जबलपुर। सरकार द्वारा 38 साल पहले जमीन का पट्टा देते हुए भूमि स्वामी का अधिकार प्रदान किया गया. अब उसे अतिक्रमणकारी बताते हुए आशियाना उजाडा जा रहा है. वृध्द आदिवासी महिला द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस अंजली पालो की युगलपीठ ने कार्रवाई पर रोक लगाते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
हॉस्टल बनाने की योजना : टीकमगढ निवासी 68 वर्षीय आदिवासी महिला दुर्जी बाई की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि सरकार द्वारा साल 1985 में उसे ग्राम देरी में जमीन प्रदान की थी, जिसका खसरा क्रमांक 1668/1 है. सरकार द्वारा जमीन का पट्टा तथा भूमि स्वामी का अधिकार भी प्रदान किया गया था. आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा उसके गांव में हॉस्टल बनाया जा रहा है, जिसके लिए खसरा क्रमांक 1668 की जमीन आवंटित की गयी है. याचिका में कहा गया है कि तहसीलदार द्वारा मार्च 2023 में उसे नोटिस जारी किया गया है.
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प्रशासन के नोटिस पर स्टे : तहसीलदार के नोटिस में उसे अतिक्रमणकारी बताते हुए जमीन खाली करने के आदेश दिये गये हैं. नोटिस में कहा गया है कि सरकारी जमीन से वह अपना अतिक्रमण हटा लें. याचिका में प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग, आदिवासी कल्याण विभाग, जिला कलेक्टर, तहसीलदार सहित अन्य को अनावेदक बनाया गया है. युगलपीठ ने जारी नोटिस पर स्थगन आदेश जारी करने हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जबाव मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता धर्मेन्द्र सोनी ने पैरवी की.