जबलपुर। एमपी विधानसभा चुनाव में इस बार कुछ अलग ही रंग देखने मिल रहे हैं. सबसे ज्यादा चर्चाओं में इस बार भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं. बीजेपी की तीन लिस्ट में नाम न आने के बाद यह चर्चा उठने लगी कि क्या पार्टी शिवराज से किनारा कर रही है. इन चर्चाओं के बाद कई मौकों पर सीएम शिवराज जज्बाती होते हुए भी दिखे. बीते दिन पीएम मोदी के जबलपुर दौरे पर एक बार फिर सीएम शिवराज जज्बाती होते हुए जनता से पूछा कि वह कैसे मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्होंने कैसी सरकार चलाई है. जिसके बाद अब फिर से यह सवाल उठ रहे हैं क्या वे पीएम को अपनी काबिलियत साबित करने की कोशिश कर रहे थे, या फिर इस तरफ इशारा कर रहे थे कि अब उनके जाने का वक्त आ गया है, लेकिन वह फेल होकर नहीं, बल्कि पास होकर जा रहे हैं.
पीएम के सामने CM ने पूछा कैसी सरकार चलाई: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जबलपुर की सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अपने भाषण के दौरान जनता से जवाब मांगा कि हमने अच्छी सरकार चलाई या बुरी सरकार चलाई. फिर उन्होंने जनता से अपील की कि वे दोनों हाथ उठाकर मेरे इस सवाल का जवाब दें. शिवराज सिंह ने अपने सवाल को फिर से दोहराया और पीछे तक बैठी हुई जनता को फिर आवाहन किया कि भाइयों और बहनों आप बताओ कि मैंने अच्छी सरकार चलाई या बुरी सरकार चलाई. इस सवाल के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान थोड़े जज्बाती होते भी नजर आए.
पीएम को समझाने की शिवराज कर रहे कोशिश: मुख्यमंत्री का यह सवाल किसके लिए था, वह किसे यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि उन्होंने अच्छी सरकार चलाई है. दरअसल मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैठे हुए थे और ऐसा लग रहा था कि मुख्यमंत्री शिवराज उन्हें यह समझाने की कोशिश कर रहे थे की एमपी में शिवराज सिंह चौहान ने अब तक बहुत अच्छी सरकार चलाई है. दरअसल इस समय मध्य प्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बदलने की चर्चा चल रही है. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव 2023 के लिए कोई चेहरा घोषित नहीं किया है. वहीं दूसरी तरफ जिन सांसदों को प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उतर गया है, वे इस बात का इशारा कर रहे हैं कि यदि पार्टी सरकार बनाने में सफल रहती है, तो वह ही एमपी की बागडोर संभालेंगे.
दिग्गजों के जमीन पर उतरने के बाद सीएम फेस के लिए कई चेहरे: प्रहलाद पटेल अपने बयानों में यह बोल चुके हैं कि प्रदेश में संसाधनों की कमी नहीं है. यदि अच्छी टीम होगी, तो मध्य प्रदेश का और अधिक विकास संभव है. दूसरी तरफ कैलाश विजयवर्गीय ने भी अपने बयानों में इशारा किया है कि उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. फग्गन सिंह कुलस्ते के क्षेत्र में भी आदिवासी मुख्यमंत्री की चर्चा जोरों पर है, ग्वालियर में तो मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार हैं. नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया. इन सबसे हटकर यदि हम बाकी सांसदों पर भी नजर डालें तो ऐसी संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह अपनी पसंद के किसी सांसद को मुख्यमंत्री बना सकते हैं. इसमें किसी की भी लॉटरी खुल सकती है.
अच्छे का अच्छा होना चाहिए नतीजा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जबलपुर द्वारा शिवराज सिंह चौहान के साथ आचार संहिता के पहले अंतिम सरकारी कार्यक्रम भी माना जा सकता है. जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी काबिलियत नरेंद्र मोदी के सामने पेश करने की कोशिश कर रहे थे. उनके इस सवाल में एक जवाब भी छुपा हुआ था कि आखिर उन्हें हटाने की चर्चा क्यों की जा रही है. उन्होंने अच्छी सरकार चलाई है और अच्छी सरकार चलाने का नतीजा अच्छा होना चाहिए.
प्रियंका ने शिवराज पर कसा तंज: वहीं विपक्ष भी लगातार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर निशाना साध रहे हैं. बीजेपी की 3 लिस्ट में नाम न आने पर बीजेपी महाकुंभ में भोपाल दौरे के वक्त पीएम द्वारा शिवराज का नाम न लिए जाने पर विपक्ष हमलावर है. प्रदेश कांग्रेस नेता के साथ अब कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी मुख्यमंत्री पर तंज कसा. गुरुवार को धार दौरे पर जनता को संबोधित करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा था कि "पीएम मोदी अब सीएम शिवराज का नाम नहीं लेते, लगता है उन्हें शर्म आती है."