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गहरे सन्नाटे में समां गई संस्कारधानी, कब छटेंगे संकट के बादल ?

संस्कारधानी के नाम से मशहूर जबलपुर उत्सवों को मनाने के लिए जानी जाती है. लेकिन कोरोना के काल में पूरे शहर में एक भयंकर सन्नाटा पसरा हुआ है. देखें ये रिपोर्ट.

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Published : May 7, 2020, 4:49 PM IST

Updated : May 7, 2020, 6:19 PM IST

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संस्कारधानी में सन्नाटा

जबलपुर। सालों से शहर कभी इतना शांत नहीं रहा. इसमें साल भर हर दिन कुछ ना कुछ हलचल होती रही, लेकिन कोरोना वायरस ने संस्कारधानी की तस्वीर ही बदल कर रख दी. नगर निगम जिसमें लगभग 24 घंटे कुछ ना कुछ होता रहता था, वहां सन्नाटा है. शाम होते ही, यहां सब कुछ थम जाता है. जबलपुर स्टेशन जहां लगभग हर 15 मिनट में एक ट्रेन थी. हजारों लोग रोज आते-जाते थे. पूरी रात ट्रेनों के आवाजाही की अनाउंसमेंट की आवाज इलाके में गूंजती रहती थीं, इंजन हॉर्न देते थे, पर अब यहां दूर-दूर तक कोई शोर नहीं, कोई आदमी नहीं, सिर्फ इमारतें हैं. दूधिया रोशनी है और शांति छाई हुई है. बाहर पुराने जमाने की छोटी लाइन का भाप का इंजन लोगों के देखने के लिए रखा गया था. अब यह तो पहले से ही रोका था, बाकी के बिजली के इंजन भी यार्ड में खड़े हैं.

संस्कारधानी में सन्नाटा
शहर के पुराने राजा गोकुलदास का महल जो धर्मशाला बना दिया गया था. उसे दोबारा महल की शक्ल जरूर दी जा रही है. लेकिन धर्मशाला में अब कोई नहीं रुकता. पहले यहां बाहर से आने वाले यात्री बहुत कम पैसे में रुक जाया करते थे. माल गोदाम चौराहा जहां दिनभर लाल और पीली बत्तियां आती-जाती रहती थीं, क्योंकि सारे प्रशासनिक बड़े ऑफिस और हाईकोर्ट इसी चौराहे के इर्द-गिर्द हैं, लेकिन अब यहां सब शांत है.
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नगर निगम कार्यालय
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केंट एरिया

भंवरताल गार्डन जहां 1 दिन में करीब 5 हजार लोग तक जाया करते थे, कई-कई दिनों तो यहां एंट्री नहीं मिल पाती थी. यहां फूल-पत्ते सब सुरक्षित हैं. सुंदरता और निखर गई है. गर्मियों में तो यहां भीड़ और ज्यादा होती थी, लेकिन अब यहां कोई नहीं आता-जाता. कई दिनों से तो मुख्य दरवाजे का ताला तक नहीं खुला है. चंद माली आते हैं जो पेड़-पौधों को पानी देकर चले जाते हैं.

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घंटाघर
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रेलवे स्टेशन
जबलपुर कैंट में जगह-जगह सेना की रिटायर तोपें रखी हुई हैं. वीरता के इन हथियारों के साथ लोग दिनभर सेल्फी खींचते हुए नजर आते थे. यह तो अभी भी वही रखी हैंं, लेकिन अब यहां भी सन्नाटा पसरा हुआ है.पूरे शहर का यही हाल है, रात होते ही शहर की खूबसूरत सड़कें, डरावनी लगने लग रही हैं. सड़क पर केवल पुलिस और एंबुलेंस का आना जाना देखकर एक अजीब सा माहौल बन गया है. संस्कारधानी के नाम से मशहूर इस शहर में एक बार फिर वह त्योहारों की गूंज कब सुनाई देगी फिलहाल तो इस बारे में कुछ कह पाना संभव नहीं है. लेकिन कोरोना काल में शहर में गहरा सन्नाटा छाया हुआ है.
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भाप इंजन
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भंवरताल गार्डन

