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कोरोना काल के बीच मलेरिया का 'अटैक', जबलपुर में मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या - Jabalpur dengue patients increased

जबलपुर में अब कोरोना के साथ मलेरिया के मरीजों में भी इजाफा हो रहा है. जिसके चलते चिकित्सक लोगों को सलाह दे रहे हैं कि शुरूआती लक्षण आने पर समय रहते जांच कराएं.

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जबलपुर में मलेरिया अटैक
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Published : Aug 29, 2020, 12:50 PM IST

जबलपुर। एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है. वहीं मौसमी बिमारियों ने भी अटैक करना शुरू कर दिया है. अब प्रदेश में मलेरिया-डेंगू और चिकनगुनिया ने भी पैर पसारना शुरू कर दिया है. हालांकि कोरोना वायरस से विपरीत मलेरिया-डेंगू और चिकनगुनिया का इलाज संभव है. वहीं चिकित्सक लगातार लोगों को सलाह दे रहे हैं कि मलेरिया को अनदेखा न करें, यह बीमारी भी जानलेवा साबित हो सकती है.

जबलपुर में मलेरिया अटैक

जबलपुर जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और एल्गिन अस्पताल में भी कोरोना के मरीजों के साथ मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों में इजाफा हुआ है. जिला अस्पताल में पदस्थ मलेरिया जांच अधिकारी बताते हैं कि जुलाई-अगस्त माह में अन्य बीमारियों ने भी दस्तक देना शुरू कर दिया है. जिला अस्पताल में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया में बढ़ोतरी हुई है. एक दिन में ही 40 से 50 मलेरिया-डेंगू की प्लेट्स बनाई जा रही हैं, जिसमें कुछ केस पॉजिटिव भी सामने आए हैं.

मलेरिया जांच अधिकारी सीएन शुक्ला बताते हैं कि कोरोना काल के समय मलेरिया, डेंगू के मरीजों में भी इजाफा हुआ है. हालांकि कोरोना और मलेरिया के लक्षण अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों ही बहुत ही घातक हैं. कोरोना में आया हुआ बुखार जहां लगातार बना रहता है. वहीं मलेरिया-डेंगू से आया बुखार हर आधे घंटे में चढ़ता-उतरता रहता है. डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया का समय पर इलाज नहीं होता है, तो इन बीमारियों से भी जान जा सकती है.

जिला मलेरिया अधिकारी डॉक्टर अजय कुरील बताते हैं कि वर्तमान में कोरोना वायरस को लेकर लोगों के मन में भय बना हुआ है. यही वजह है कि अगर किसी को ठंड के साथ बुखार आ रहा है, तो वह यह समझता है कि उसे कोरोना वायरस का बुखार है. लिहाजा लोग मलेरिया का टेस्ट करवाने से भी डर रहे हैं. जबकि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया भी उतना ही खतरनाक है, जितना कि कोरोना वायरस. ऐसे में अगर समय रहते हो बुखार का इलाज नहीं करवाया जाता है, तो जान पर बन आ सकती है.

मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया से बचाव

मच्छरों को पनपने से रोकें. जितना संभव हो उतना ही घर के अंदर रहे, विशेष रूप से रात के समय जब मच्छर अधिक सक्रिय होते हैं. मच्छरदानी का उपयोग करें. कीट रिपेलेंट परमेथ्रिन के साथ मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.

ऐसे कपड़े पहनें जो आपके शरीर के अधिकांश भाग को ढक सके. डीट या पिकारिदिन युक्त कीट से बचने वाली क्रीम का प्रयोग करें, ये त्वचा पर सीधे लगाईं जाती है (मुंह और आंखों को छोड़कर). यदि आप पिकारिडिन-आधारित रिपेलेंट चुनते हैं, तो आपको उसे हर कुछ घंटों में फिर लगाने की आवश्यकता होगी. कपड़ों पर परमेथ्रिन लगाएं.

