जबलपुर। भेड़ाघाट विकास योजना का लैंड यूज मैप तथा डेवलपपेंट ड्राफ्ट तैयार होने के बावजूद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने भूमि मद परिवर्तित करने के आदेश जारी किए थे. इसके खिलाफ राज्य सरकार ने अपील दायर की. जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ ने एकलपीठ के आदेश को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि विकास योजना के तहत चयनित किये गये क्षेत्र का लैंड यूज मैप तथा डेवलपमेंट ड्राफ्ट तैयार होने के बाद भूमि पद परिवर्तित नहीं किया जा सकता.
राज्य सरकार ने दायर की याचिका : राज्य सरकार की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि भेड़ाघाट पर्यटन तथा पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है. क्षेत्र को विकसित करते के लिए भेड़ाघाट विकास योजना के तहत विशेष क्षेत्र को चयनित किया गया था. कानूनी प्रक्रिया का पालन करने हुए चयनित क्षेत्र का लैंड यूज मैप तथा डेवलपमेंट ड्राफ्ट तैयार किया गया था. अनावेदक ने चयनित क्षेत्र की एक जमीन कृषि खरीदने का एग्रीमेंट भूमि स्वामी से किया था. इसके बाद भूमि स्वामी तथा एग्रीमेंट करने वाले अनावेदक व्यक्ति ने टीएंडसीपी में भूमि मद कृषि से आवासीय करने आवेदन दिया था.
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एकलपीठ के आदश को बदला : आवेदन खारिज होने के बाद सक्षम प्राधिकरणों में अपील दायर की गई थी. अपील खारिज होने के बाद एग्रींमेंट करने वाले अनावेदक ने हाईकोर्ट में अपील दायर की. जिसकी सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने उसके पक्ष में आदेश पारित किया. भूमि मालिक के आवेदन पर संभागायुक्त ने पुनः सुनवाई के निर्देश दिये थे. एकलपीठ के उक्त आदेश के खिलाफ उक्त अपील दायर की गयी. शासन की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता सुयश ठाकुर ने युगलपीठ को बताया कि विकास योजना के तहत भूमि मद परिवर्तित करने का अधिकार टीएंडसीपी के डायरेक्टर को है. भूमि विकास अधिनियम चयनित क्षेत्र के लिए लागू नहीं होता.