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सदियों पुराना है शक्ति का प्रतीक माता बड़ी खेरमाई का मंदिर, लोगों की है गहरी आस्था

जबलपुर में शक्ति का प्रतीक माता बड़ी खेरमाई का मंदिर है. यहां मांगी हुई हर मनोकामना जरूर पूरी होती है. नवरात्रि में रोजाना 40 से 50 हजार लोग खेरमाई के दर्शन करने आते हैं.

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Published : Sep 27, 2019, 1:21 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 3:23 PM IST

शक्ति की प्रतीक माता बड़ी खेरमाई

जबलपुर। हनुमानताल इलाके में बड़ी खेरमाई का मंदिर है. नवरात्रि में इस पुरातन मंदिर में 9 दिनों तक लाखों लोग पूजा करने के लिए आते हैं. पिछले साल ही इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया है. माता पर लोगों की ऐसी आस्था है कि पुनर्निर्माण में लोगों ने खुलकर दान किया. मंदिर को नए सिरे से करोड़ों रुपए की लागत लगाकर सुंदर नक्काशी से सजाकर बनाया गया है.

शक्ति की प्रतीक माता बड़ी खेरमाई

बड़ी खेरमाई मंदिर का इतिहास

सदियों पहले गढ़ा नाम का एक बहुत बड़ा गांव था. गढ़ा में 52 तालाब थे और लगभग 52 मंदिर थे. सभी तालाबों और मंदिरों का निर्माण अलग-अलग राजाओं ने अलग-अलग समय में करवाया था. बताया जाता है कि गढ़ा में उत्तर-पूर्व से आने का एक रास्ता था, जहां खेर और बाहेर के दो पेड़ लगे थे. सदियों पहले इस इलाके के राजा ने काले पत्थर की बनी मूर्तियों की स्थापना करवाई थी, इसलिए शक्ति की प्रतीक माता को खेरमाई के नाम से जाना गया. खेरमाई के इस मंदिर पर लोगों की बड़ी आस्था है और नवरात्रि के दौरान यहां 40 से 50 हजार लोग रोजाना आते हैं. मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी का कहना है कि यहां मांगी हुई हर मनोकामना जरूर पूरी होती है, इसलिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है.

जबलपुर। हनुमानताल इलाके में बड़ी खेरमाई का मंदिर है. नवरात्रि में इस पुरातन मंदिर में 9 दिनों तक लाखों लोग पूजा करने के लिए आते हैं. पिछले साल ही इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया है. माता पर लोगों की ऐसी आस्था है कि पुनर्निर्माण में लोगों ने खुलकर दान किया. मंदिर को नए सिरे से करोड़ों रुपए की लागत लगाकर सुंदर नक्काशी से सजाकर बनाया गया है.

शक्ति की प्रतीक माता बड़ी खेरमाई

बड़ी खेरमाई मंदिर का इतिहास

सदियों पहले गढ़ा नाम का एक बहुत बड़ा गांव था. गढ़ा में 52 तालाब थे और लगभग 52 मंदिर थे. सभी तालाबों और मंदिरों का निर्माण अलग-अलग राजाओं ने अलग-अलग समय में करवाया था. बताया जाता है कि गढ़ा में उत्तर-पूर्व से आने का एक रास्ता था, जहां खेर और बाहेर के दो पेड़ लगे थे. सदियों पहले इस इलाके के राजा ने काले पत्थर की बनी मूर्तियों की स्थापना करवाई थी, इसलिए शक्ति की प्रतीक माता को खेरमाई के नाम से जाना गया. खेरमाई के इस मंदिर पर लोगों की बड़ी आस्था है और नवरात्रि के दौरान यहां 40 से 50 हजार लोग रोजाना आते हैं. मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी का कहना है कि यहां मांगी हुई हर मनोकामना जरूर पूरी होती है, इसलिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है.

Intro:जबलपुर की बड़ी खेरमाई माता का मंदिर महाकौशल इलाके का आस्था का एक बड़ा केंद्र नवरात्रि में लाखों लोग करते हैं पूजा


Body:जबलपुर के हनुमान ताल इलाके में बड़ी खेरमाई का मंदिर है नवरात्रि में इस पुरातन मंदिर मैं 9 दिनों तक लाखों लोग पूजा करने के लिए आते हैं

जबलपुर सदियों पहले एक बहुत बड़ा गांव हुआ करता था इस गांव का नाम गढ़ा था हालांकि इस बड़े गांव में भी 52 ताल तालाब थे और लगभग 52 ही मंदिर थे इन तालाबों और मंदिरों का निर्माण अलग-अलग समय में अलग अलग राजाओं ने करवाया था किसी जमाने में पत्थरों और कंक्रीट की इस पूरे इलाके में यही संरचनाएं हुआ करती थी बाकी घर मिट्टी और खपरैल हुआ करते थे चारों तरफ हरियाली थी आसपास की पहाड़ियां और जंगल इस पूरे इलाके को सुंदर बनाते थे समय बदला तो लोगों ने जंगल काटकर और पहाड़ियों पर घर बनाना शुरू कर दिए यहां तक कि तालाबों को भी मिट्टी से भर के कॉलोनियों बना ली उस जमाने की याद के केवल मंदिर बचे हैं इन्हीं में से एक है जबलपुर का बड़ी खेरमाई का मंदिर ऐसा माना जाता है की गढ़ा नाम के गांव में उत्तर पूर्व से आने का एक रास्ता था यही खेर और बाहेर के दो पेड़ लगे थे और सदियों पहले इस इलाके के राजा ने काले पत्थर की बनी मूर्तियों की स्थापना करवाई थी इसलिए शक्ति की प्रतीक माता को खेरमाई के नाम से जाना गया खेरमाई के इस मंदिर पर लोगों की बड़ी आस्था है और नवरात्रि के दौरान यहां 40 से 50000 लोग रोज आते हैं मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी का कहना है यहां मांगी हुई हर मनोकामना जरूर पूरी होती है इसीलिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है


Conclusion:बीते साल इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया है माता पर लोगों की ऐसी आस्था है की पुनर्निर्माण में लोगों ने खुलकर दान किया और करोड़ों रुपए की लागत से सुंदर नक्काशी के साथ नए सिरे से मंदिर बनाया गया है
Last Updated : Sep 27, 2019, 3:23 PM IST
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