जबलपुर। हनुमानताल इलाके में बड़ी खेरमाई का मंदिर है. नवरात्रि में इस पुरातन मंदिर में 9 दिनों तक लाखों लोग पूजा करने के लिए आते हैं. पिछले साल ही इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया है. माता पर लोगों की ऐसी आस्था है कि पुनर्निर्माण में लोगों ने खुलकर दान किया. मंदिर को नए सिरे से करोड़ों रुपए की लागत लगाकर सुंदर नक्काशी से सजाकर बनाया गया है.
बड़ी खेरमाई मंदिर का इतिहास
सदियों पहले गढ़ा नाम का एक बहुत बड़ा गांव था. गढ़ा में 52 तालाब थे और लगभग 52 मंदिर थे. सभी तालाबों और मंदिरों का निर्माण अलग-अलग राजाओं ने अलग-अलग समय में करवाया था. बताया जाता है कि गढ़ा में उत्तर-पूर्व से आने का एक रास्ता था, जहां खेर और बाहेर के दो पेड़ लगे थे. सदियों पहले इस इलाके के राजा ने काले पत्थर की बनी मूर्तियों की स्थापना करवाई थी, इसलिए शक्ति की प्रतीक माता को खेरमाई के नाम से जाना गया. खेरमाई के इस मंदिर पर लोगों की बड़ी आस्था है और नवरात्रि के दौरान यहां 40 से 50 हजार लोग रोजाना आते हैं. मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी का कहना है कि यहां मांगी हुई हर मनोकामना जरूर पूरी होती है, इसलिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है.