जबलपुर। वर्ष 1997 में गढ़ा डोंडवाना संरक्षण समिति व अन्य की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि जबलपुर के 37 तालाबों में से सात विलुप्त हो गये हैं. दस तालाब व्यक्तिगत हैं तथा 20 तालाबों के संरक्षण की जिम्मेदारी सरकार की है. सरकार द्वारा सिर्फ 14 जलस्त्रोत के लिए राशि का आवंटन किया गया. हाईकोर्ट ने साल सितम्बर 2014 में एस्पो को तालाब संरक्षण के लिए निर्देशित किया था.
जलाशय का कम ही क्षेत्र बचा : इस योजना के कार्यवाहन के लिए एस्पो को 6 माह का समय दिया गया था. वहीं याचिकाकर्ता कर्नल ए के रामनाथन की ओर से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि खंदारी जलाशय से शहर में पानी की जल सप्लाई की जाती है. खंदारी जलाशय कई दशकों से शहर के लोगों की प्यास बुझा रहा है. भारत राजपत्र 1908, खंडारी झील का जलग्रहण क्षेत्र 13.597 वर्ग किमी, जो 3.360 एकड़ के लगभग है. हवाई अड्डा विस्तार सहित परियोजनाओं के लिए खंदारी जलाशय की 40.88 प्रतिशत जमीन आवंटित की गयी है और 59.12 क्षेत्र ही बचा है.
डुमना विस्तारीकरण पर रोक लगाई थी : याचिका में कहा गया कि इसके अलावा अन्य योजनाओं के तहत नगर निगम जमीन का आवंटन किया गया है, जो प्रारंभ नहीं हुई है. युगलपीठ ने अपने आदेश में इन योजनाओं के लिए दूसरी जगह जमीन प्रदान करने के निर्देश जारी किये थे. युगलपीठ ने एस्पो व नीरी को अनावेदक बनाये जाने के आवेदन को स्वीकार करते हुए उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. युगलपीठ ने डुमना विस्तारीकरण के लिए आवंटित जमीन में ही निर्माण जारी रखने के अलावा अन्य निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी.
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कैचमेंट का हवाला दिया : नीरी की तरफ से पेश की गयी रिपोर्ट में बताया गया था कि डुमना क्षेत्र में प्रस्तावित स्पोर्ट्स सिटी निर्माण का जो दूसरा प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, उसे खंदारी जलाशय के वॉटर कैचमेंट का एरिया आ रहा है. सुनवाई के दौरान आईआईआईटी निर्माण के लिए संरक्षित भूमि आवंटित किये जाने को गंभीरता से लेते हुए भूमि संबंधित रिकॉर्ड पेश करने आदेश जारी किये गए. High Court question, Asked government, land of Khandari pond, Given to IIIT