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MP High Court : गोवंश की दुर्दशा व सड़कों पर आवारा घूम रहे जानवरों के मामले में हाई कोर्ट ने दी चार सप्ताह की मोहलत - हाई कोर्ट ने दी चार सप्ताह की मोहलत

मप्र हाईकोर्ट ने मवेशियों की तस्करी, गौशाला की दुर्दशा सहित सड़कों पर घूमने वाले आवारा जानवरों संबंधी मामलों को गंभीरता से लिया है. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने दायर मामलों में सुनवाई करते हुए कहा है कि सिर्फ कम्पलायंस रिपोर्ट पेश करने से समस्या का हल नहीं होगा. इसके लिये ठोस योजना के साथ कार्रवाई की जाए. इसके लिये युगलपीठ ने चार सप्ताह की मोहलत प्रदान की है. (Cattle and stray animals case) (Court gave four weeks govt)

MP High Court
आवारा घूम रहे जानवरों के मामले में हाई कोर्ट ने दी चार सप्ताह की मोहलत
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Published : Nov 3, 2022, 1:23 PM IST

जबलपुर। भोपाल में चार साल की बच्ची पर आवारा कुत्तों द्वारा किये गये हमले को हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया. जबलपुर के गोकलपुर निवासी व्यवसायी ब्रजेन्द्र लक्ष्मी यादव की ओर से याचिका भी दायर की गई. आवारा जानवरों के संबंध में पूर्व में हुए आदेश का पालन न होने को लेकर अवमानना याचिका सतीश वर्मा की ओर से वर्ष 2009 में दायर की गई थी. बृजेन्द्र लक्ष्मी की ओर से दायर मामले में कहा गया है कि 12 नवम्बर 2019 को उन्होंने दो हजार मवेशियों को दमोह जिले के तेंदूखेड़ा से गुजरते हुए देखा. कई मवेशियों के पैरों से खून रिस रहा था.

गोवंश की दुर्दशा का जिक्र : याचिका में बताया गया कि ये सभी मवेशी स्लाटर के लिए नागपुर के रास्ते हैदराबाद भेजे जा रहे थे. पशुओं के साथ की जा रही क्रूरता की शिकायत किए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की गई थी. वहीं दूसरा मामला पूर्णिमा शर्मा की ओर से वर्ष 2018 में हाईकोर्ट को लिखे गये पत्र के रूप में दायर हुआ था. इसकी जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की जा रहीं है. इसमें कहा गया था कि कांजीहाउस व गौशाला में जिन जानवरों को रखा जाता है, वहां पर्याप्त जगह नहीं है और अधिकांश जगह का सीमेंटीकरण है. इसके अलावा न तो उनके खाने-पीने की उचित व्यवस्था है और न ही उपचार की व्यवस्था.

MP GOVT ने अभी तक लागू नहीं किया संशोधित मोटर व्हीकल एक्टस हाई कोर्ट ने दो सप्ताह का समय दिया

सड़कों पर घूम रहे हैं मवेशी : याचिका में आरोप है कि उक्त स्थल हो या फिर सड़क पर घूमने वाले जानवरों की उचित देखभाल की कोई व्यवस्था नही है. पूर्व में सरकार की तरफ से पेश किये गये जवाब में कहा गया था कि सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों पर उनके मालिकों पर जुर्माने की कार्रवाई का प्रावधान है. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि सरकार की कार्रवाई सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. रोजाना हाइवे में 15-20 मवेशियों की सड़क हादसों में मौत हो रही है. (Cattle and stray animals case) (Court gave four weeks govt)

जबलपुर। भोपाल में चार साल की बच्ची पर आवारा कुत्तों द्वारा किये गये हमले को हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया. जबलपुर के गोकलपुर निवासी व्यवसायी ब्रजेन्द्र लक्ष्मी यादव की ओर से याचिका भी दायर की गई. आवारा जानवरों के संबंध में पूर्व में हुए आदेश का पालन न होने को लेकर अवमानना याचिका सतीश वर्मा की ओर से वर्ष 2009 में दायर की गई थी. बृजेन्द्र लक्ष्मी की ओर से दायर मामले में कहा गया है कि 12 नवम्बर 2019 को उन्होंने दो हजार मवेशियों को दमोह जिले के तेंदूखेड़ा से गुजरते हुए देखा. कई मवेशियों के पैरों से खून रिस रहा था.

गोवंश की दुर्दशा का जिक्र : याचिका में बताया गया कि ये सभी मवेशी स्लाटर के लिए नागपुर के रास्ते हैदराबाद भेजे जा रहे थे. पशुओं के साथ की जा रही क्रूरता की शिकायत किए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की गई थी. वहीं दूसरा मामला पूर्णिमा शर्मा की ओर से वर्ष 2018 में हाईकोर्ट को लिखे गये पत्र के रूप में दायर हुआ था. इसकी जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की जा रहीं है. इसमें कहा गया था कि कांजीहाउस व गौशाला में जिन जानवरों को रखा जाता है, वहां पर्याप्त जगह नहीं है और अधिकांश जगह का सीमेंटीकरण है. इसके अलावा न तो उनके खाने-पीने की उचित व्यवस्था है और न ही उपचार की व्यवस्था.

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सड़कों पर घूम रहे हैं मवेशी : याचिका में आरोप है कि उक्त स्थल हो या फिर सड़क पर घूमने वाले जानवरों की उचित देखभाल की कोई व्यवस्था नही है. पूर्व में सरकार की तरफ से पेश किये गये जवाब में कहा गया था कि सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों पर उनके मालिकों पर जुर्माने की कार्रवाई का प्रावधान है. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि सरकार की कार्रवाई सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. रोजाना हाइवे में 15-20 मवेशियों की सड़क हादसों में मौत हो रही है. (Cattle and stray animals case) (Court gave four weeks govt)

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