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क्या इन स्कूलों के जरिये ड्राइविंग सीखना सेफ? - driving schools in jabalpur

दिनों दिन दुनिया आधुनकिता की राह पर आगे बढ़ रही है. सबको मार्डन बनना है. मार्डन बनने की चाह में मध्य प्रदेश के महानगरों में लगतार फोर व्हीलर का क्रेज बढ़ा है, जिस कारण कमाई के कई ड्राइविंग स्कूल खोल दिए गए हैं. लेकिन क्या इन ड्राइविंग स्कूलों से ड्राइविंग सीखना सही है? पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

driving school
ड्राइविंग स्कूल
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Published : Feb 1, 2021, 7:46 PM IST

जबलपुर। प्रदेश के महानगरों में लगतार जिस तरह से कार (फोर व्हीलर) को लेकर क्रेज बढ़ा है, उसकी वजह से कारों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में लोगों में कार सीखने का चलन भी बढ़ गया है. यही कारण है कि लोगों को कार सिखाने के लिए प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में अधिकृत और अनधिकृत ड्राइविंग स्कूल तेजी से खुल रहे हैं. शहर में फिलहाल सैकड़ों ड्राइविंग स्कूल संचालित हो रहे हैं, लेकिन परिवहन विभाग से पंजीकृत ड्राइविंग स्कूलों में महज चंद ही नाम शामिल हैं. इसके बावजूद अनाधिकृत स्कूल में कार्रवाई के नाम पर परिवहन और पुलिस विभाग खामोश बैठा हुआ है.

स्कूलों के जरिये ड्राइविंग सीखना सेफ?

ड्राइविंग सीखने वालों से वसूली जाती है मोटी रकम

जबलपुर शहर में चल रहे अधिकृत और अनाधिकृत ड्राइविंग स्कूल कार सिखाने के लिए उपभोक्ताओं से मोटी रकम वसूलते हैं. जानकारी के मुताबिक ड्राइविंग स्कूल संचालक उपभोक्ताओं को भरोसा दिलाते हैं कि एक सप्ताह या ज्यादा से ज्यादा 10 दिन के अंदर उनको कार चलाना सिखा दिया जाएगा. इसकी फीस दो हजार रुपए से शुरू होती है जो कि सात हजार रुपए तक होती है.

वहीं दूसरी ओर ड्राइविंग स्कूल संचालक के पास कार सिखाने के लिए ट्रैक और कंप्यूटर युक्त सिम्युलेटर होना जरूरी होता है. अगर नियम की बात की जाए तो जबलपुर में महज एक या दो ड्राइविंग स्कूल ऐसे हैं, जहां पर कंप्यूटर युक्त सिम्युलेटर का उपयोग किया जाता है. जबकि बाकी के ड्राइविंग स्कूल बीच सड़क पर ही नए चालकों को कार का स्टेयरिंग थमा देते हैं. इस कारण कई दफा दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं.

खटारा वाहनों में सिखाई जा रही है ड्राइविंग

किसी भी ड्राइविंग स्कूल को खोलने के लिए परिवहन विभाग के कुछ नियम भी होते हैं, जिन्हें समय-समय पर परिवहन विभाग और पुलिस को चेक भी करना होता है. लेकिन जबलपुर में बीते कई महीनों से न ही परिवहन विभाग ने इस ओर ध्यान दिया और न ही कभी पुलिस ने चेक करने की जहमत उठाई. यही कारण है कि जबलपुर में ड्राइविंग स्कूलो में कई तरह की खामियां भी उजागर हुई हैं. कई बार देखा गया है कि खटारा वाहनों में भी नए चालकों को ड्राइविंग सिखाई जा रही है. इस पर स्कूल संचालकों का कहना है कि वे परिवहन और पुलिस विभाग के मापदंडों का पालन करने की हमेशा से कोशिश करते हैं.

