जबलपुर। मध्य प्रदेश सरकार की खनिज की खनन नीति 1996 में 22 जनवरी 2021 को संशोधन किया गया है. खनन नीति में पहले इस बात का जिक्र था कि अगर किसी को गौण खनिज के खनन का पट्टा चाहिए तो उसकी अंतिम अनुमति खनिज विभाग के अधिकारी दिया करते थे. लेकिन अब इस नियम में संशोधन के बाद इस अनुमति के पहले खनिज विभाग का मंत्री अनुमति देगा और इसे अनिवार्य किया गया है.
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नीति में परिवर्तन भ्रष्टाचार के लिए यह परिवर्तन कई सवाल खड़े कर रहा है. आखिर मंत्री से अनुमति क्यों जरूरी, क्या मंत्री को खनिज विभाग का तकनीकी ज्ञान होता है. यदि कोई गलत अनुमति दी जाती है तो मंत्री पर क्या उत्तरदायित्व निर्धारित किया गया है. अगर मंत्री अनुमति देगा तो इसमें भ्रष्टाचार की पूरी संभावना है. इसके साथ ही जब यह अनुमति अधिकारी दिया करते थे तो अधिकारी सरकारी नियमों के तहत बंधे हुए रहते थे लेकिन मंत्री पर सरकारी नियमों का इतना दबाव नहीं होता था.
जबलपुर की समाज सेवी संस्था नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच का कहना है नियम में यह परिवर्तन गलत है और इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा. भाई भतीजावाद बढ़ेगा इसलिए सरकार इस नियम को वापस नहीं लेती है तो इसके खिलाफ वे हाईकोर्ट में अल्ट्रा वायरस पिटिशन लगाएंगे.