जबलपुर। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त करने ऑनलाइन सुविधा प्रारंभ नहीं किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को सुनवाई के दौरान बताया गया कि राज्य सूचना आयोग ने ऑनलाइन सॉफ्टवेयर तैयार कर आम जनता के लिए उपलब्ध करवा दिया है. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की है.
लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन की याचिका : मध्य प्रदेश लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट विशाल बघेल की तरफ से दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि संसद द्वारा 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सरकार से सवाल पूछने का हक दिया गया था. कानून में प्रावधान किया गया था कि आरटीआई एक्ट की धारा 6 के अनुसार कोई भी व्यक्ति एक लिखित आवेदन, ऑनलाइन अथवा अन्य युक्ति से प्रेषित कर सरकार से दस्तावेज या जानकारी मांग सकता है. इसके अलावा अधिनियम की धारा 7(1) में यह भी प्रावधान है कि अगर जानकारी किसी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ी हुई है तो वह 48 घंटे में प्रदान की जानी चाहिए.
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याचिका में ये तथ्य रखे : याचिका में कहा गया है कि इन प्रावधानों का पालन बगैर ऑनलाइन व्यवस्था किए संभव नहीं है. भारत सरकार ने वर्ष 2013 में आरटीआई पोर्टल बनाकर आवेदन हेतु ऑनलाइन व्यवस्था दी है. केंद्रीय सूचना आयोग ने भी अपीलों एवं शिकायतों हेतु ऑनलाइन पोर्टल बनाया है. मध्यप्रदेश राज्य ने लंबे पत्राचार के बाद साल 2021 में ऑनलाइन पोर्टल है, परंतु उसमें सभी विभागों और शासकीय कार्यलयों को जोड़ा नहीं गया है. जिससे कारण नागरिक ऑनलाइन आवेदन की सुविधा से वंचित हैं. मध्य राज्य सूचना आयोग के वेब पोर्टल में आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत अपील व शिकायत प्रस्तुत करने की ऑनलाइन सुविधा नहीं है. याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयोग की तरफ से उक्त जानकारी पेश की गयी. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेजा ने पैरवी की.