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MP High Court हत्या के मामले में मुख्य गवाह के पक्षद्रोही होने के बावजूद आजीवन कारावास की सजा को सही करार दिया - हत्या के मामले में मुख्य गवाह के पक्षद्रोही

मुख्य गवाह सहित अन्य अभियोजन साक्षी के पक्षद्रोही होने के बावजूद (Murder case key witness turn) जिला न्यायालय द्वारा पत्नी की हत्या के मामले को पति को दंडित किये जाने को हाईकोर्ट ने सही ठहराया है. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस पीसी गुप्ता की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि घर में पति अकेले थे और पत्नी का शव शयन कक्ष में मिला था. अभियुक्त पत्नी की मौत के संबंध में कोई सफाई नहीं दे पाया.

Life sentence right in murder case despite key witness turn
क्षद्रोही होने के बावजूद आजीवन कारावास की सजा को सही करार दिया
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Published : Dec 28, 2022, 2:32 PM IST

जबलपुर। हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता राम प्रसाद यादव की तरफ से दायर अपील में पन्ना जिला न्यायालय द्वारा पत्नी की हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा से दंडित किये जाने को चुनौती दी गयी थी. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि उस पर आरोप है कि उसने 24 मार्च 2009 को घर के शयन कक्ष में पत्नी की सब्बल मारकर हत्या कर दी. इसकी रिपोर्ट राम कुमार ने शाह नगर थाने में दर्ज करवाई थी.

MP High Court का अहम फैसला, DNA टेस्ट के लिए रेप पीड़िता की सहमति आवश्यक है, अभियुक्त की नहीं

याचिकाकर्ता ने ये दलील पेश की : अभियोजन के अनुसार घटना के दो चश्मदीद गवाह राम कुमार तथा उसकी मां मनुकिया बाई थी. न्यायालय में सुनवाई के दौरान दोनों चश्मदीद गवाह पक्षद्रोही हो गये थे. इसके बावजूद न्यायालय ने साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है. युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि पक्षद्रोही होने के बावजूद दो चश्मदीद गवाह ने अपने बयान में कहा है कि घटना के समय अपीलकर्ता व उसकी पत्नी घर में अकेले थी. अपीलकर्ता ने अपने मुल्जिम बयान में कहा है कि पत्नी की मौत कैसे हुई, उसे नहीं मालूम. युगलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा है कि जिला न्यायालय ने सक्षय व कानून के निर्धारित मापदंड के अनुसार सजा से दंडित किया है, जो उचित है.

जबलपुर। हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता राम प्रसाद यादव की तरफ से दायर अपील में पन्ना जिला न्यायालय द्वारा पत्नी की हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा से दंडित किये जाने को चुनौती दी गयी थी. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि उस पर आरोप है कि उसने 24 मार्च 2009 को घर के शयन कक्ष में पत्नी की सब्बल मारकर हत्या कर दी. इसकी रिपोर्ट राम कुमार ने शाह नगर थाने में दर्ज करवाई थी.

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याचिकाकर्ता ने ये दलील पेश की : अभियोजन के अनुसार घटना के दो चश्मदीद गवाह राम कुमार तथा उसकी मां मनुकिया बाई थी. न्यायालय में सुनवाई के दौरान दोनों चश्मदीद गवाह पक्षद्रोही हो गये थे. इसके बावजूद न्यायालय ने साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है. युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि पक्षद्रोही होने के बावजूद दो चश्मदीद गवाह ने अपने बयान में कहा है कि घटना के समय अपीलकर्ता व उसकी पत्नी घर में अकेले थी. अपीलकर्ता ने अपने मुल्जिम बयान में कहा है कि पत्नी की मौत कैसे हुई, उसे नहीं मालूम. युगलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा है कि जिला न्यायालय ने सक्षय व कानून के निर्धारित मापदंड के अनुसार सजा से दंडित किया है, जो उचित है.

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