जबलपुर। राज्य सरकार और शराब ठेकेदार के बीच विवाद धीरे-धीरे गरमाता जा रहा है. लॉकडाउन के बीच सरकार के निर्देश को मानते हुए शराब ठेकेदारों ने दुकानें तो खोली, लेकिन शराब ठेकेदारों ने कम बिक्री का हवाला देते हुए इसे अपना नुकसान बताया. वहीं अब ठेकेदारों ने सरकार को अपनी सुविधा का अल्टीमेटम देते हुए 594 करोड़ की शराब दुकानें बंद कर दी हैं.
जबलपुर में करीब डेढ़ सौ देसी अंग्रेजी-शराब की दुकानें हैं और इन परिस्थितियों में ठेकेदारों को घाटा भी हो रहा था, जिसके चलते ठेकेदारों ने आज से सभी शराब दुकानों को बंद कर दिया है. शराब ठेकेदार बिट्टू सहगल ने बताया कि सरकार से हमारी हर स्तर पर बात हुई, लेकिन सारी बैठक बिना नतीजे की ही रही. यही वजह है कि अब दुकान बंद करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि शराब बेचने को लेकर सरकार कोई निष्कर्ष नहीं निकाल पा रही है.
हाल ही में एक हाई पॉवर कमेटी की बैठक भी हुई, लेकिन वो भी बैठक विफल रही. शराब विक्रेताओं के मुताबिक जो राहत वे सरकार से चाह रहे थे उन्हें नहीं दी जा ही है. जिसके चलते शराब ठेकेदारों को घाटे में शराब बेचना पड़ रही है. वहीं जो सरकार के पास 33 करोड़ रुपए जमा हैं वह भी अब राजसात होते नजर आ रहा हैं.
सरकार की धमकी से भी शराब ठेकेदार परेशान
शराब ठेकेदार का आरोप है कि सरकार की बात मानकर उन्होंने लॉकडाउन में शराब बेची. इसके बाद भी शराब मे नुकसान हो रहा है और सरकार है कि धमकी देकर दुकानें खुलवा रही है. ऐसे में अगर हम सरकार की बात नहीं मानते हैं तो ब्लैक लिस्ट करने की बात कही जा रही है. इसके साथ ही बाकी की रकम जबरन वसूली की बात भी सरकार कह रही है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते बार-अहाते बंद हैं, कोई कार्यक्रम नहीं हो रहा है.
धारा 144 के कारण लोग घरों में हैं और शराब ठेकेदारों को बोला जा रहा है कि दुकान खोली जाएं. यह रवैया सरकार का ठेकेदारों के प्रति ठीक नहीं है. यही कारण है कि अब शराब दुकान न खोले जाने का निर्णय लिया गया है.