पढे़ं- एमपी में जल्द कमर्शियल वाहन चलाती नजर आएंगी महिलाएं

ड्राइविंग स्कूलों के पास न तो ट्रैक और न ही एक्सपर्ट

मोटी रकम वसूलने वाले ये स्कूल परिवहन विभाग के नियमों को कभी पूरा नहीं करते. ड्राइविंग स्कूल के लिए ट्रैक और एक्सपर्ट होना जरूरी है लेकिन जबलपुर में यह कहीं नजर नहीं आता है. कार सिखाने वालों को स्कूल संचालक भीड़भाड़ वाली सड़क पर ही स्टेयरिंग देकर उतार दिया करते हैं.

बीते कई महीनों से परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस ने ड्राइविंग स्कूल चेकिंग करने की जहमत भी नहीं उठाई है. यह भी देखा गया है कि कुछ स्कूल संचालक तो बिना प्रशिक्षण के ही प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं. जब पुलिस अधिकारियों को इस बारे में जानकारी दी तो उन्होंने भी माना की अनदेखी के चलते अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा था. लेकिन अब परिवहन विभाग के साथ मिलकर पुलिस ड्राइविंग स्कूलों की जांच करवाएगी.

पढ़ें- भोपाल में अश्वमेघ यज्ञ वाहन की शुरुआत, करेगा यातायात नियमों के प्रति जागरूक

क्षेत्रीय परिवहन विभाग के मुताबिक जबलपुर जिले में सिर्फ 27 ड्राइविंग स्कूलों को ही लाइसेंस दिया गया है. नियमों के मुताबिक हर 5 साल में लाइसेंस का नवीनीकरण कराना भी जरुरी होता है, जिसकी लाइसेंस फीस पांच हजार रुपए होती है. कमर्शियल वाहन को चलाने के लिए लाइसेंस आवेदन के साथ ड्राइविंग स्कूल का प्रमाण पत्र होना भी अनिवार्य है.

ड्राइविंग स्कूल खोलने के ये हैं नियम

  • परिवहन विभाग से जारी होना चाहिए लाइसेंस
    driving school
    ड्राइविंग स्कूल खोलने के नियम
  • प्रशिक्षण देने के लिए मोटर इंजीनियरिंग कर चुका हो प्रशिक्षक
    driving school
    ड्राइविंग स्कूल खोलने के नियम
  • वाहन सिखाने के लिए 5 साल कमर्शियल वाहन चला चुका हो प्रशिक्षक
    driving school
    ड्राइविंग स्कूल खोलने के नियम
  • अनुभवी चालक के पास खुद का होना चाहिए एक वाहन
    driving school
    ड्राइविंग स्कूल खोलने के नियम
  • वाहन में दोहरे नियंत्रण की हो सुविधा
    driving school
    ड्राइविंग स्कूल खोलने के नियम

प्रशिक्षण के लिए आवश्यक मॉडल संकेत

  • यातायात चिन्ह
  • वाहन के सभी पार्ट्स वाला चार्ट लगा हो
  • मोटरयान का इंजन, गियर बॉक्स, टायर पंचर किट, व्हीलबेस जैक-स्पिनर
  • परिसर में आपात स्थिति के लिए फर्स्ट एड बॉक्स
  • परिसर में ट्रैफिक संकेतक युक्त ट्रैक

