जबलपुर| स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से कोई व्यक्ति जुड़ा है, या इससे जुड़ी कोई गतिविधि कर रहा है तो वह गैरकानूनी माना जाता है. सिमी पर लगे प्रतिबंध को जारी रखने या खत्म करने को लेकर एक ट्रिब्यूनल बना है, जो सिमी से जुड़ी गतिविधियों को सुनता है, उसके बाद उनकी गतिविधियों का परीक्षण करने के बाद तय करता है कि इस संगठन पर प्रतिबंध जारी रहना चाहिए या हटाना चाहिए.
विधि विरुद्ध क्रियाकलाप प्राधिकरण की अध्यक्ष और दिल्ली हाई कोर्ट की जज मुक्ता गुप्ता जबलपुर पहुंची. जबलपुर में एक अस्थाई अदालत बनाकर सिमी से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई की जा रही है. इस अदालत में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के पुलिस अधिकारी जिन्होंने सिमी से जुड़े मामलों की जांच की है, उन्हें बुलाया गया है. इसमें खंडवा में सिमी कार्यकर्ताओं की जेल से भागने की घटना और खंडवा में ही सिमी कार्यकर्ताओं के एनकाउंटर के मामले भी शामिल हैं.
इन मामलों से जुड़े पुलिस अधिकारियों ने प्राधिकरण के सामने अपनी फाइल पेश की. साथ ही मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के कई छोटे-छोटे मामले भी सामने आए हैं. इसके अलावा आम जनता से भी अपील की गई है कि यदि उनके पास सिमी से जुड़ी कोई जानकारी है तो वो प्राधिकरण के सामने रख सकते हैं.
बता दें, सिमी पर पहले 2 साल का प्रतिबंध था. हर 2 साल में इसे बढ़ाया जाता है, लेकिन अब इसको 5 साल तक के लिए बढ़ा दिया गया है. प्राधिकरण सिमी से जुड़े तथ्यों को इकट्ठा करने के बाद ये तय करेगा कि प्रतिबंध जारी रहना चाहिए या इसे खत्म कर देना चाहिए. फिलहाल जो जानकारियां मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से प्राधिकरण के सामने आई हैं, उनसे प्रतिबंध समाप्त होने की संभावना कम ही लग रही है.