि शामिल हुए थे, जिसमें से 8894 परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाये थे. जिन अभ्यार्थियों का मुख्य परीक्षा में चयन हो गया है और साक्षात्कार के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया है, फिर से परीक्षा उनके साथ अन्याय होगा. जो अभ्यार्थी मुख्य परीक्षा क्लीयर नहीं कर पाये है, उनके लिए दोबारा का कोई अवसर नहीं है. फिर मुख्य परीक्षा करवाने में अधिक व्यय होगा, जो जनहित में नहीं है. पूर्व की भांति नवीन सूची के अनुसार चयनीत अभ्यार्थियों के लिए विशेष परीक्षा 6 माह में आयोजित की जाये. पूर्व की मुख्य परीक्षा तथा विशेष परीक्षा के परिमाण अनुसार अंतिम सूची तैयार की जाये.

जबलपुर। एमपी लोक सेवा आयोग द्वारा पीएससी 2019 की मुख्य परीक्षा फिर करवाये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश की व्याख्या एमपीपीएसी द्वारा मनमाने तरीके से की गयी है. न्यायालय ने अपने आदेश में परीक्षा असंशोधित नियम 2015 के तहत करवाने के निर्देश दिए हैं. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि नवीन सूची में अनारक्षित वर्ग के जिन अभ्यार्थियों का चयन हुआ है, उनके लिए पीएससी 6 माह में विशेष परीक्षा आयोजित करे.

गौरतलब है कि पीएससी 2019 की मुख्य परीक्षा में चयनित 102 अभ्यार्थियों की तरफ से हाईकोर्ट में पांच याचिकाएं दायर की गयी थी. याचिकाओं में कहा गया था कि एमपी पीएससी(MPPSC) ने 2019 की प्रारंभिक परीक्षा परिमाण को रिवाइज करते हुए मुख्य परीक्षा के लिए नई सूची तैयार की है. पूर्व में आयोजित पीएससी 2019 की मुख्य परीक्षा के रिजल्ट को निरस्त कर दिया गया है. मुख्य परीक्षा में उनका चयन हो गया था और इंटरव्यू होना बाकी था. पीएससी के उक्त आदेश के कारण उन्हें फिर से मुख्य परीक्षा में शामिल होना पडे़गा.

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चयनित होने के बाद मुख्य परीक्षा निरस्त करना अन्याय: याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि 571 पदों के लिए 3.6 लाख अभियार्थियों ने आवेदन किया था. पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा जनवरी 2022 में आयोजित की गयी थी. संशोधित नियम 2015 के तहत परीक्षा परिणाम घोषित किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. इस दौरान पीएससी द्वारा मुख्य परीक्षा का आयोजन किया गया था. मुख्य परीक्षा में उनका चयन हो गया है और सिर्फ इंटरव्यू की प्रक्रिया बाकि है. हाईकोर्ट दायर याचिका की सुनवाई करते हुए असंशोधित नियम 2015 का पालन करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने परीक्षा निरस्त करने का आदेश नहीं दिया है. पीएससी परीक्षा 2011,2013 व 2015 के परीक्षा परिमाण में संशोधन कर नवीन अभ्यार्थियों के लिए विशेष परीक्षा का आयोजन किया गया था. चयनित होने के बाद मुख्य परीक्षा का निरस्त करना उनके साथ अन्याय है.

6 माह में विशेष परीक्षा हो आयोजित: एकलपीठ ने आपने आदेश में कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश की व्याख्या एमपीपीएससी ने मनमाने तरीके से करते हुए मुख्य परीक्षा पुन करवाने का निर्णय लिया है. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि प्रारंभिक परीक्षा की रिवाइज लिस्ट में आरक्षित वर्ग के नवयोग्य अभियार्थियों की संख्या 2721 है. मुख्य परीक्षा में अनारक्षित अभ्यार्थियों की संख्या 1918 है. मुख्य परीक्षा में 10767 अभ्यार्थि शामिल हुए थे, जिसमें से 8894 परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाये थे. जिन अभ्यार्थियों का मुख्य परीक्षा में चयन हो गया है और साक्षात्कार के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया है, फिर से परीक्षा उनके साथ अन्याय होगा. जो अभ्यार्थी मुख्य परीक्षा क्लीयर नहीं कर पाये है, उनके लिए दोबारा का कोई अवसर नहीं है. फिर मुख्य परीक्षा करवाने में अधिक व्यय होगा, जो जनहित में नहीं है. पूर्व की भांति नवीन सूची के अनुसार चयनीत अभ्यार्थियों के लिए विशेष परीक्षा 6 माह में आयोजित की जाये. पूर्व की मुख्य परीक्षा तथा विशेष परीक्षा के परिमाण अनुसार अंतिम सूची तैयार की जाये.

Last Updated : Dec 13, 2022, 11:01 PM IST
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