वर्तमान में मलेरिया से सुरक्षा प्रदान कराने वाली कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, इसलिए आपको रोग होने की संभावना को कम करने के लिए मलेरिया विरोधी दवा (antimalarial medication) लेनी चाहिए.

जबलपुर। एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है. वहीं मौसमी बिमारियों ने भी अटैक करना शुरू कर दिया है. अब प्रदेश में मलेरिया-डेंगू और चिकनगुनिया ने भी पैर पसारना शुरू कर दिया है. हालांकि कोरोना वायरस से विपरीत मलेरिया-डेंगू और चिकनगुनिया का इलाज संभव है. वहीं चिकित्सक लगातार लोगों को सलाह दे रहे हैं कि मलेरिया को अनदेखा न करें, यह बीमारी भी जानलेवा साबित हो सकती है.

जबलपुर में मलेरिया अटैक

जबलपुर जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और एल्गिन अस्पताल में भी कोरोना के मरीजों के साथ मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों में इजाफा हुआ है. जिला अस्पताल में पदस्थ मलेरिया जांच अधिकारी बताते हैं कि जुलाई-अगस्त माह में अन्य बीमारियों ने भी दस्तक देना शुरू कर दिया है. जिला अस्पताल में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया में बढ़ोतरी हुई है. एक दिन में ही 40 से 50 मलेरिया-डेंगू की प्लेट्स बनाई जा रही हैं, जिसमें कुछ केस पॉजिटिव भी सामने आए हैं.

मलेरिया जांच अधिकारी सीएन शुक्ला बताते हैं कि कोरोना काल के समय मलेरिया, डेंगू के मरीजों में भी इजाफा हुआ है. हालांकि कोरोना और मलेरिया के लक्षण अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों ही बहुत ही घातक हैं. कोरोना में आया हुआ बुखार जहां लगातार बना रहता है. वहीं मलेरिया-डेंगू से आया बुखार हर आधे घंटे में चढ़ता-उतरता रहता है. डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया का समय पर इलाज नहीं होता है, तो इन बीमारियों से भी जान जा सकती है.

जिला मलेरिया अधिकारी डॉक्टर अजय कुरील बताते हैं कि वर्तमान में कोरोना वायरस को लेकर लोगों के मन में भय बना हुआ है. यही वजह है कि अगर किसी को ठंड के साथ बुखार आ रहा है, तो वह यह समझता है कि उसे कोरोना वायरस का बुखार है. लिहाजा लोग मलेरिया का टेस्ट करवाने से भी डर रहे हैं. जबकि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया भी उतना ही खतरनाक है, जितना कि कोरोना वायरस. ऐसे में अगर समय रहते हो बुखार का इलाज नहीं करवाया जाता है, तो जान पर बन आ सकती है.

मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया से बचाव

मच्छरों को पनपने से रोकें. जितना संभव हो उतना ही घर के अंदर रहे, विशेष रूप से रात के समय जब मच्छर अधिक सक्रिय होते हैं. मच्छरदानी का उपयोग करें. कीट रिपेलेंट परमेथ्रिन के साथ मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.

ऐसे कपड़े पहनें जो आपके शरीर के अधिकांश भाग को ढक सके. डीट या पिकारिदिन युक्त कीट से बचने वाली क्रीम का प्रयोग करें, ये त्वचा पर सीधे लगाईं जाती है (मुंह और आंखों को छोड़कर). यदि आप पिकारिडिन-आधारित रिपेलेंट चुनते हैं, तो आपको उसे हर कुछ घंटों में फिर लगाने की आवश्यकता होगी. कपड़ों पर परमेथ्रिन लगाएं.

वर्तमान में मलेरिया से सुरक्षा प्रदान कराने वाली कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, इसलिए आपको रोग होने की संभावना को कम करने के लिए मलेरिया विरोधी दवा (antimalarial medication) लेनी चाहिए.

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