इनके नाम पर है जबलपुर में ड्राइविंग स्कूल के लाइसेंस

  • प्रकाश चंद, संजीवनी नगर
  • गढ़ा गोविंद सिंह, अधारताल
  • गायत्री शिक्षा कल्याण समिति
  • पंचशील मोटर ड्राइविंग स्कूल
  • जगदीश प्रसाद, राइट टाउन
  • सदर ड्राइविंग लाइसेंस
  • रामलीला स्कूल
  • निकिता मोटर ड्राइविंग स्कूल, सदर
  • राजेंद्र मोटर ड्राइविंग स्कूल, गोहलपुर
  • बेंजामिन ओ प्राइम जोगनी, एकता मार्केट
  • मारुति ड्राइविंग स्कूल
  • कमलेश शर्मा, कांचघर लालमाटी
  • शुभ मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, महानद्दा
  • आनंद कोरी, धनवंतरी नगर
  • मोनिका पाल गोविंद भवन, सिविल लाइन
  • राजेंद्र तिवारी रद्दी चौकी
  • अजय विश्वकर्मा, धनवंतरी नगर
  • मुकेश पटेल, दमोहनाका
  • राजेश विश्वकर्मा, गुप्तेश्वर
  • संजय चंद्रवंशी, न्यू शास्त्रीनगर
  • विनोद अग्निहोत्री, विजयनगर
  • सोसाइटी ऑफ अशोक लीलैंड
  • श्री साईं ड्राइविंग स्कूल, रांझी
  • विजय मोटर्स ड्राइविंग स्कूल

जबलपुर। प्रदेश के महानगरों में लगतार जिस तरह से कार (फोर व्हीलर) को लेकर क्रेज बढ़ा है, उसकी वजह से कारों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में लोगों में कार सीखने का चलन भी बढ़ गया है. यही कारण है कि लोगों को कार सिखाने के लिए प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में अधिकृत और अनधिकृत ड्राइविंग स्कूल तेजी से खुल रहे हैं. शहर में फिलहाल सैकड़ों ड्राइविंग स्कूल संचालित हो रहे हैं, लेकिन परिवहन विभाग से पंजीकृत ड्राइविंग स्कूलों में महज चंद ही नाम शामिल हैं. इसके बावजूद अनाधिकृत स्कूल में कार्रवाई के नाम पर परिवहन और पुलिस विभाग खामोश बैठा हुआ है.

स्कूलों के जरिये ड्राइविंग सीखना सेफ?

ड्राइविंग सीखने वालों से वसूली जाती है मोटी रकम

जबलपुर शहर में चल रहे अधिकृत और अनाधिकृत ड्राइविंग स्कूल कार सिखाने के लिए उपभोक्ताओं से मोटी रकम वसूलते हैं. जानकारी के मुताबिक ड्राइविंग स्कूल संचालक उपभोक्ताओं को भरोसा दिलाते हैं कि एक सप्ताह या ज्यादा से ज्यादा 10 दिन के अंदर उनको कार चलाना सिखा दिया जाएगा. इसकी फीस दो हजार रुपए से शुरू होती है जो कि सात हजार रुपए तक होती है.

वहीं दूसरी ओर ड्राइविंग स्कूल संचालक के पास कार सिखाने के लिए ट्रैक और कंप्यूटर युक्त सिम्युलेटर होना जरूरी होता है. अगर नियम की बात की जाए तो जबलपुर में महज एक या दो ड्राइविंग स्कूल ऐसे हैं, जहां पर कंप्यूटर युक्त सिम्युलेटर का उपयोग किया जाता है. जबकि बाकी के ड्राइविंग स्कूल बीच सड़क पर ही नए चालकों को कार का स्टेयरिंग थमा देते हैं. इस कारण कई दफा दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं.

खटारा वाहनों में सिखाई जा रही है ड्राइविंग

किसी भी ड्राइविंग स्कूल को खोलने के लिए परिवहन विभाग के कुछ नियम भी होते हैं, जिन्हें समय-समय पर परिवहन विभाग और पुलिस को चेक भी करना होता है. लेकिन जबलपुर में बीते कई महीनों से न ही परिवहन विभाग ने इस ओर ध्यान दिया और न ही कभी पुलिस ने चेक करने की जहमत उठाई. यही कारण है कि जबलपुर में ड्राइविंग स्कूलो में कई तरह की खामियां भी उजागर हुई हैं. कई बार देखा गया है कि खटारा वाहनों में भी नए चालकों को ड्राइविंग सिखाई जा रही है. इस पर स्कूल संचालकों का कहना है कि वे परिवहन और पुलिस विभाग के मापदंडों का पालन करने की हमेशा से कोशिश करते हैं.

