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FIR की कॉपी के नाम बंद होगी लूट ! अब प्राथमिकी दर्ज होने के 24 घंटे में वेबसाइट पर होगी अपलोड

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 9, 2024, 11:11 AM IST

MP High Court News: जबलपुर के एक निवासी ने लोकायुक्त द्वारा दर्ज की जाने वाली FIR को पब्लिक डोमेन में सार्वजनिक नहीं किये जाने को लेकर एक याचिका दायर की गई थी. याचिका पर सुनवाई के दौरान लोकायुक्त संगठन ने ये माना कि अब FIR दर्ज होने के 24 घंटे में इसे वेबसाइट पर अपलोड किया जायेगा.

MP High Court News
एमपी हाईकोर्ट न्यूज

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लोकायुक्त द्वारा दर्ज की जाने वाली एफआईआर पब्लिक डोमेन में सार्वजनिक नहीं किये जाने को चुनौती दी गई थी. लोकायुक्त की तरफ से चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को बताया गया कि एफआईआर दर्ज होने के 24 घंटों के अंदर उसे वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जायेगा. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका का निराकरण कर दिया.

लोकायुक्त संगठन एफआईआर दर्ज करने के बाद भी इसे सार्वजनिक नहीं कर रहा

जबलपुर निवासी विशाल बघेल की तरफ से दायर एक याचिका में कहा गया था कि सीआरपीसी की धारा 156 के तहत दर्ज होने वाली सभी एफआईआर को सार्वजनिक किए जाने की व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट ने दी थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बाद सीबीआई जैसी शीर्ष जांच एजेंसी ने दर्ज होने वाली एफआईआर को सार्वजनिक करना शुरू कर दिया है. वहीं, लोकायुक्त संगठन द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद भी इसे सार्वजनिक नहीं की जा रही है. याचिका में कहा गया था कि यदि एफआईआर सार्वजनिक होने लगेगी, तो वहां पर प्राथमिकी की कॉपी के नाम पर आरोपित तौर पर होने वाली लूट बंद हो जायेगी. मामले में लोकायुक्त संगठन को आवश्यक निर्देश दिए जाने की राहत चाही गई है.

ये भी पढ़ें

लोकायुक्त संगठन अब FIR दर्ज होने के 24 घंटे में वेबसाइट पर अपलोड करेगा

पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान लोकायुक्त की तरफ से कहा गया कि राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके लोकायुक्त को एफआईआर सार्वजनिक करने से छूट प्रदान की है. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान लोकायुक्त द्वारा एफआईआर दर्ज होने के बाद 24 घंटो में उसे वेबसाइट में अपलोड करने की बात कही, जिसके बाद युगलपीठ ने याचिका का निराकरण कर दिया.

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लोकायुक्त द्वारा दर्ज की जाने वाली एफआईआर पब्लिक डोमेन में सार्वजनिक नहीं किये जाने को चुनौती दी गई थी. लोकायुक्त की तरफ से चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को बताया गया कि एफआईआर दर्ज होने के 24 घंटों के अंदर उसे वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जायेगा. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका का निराकरण कर दिया.

लोकायुक्त संगठन एफआईआर दर्ज करने के बाद भी इसे सार्वजनिक नहीं कर रहा

जबलपुर निवासी विशाल बघेल की तरफ से दायर एक याचिका में कहा गया था कि सीआरपीसी की धारा 156 के तहत दर्ज होने वाली सभी एफआईआर को सार्वजनिक किए जाने की व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट ने दी थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बाद सीबीआई जैसी शीर्ष जांच एजेंसी ने दर्ज होने वाली एफआईआर को सार्वजनिक करना शुरू कर दिया है. वहीं, लोकायुक्त संगठन द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद भी इसे सार्वजनिक नहीं की जा रही है. याचिका में कहा गया था कि यदि एफआईआर सार्वजनिक होने लगेगी, तो वहां पर प्राथमिकी की कॉपी के नाम पर आरोपित तौर पर होने वाली लूट बंद हो जायेगी. मामले में लोकायुक्त संगठन को आवश्यक निर्देश दिए जाने की राहत चाही गई है.

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