जबलपुर। ईटीवी भारत की ख़बर का बड़ा असर हुआ है. केंद्र सरकार ने एपिड योजना के तहत दिव्यांगों की सुविधा और उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से बैटरी चलित ट्राइसाइकिल दी थी. लेकिन वह ट्राइसाइकिल चन्द दिनों में ही खराब हो गई. जिसको लेकर दिव्यांगों ने कलेक्टर का घेराव किया था. दिव्यांगों की परेशानी को देखते हुए ईटीवी भारत ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी. जिससे प्रशासन की काफी किरकिरी हुई और नतीजा यह हुआ कि निःशक्त जन आयुक्त ने इस मामले को गम्भीरता से लिया है. (etv bharat News impact)
कंपनी को सुधार का आदेश
सरकार द्वारा दी गई ट्राइसाइकिल दिव्यांगों के लिए मुसीबत का सबब बन गई थी. चंद दिनों में ट्राइसाइकिल की बैटरी खराब हो रही थी, जिससे दिव्यांग परेशान थे. वहीं निशक्तजन आयुक्त संदीप रजक भी मान रहे हैं कि दिव्यांगों को सुविधा के लिए जो बैटरी चलित ट्राइसाइकिल दी गई थी उसमें काफी समस्या आ रही है. उसके निराकरण के लिए आर्टिफिशियल मैन्युफैक्चरिंग कारपोरेशन को हिदायत दी गई है की ट्राई साइकिल में सुधार किया जाए. जिससे दिव्यांग इस समस्या से निजात पा सकें.
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ई-रिक्शा देने की तैयारी
संदीप रजक का कहना है कि दिव्यांगों को ट्राईसाइकिल की जगह ई रिक्शा (mp government orders e rikshaw to divyang) देने की भी कोशिश की जा रही है. हालांकि ई-रिक्शा अलग योजना के तहत देने का प्रावधान है. पर निशक्तजन विभाग केंद्र सरकार से संपर्क कर प्रयास कर रहा है कि दिव्यांगों को ई रिक्शा मुहैया करवाया जा सके जिससे कि वह अपने रोजगार को स्थापित कर सकें.
दिव्यांग बोले, हमारे पास पैसे होते तो सरकार से क्यों मांगते मदद
दिव्यांगों की परेशान को देखते हुए उन्हें ट्राई साइकिल दी गई थी, लेकिन आए दिन बैटरी खराब हो जाती है और जब कंपनी जाते हैं तो वहां पर हजारों रुपए बैटरी के मांगे जाते हैं. एक दिव्यांग ने बताया कि अगर हमारे पास पैसे ही होते तो फिर सरकार से मदद क्यों लेते. उन्होंने कहा कि युवा लोग किसी तरह धक्का लगाकर ट्राई साइकिल चला लेते हैं पर बुजुर्ग और महिलाएं तो इससे बहुत परेशान हो गई हैं. हमारी सरकार से मांग है कि ट्राई साइकिल की जगह हमें ई-रिक्शा दिया जाए जिससे कि हम अपना रोजगार कर अपने परिवार को पाल सकें.