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MP High Court: सरकारी कर्मचारी को दूसरे विवाह के लिए शासन की अनुमति आवश्यक

जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि सरकारी कर्मचारी को पहली पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरा विवाह करने करने के लिए सरकार से अनुमति लेना जरुरी है. जस्टिस विवेक अग्रवाल ने अपने आदेश में कहा है कि वैध तलाक लिए बिना दूसरी महिला से शादी कर पत्नी बनाने और उसके आधार पर सरकारी सुविधा का लाभ लेने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है. एकलपीठ ने अपने आदेश के साथ एक महिला के पेंशन की मांग से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया.

MP High Court
दूसरे विवाह के लिए शासन की अनुमति आवश्यक
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Published : Apr 4, 2023, 1:39 PM IST

Updated : Apr 4, 2023, 5:32 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में मंडला की एक याचिकाकर्ता बतासिया मरावी ने अपने पति के मौत के बाद पेंशन में पहली पत्नी के साथ धनराशि के बराबर बंटवारे के लिए याचिका दायर की. याचिका में कहा गया कि परिवारिक पेंशन के लिए उसने पुलिस अधीक्षक मंडला के समक्ष आवेदन पेश किया था. पुलिस अधीक्षक द्वारा आवेदन खारिज किये जाने के कारण उक्त याचिका हाईकोर्ट में दायर की गयी है. याचिका में कहा गया कि महिला का पति मंडला जिले के मोतीनाला पुलिस थाने में एएसआई था. उनकी पहली शादी रेन बाई नाम की महिला से हुई थी, जो फिलहाल डिंडौरी में शिक्षिका हैं. बतासिया से उन्होने दूसरी शादी की थी.

दूसरी पत्नी ने याचिका में ये दलीलें दीं : महिला ने बताया कि उसके पति की मौत 7 सितंबर 2021 को हो गई. सर्विस रिकॉर्ड तथा पेंशन प्रकरण में पहली पत्नी का नाम दर्ज है और दोनों की फोटो लगी हुई है. पहली पत्नी ने नोटरी के समक्ष तलाक दिया था. याचिकाकर्ता ने कोर्ट में स्वेच्छा से दिये गये नोटराइज तलाकनामा की ओरिजिनल कॉपी भी पेशी की. उसने कोर्ट में यह भी कहा कि पहली पत्नी और उसके पति के बीच मौत के 15 साल पहले से ही कोई संबंध नहीं था. ऐसे में नियम के अनुसार दोनों पत्नियां पेंशन की हकदार हैं. इसलिए पेंशन की राशि दोनों को आधी-आधी प्रदान की जाए.

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याचिका खारिज : इस मामले में शासन की तरफ से तर्क दिया गया कि पहली पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी करने के लिए सरकारी कर्मचारी को शासन से अनुमति लेना आवश्यक है. नोटराइज किया हुआ शपथ-पत्र वैध तलाक का दस्तावेज नहीं माना जा सकता. बिना लीगल तलाक लिए दूसरी शादी कोर्ट में मान्य नहीं है. लिहाजा दूसरी पत्नी को इस मामले में पति की मौत के बाद किसी भी प्रकार का वैधानिक अधिकार हासिल नहीं है. याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया. सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से अधिवक्ता मानस वर्मा ने पैरवी की.

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में मंडला की एक याचिकाकर्ता बतासिया मरावी ने अपने पति के मौत के बाद पेंशन में पहली पत्नी के साथ धनराशि के बराबर बंटवारे के लिए याचिका दायर की. याचिका में कहा गया कि परिवारिक पेंशन के लिए उसने पुलिस अधीक्षक मंडला के समक्ष आवेदन पेश किया था. पुलिस अधीक्षक द्वारा आवेदन खारिज किये जाने के कारण उक्त याचिका हाईकोर्ट में दायर की गयी है. याचिका में कहा गया कि महिला का पति मंडला जिले के मोतीनाला पुलिस थाने में एएसआई था. उनकी पहली शादी रेन बाई नाम की महिला से हुई थी, जो फिलहाल डिंडौरी में शिक्षिका हैं. बतासिया से उन्होने दूसरी शादी की थी.

दूसरी पत्नी ने याचिका में ये दलीलें दीं : महिला ने बताया कि उसके पति की मौत 7 सितंबर 2021 को हो गई. सर्विस रिकॉर्ड तथा पेंशन प्रकरण में पहली पत्नी का नाम दर्ज है और दोनों की फोटो लगी हुई है. पहली पत्नी ने नोटरी के समक्ष तलाक दिया था. याचिकाकर्ता ने कोर्ट में स्वेच्छा से दिये गये नोटराइज तलाकनामा की ओरिजिनल कॉपी भी पेशी की. उसने कोर्ट में यह भी कहा कि पहली पत्नी और उसके पति के बीच मौत के 15 साल पहले से ही कोई संबंध नहीं था. ऐसे में नियम के अनुसार दोनों पत्नियां पेंशन की हकदार हैं. इसलिए पेंशन की राशि दोनों को आधी-आधी प्रदान की जाए.

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याचिका खारिज : इस मामले में शासन की तरफ से तर्क दिया गया कि पहली पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी करने के लिए सरकारी कर्मचारी को शासन से अनुमति लेना आवश्यक है. नोटराइज किया हुआ शपथ-पत्र वैध तलाक का दस्तावेज नहीं माना जा सकता. बिना लीगल तलाक लिए दूसरी शादी कोर्ट में मान्य नहीं है. लिहाजा दूसरी पत्नी को इस मामले में पति की मौत के बाद किसी भी प्रकार का वैधानिक अधिकार हासिल नहीं है. याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया. सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से अधिवक्ता मानस वर्मा ने पैरवी की.

Last Updated : Apr 4, 2023, 5:32 PM IST
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