जबलपुर। हाईकोर्ट ने महिला से शादी के नाम पर शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति को धोखा माना है. कोर्ट ने कहा कि यह दूषित भावना के तहत सोच समझकर किया गया कृत्य है जिसका मकसद किसी रिश्ते में जाना नहीं बल्की महिला के साथ झूठ बोलकर उसका शोषण करना है. इसी आधार पर एमपी हाईकोर्ट ने FIR खारिज करने की मांग करने वाली याचिका को क्वैश कर दिया है. दरअसल, याचिकाकर्ता ने HC में बलात्कार के अपराध में दर्ज FIR को खारिज किए जाने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस सुजय पॉल ने पाया कि शादी का वादा करने के बाद ही युवती शख्स से शारीरिक संबंध स्थापित करने सहमत हुई थी. कोर्ट में एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि झूठा वादा कर सहमत्ति प्राप्त करना गलत और दूषित मानसिकता है.
युवक ने दायर की थी याचिका: नर्मदापुरम के भानपुर निवासी योगेन्द्र कुमार राजपूत की तरफ से यह याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि BSC फाइनल ईयर की एक छात्रा ने उसके खिलाफ बलात्कार की FIR मई 2020 में दर्ज करवाई थी. दोनों व्यस्क हैं और उन्होने आपसी सहमत्ति से फिजिकल रिलेशन बनाए थे. एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि दोनों के बीच पिछले कुछ साल से प्रेम संबंध थे. पीडिता से याचिकाकर्चा ने शादी का वादा किया था जिससे बाद में वो मुकर गया. कोर्ट ने माना कि वादा अच्छे विश्वास के साथ किया जाता है, और बाद में वादे के एवज में किसी भी किस्म का फायदा लेने के बाद अगर उसे पूरा नहीं किया जाता तो यह गलत है. एकलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि झूठा वादा कर सहमत्ति प्राप्त करना गलत धारण से दूषित होता है.
कोर्ट ने चायिकाकर्ता को क्या कहा: मामले में सुनवाई को दौरान कोर्ट ने साफ कहा कि मामूली किस्म का वादा तोड़ना और शादी जैसे गंभीर मामले में झूठा वादा कर किसी महिला का फायदा उठाना और फिर उस वादे को तोड़ देने में अंतर है. लिहाजा कोर्ट इस आधार पर याचिकाकर्ता को FIR से छूट नहीं दे सकता.
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बिना अनुमति के संचालित हो रहे मैरिज गार्डन: छतरपुर जिले के नौगांव शहर में एक दर्जन से अधिक मैरिज गार्डन संचालित हो रहे हैं. संचालित सभी शादी हालों और मैरिज गार्डनों में शासन एवं कोर्ट द्वारा निर्धारित गाइड लाइन का पालन नहीं हो रहा है. 4 मई से शुरू हो रहे शादी के शुभ मुहर्तों में इन शादी गार्डनों में मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. बिना अनुमति के संचालित हो रहे इन मैरिज गार्डनों में आगजनी, अथवा भगदड़ जैसी स्थिति निर्मित होने से बचाव के कोई साधन नहीं हैं. जिसके चलते मैरिज गार्डन संचालक बेखौफ होकर आयोजन कराएंगे और लाखों रूपये कमाकर शहर में गंदगी सहित ध्वनी प्रदूषण फैलाकर वातावरण प्रदूषित करेंगे.
नगर पालिका ने नहीं की कार्रवाई: हाईकोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार मैरिज गार्डन संचालक अगर गाइडलाइन को फॉलो नहीं करते तो नगर पालिका प्रशासन तुरंत उस अवैध मैरिज गार्डन को बंद करने के निर्देश दे सकता है. लेकिन नगर पालिका प्रशासन ने मैरिज गार्डन संचालकों को नोटिस तो एक वर्ष पूर्व जारी कर दिए, पर आज तक किसी भी मैरिज गार्डन संचालक पर गाइडलाइन का पालन न करने को लेकर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया.