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दूसरे जिलों के डॉक्टरों को इंदौर भेजे जाने की याचिका पर सुनवाई, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मांगा जवाब - लॉकडाउन

दूसरे जिलों के डॉक्टरों को इंदौर भेजे जाने को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता को इस संबंध में दिशा निर्देश प्राप्त कर पक्ष रखने के आदेश दिये हैं.

Madhya Pradesh High Court
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
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Published : May 21, 2020, 12:07 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दूसरे जिलों के डॉक्टरों को इंदौर भेजे जाने को चुनौती दी गई है. जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ के सामने 9 डॉक्टर्स की ओर से दायर याचिका में वीडियो कॉफ्रेसिंग के जरिए सुनवाई हुई, जिस पर न्यायालय ने शासकीय अधिवक्ता को इस संबंध में दिशा निर्देश प्राप्त कर पक्ष रखने के आदेश दिये हैं. एकल पीठ ने मामले की अगली सुनवाई जून महीने के पहले सप्ताह में निर्धारित की है.

यह याचिका बैतूल जिला अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर के पद पर पदस्थ डॉ. जगदीश घोरे और 8 अन्य की ओर से दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि प्रदेश शासन ने 11 अप्रैल 2020 को प्रदेश के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में पदस्थ कुल 32 डॉक्टरों का ट्रांसफर इंदौर किया है, ताकि वे वहां पर कोरोना के मरीजों का इलाज कर सकें. मामले में आरोप है कि इस आदेश के बाद सात डॉक्टरों की डयूटी तो निरस्त कर दी गई, लेकिन शेष डॉक्टरों को अभी भी बिना आराम दिए ड्यूटी कराई जा रही, जो अवैधानिक है. सुनवाई के बाद न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये है.

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दूसरे जिलों के डॉक्टरों को इंदौर भेजे जाने को चुनौती दी गई है. जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ के सामने 9 डॉक्टर्स की ओर से दायर याचिका में वीडियो कॉफ्रेसिंग के जरिए सुनवाई हुई, जिस पर न्यायालय ने शासकीय अधिवक्ता को इस संबंध में दिशा निर्देश प्राप्त कर पक्ष रखने के आदेश दिये हैं. एकल पीठ ने मामले की अगली सुनवाई जून महीने के पहले सप्ताह में निर्धारित की है.

यह याचिका बैतूल जिला अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर के पद पर पदस्थ डॉ. जगदीश घोरे और 8 अन्य की ओर से दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि प्रदेश शासन ने 11 अप्रैल 2020 को प्रदेश के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में पदस्थ कुल 32 डॉक्टरों का ट्रांसफर इंदौर किया है, ताकि वे वहां पर कोरोना के मरीजों का इलाज कर सकें. मामले में आरोप है कि इस आदेश के बाद सात डॉक्टरों की डयूटी तो निरस्त कर दी गई, लेकिन शेष डॉक्टरों को अभी भी बिना आराम दिए ड्यूटी कराई जा रही, जो अवैधानिक है. सुनवाई के बाद न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये है.

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