जबलपुर। सालों से शहर कभी इतना शांत नहीं रहा. इसमें साल भर हर दिन कुछ ना कुछ हलचल होती रही, लेकिन कोरोना वायरस ने संस्कारधानी की तस्वीर ही बदल कर रख दी. नगर निगम जिसमें लगभग 24 घंटे कुछ ना कुछ होता रहता था, वहां सन्नाटा है. शाम होते ही, यहां सब कुछ थम जाता है. जबलपुर स्टेशन जहां लगभग हर 15 मिनट में एक ट्रेन थी. हजारों लोग रोज आते-जाते थे. पूरी रात ट्रेनों के आवाजाही की अनाउंसमेंट की आवाज इलाके में गूंजती रहती थीं, इंजन हॉर्न देते थे, पर अब यहां दूर-दूर तक कोई शोर नहीं, कोई आदमी नहीं, सिर्फ इमारतें हैं. दूधिया रोशनी है और शांति छाई हुई है. बाहर पुराने जमाने की छोटी लाइन का भाप का इंजन लोगों के देखने के लिए रखा गया था. अब यह तो पहले से ही रोका था, बाकी के बिजली के इंजन भी यार्ड में खड़े हैं.

संस्कारधानी में सन्नाटा
शहर के पुराने राजा गोकुलदास का महल जो धर्मशाला बना दिया गया था. उसे दोबारा महल की शक्ल जरूर दी जा रही है. लेकिन धर्मशाला में अब कोई नहीं रुकता. पहले यहां बाहर से आने वाले यात्री बहुत कम पैसे में रुक जाया करते थे. माल गोदाम चौराहा जहां दिनभर लाल और पीली बत्तियां आती-जाती रहती थीं, क्योंकि सारे प्रशासनिक बड़े ऑफिस और हाईकोर्ट इसी चौराहे के इर्द-गिर्द हैं, लेकिन अब यहां सब शांत है.
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नगर निगम कार्यालय
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केंट एरिया

भंवरताल गार्डन जहां 1 दिन में करीब 5 हजार लोग तक जाया करते थे, कई-कई दिनों तो यहां एंट्री नहीं मिल पाती थी. यहां फूल-पत्ते सब सुरक्षित हैं. सुंदरता और निखर गई है. गर्मियों में तो यहां भीड़ और ज्यादा होती थी, लेकिन अब यहां कोई नहीं आता-जाता. कई दिनों से तो मुख्य दरवाजे का ताला तक नहीं खुला है. चंद माली आते हैं जो पेड़-पौधों को पानी देकर चले जाते हैं.

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घंटाघर
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रेलवे स्टेशन
जबलपुर कैंट में जगह-जगह सेना की रिटायर तोपें रखी हुई हैं. वीरता के इन हथियारों के साथ लोग दिनभर सेल्फी खींचते हुए नजर आते थे. यह तो अभी भी वही रखी हैंं, लेकिन अब यहां भी सन्नाटा पसरा हुआ है.पूरे शहर का यही हाल है, रात होते ही शहर की खूबसूरत सड़कें, डरावनी लगने लग रही हैं. सड़क पर केवल पुलिस और एंबुलेंस का आना जाना देखकर एक अजीब सा माहौल बन गया है. संस्कारधानी के नाम से मशहूर इस शहर में एक बार फिर वह त्योहारों की गूंज कब सुनाई देगी फिलहाल तो इस बारे में कुछ कह पाना संभव नहीं है. लेकिन कोरोना काल में शहर में गहरा सन्नाटा छाया हुआ है.
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भाप इंजन
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भंवरताल गार्डन
Last Updated : May 7, 2020, 6:19 PM IST
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