पढे़ं- एमपी में जल्द कमर्शियल वाहन चलाती नजर आएंगी महिलाएं

ड्राइविंग स्कूलों के पास न तो ट्रैक और न ही एक्सपर्ट

मोटी रकम वसूलने वाले ये स्कूल परिवहन विभाग के नियमों को कभी पूरा नहीं करते. ड्राइविंग स्कूल के लिए ट्रैक और एक्सपर्ट होना जरूरी है लेकिन जबलपुर में यह कहीं नजर नहीं आता है. कार सिखाने वालों को स्कूल संचालक भीड़भाड़ वाली सड़क पर ही स्टेयरिंग देकर उतार दिया करते हैं.

बीते कई महीनों से परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस ने ड्राइविंग स्कूल चेकिंग करने की जहमत भी नहीं उठाई है. यह भी देखा गया है कि कुछ स्कूल संचालक तो बिना प्रशिक्षण के ही प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं. जब पुलिस अधिकारियों को इस बारे में जानकारी दी तो उन्होंने भी माना की अनदेखी के चलते अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा था. लेकिन अब परिवहन विभाग के साथ मिलकर पुलिस ड्राइविंग स्कूलों की जांच करवाएगी.

पढ़ें- भोपाल में अश्वमेघ यज्ञ वाहन की शुरुआत, करेगा यातायात नियमों के प्रति जागरूक

क्षेत्रीय परिवहन विभाग के मुताबिक जबलपुर जिले में सिर्फ 27 ड्राइविंग स्कूलों को ही लाइसेंस दिया गया है. नियमों के मुताबिक हर 5 साल में लाइसेंस का नवीनीकरण कराना भी जरुरी होता है, जिसकी लाइसेंस फीस पांच हजार रुपए होती है. कमर्शियल वाहन को चलाने के लिए लाइसेंस आवेदन के साथ ड्राइविंग स्कूल का प्रमाण पत्र होना भी अनिवार्य है.

ड्राइविंग स्कूल खोलने के ये हैं नियम

  • परिवहन विभाग से जारी होना चाहिए लाइसेंस
    driving school
    ड्राइविंग स्कूल खोलने के नियम
  • प्रशिक्षण देने के लिए मोटर इंजीनियरिंग कर चुका हो प्रशिक्षक
    driving school
    ड्राइविंग स्कूल खोलने के नियम
  • वाहन सिखाने के लिए 5 साल कमर्शियल वाहन चला चुका हो प्रशिक्षक
    driving school
    ड्राइविंग स्कूल खोलने के नियम
  • अनुभवी चालक के पास खुद का होना चाहिए एक वाहन
    driving school
    ड्राइविंग स्कूल खोलने के नियम
  • वाहन में दोहरे नियंत्रण की हो सुविधा
    driving school
    ड्राइविंग स्कूल खोलने के नियम

प्रशिक्षण के लिए आवश्यक मॉडल संकेत

  • यातायात चिन्ह
  • वाहन के सभी पार्ट्स वाला चार्ट लगा हो
  • मोटरयान का इंजन, गियर बॉक्स, टायर पंचर किट, व्हीलबेस जैक-स्पिनर
  • परिसर में आपात स्थिति के लिए फर्स्ट एड बॉक्स
  • परिसर में ट्रैफिक संकेतक युक्त ट्रैक

इनके नाम पर है जबलपुर में ड्राइविंग स्कूल के लाइसेंस

  • प्रकाश चंद, संजीवनी नगर
  • गढ़ा गोविंद सिंह, अधारताल
  • गायत्री शिक्षा कल्याण समिति
  • पंचशील मोटर ड्राइविंग स्कूल
  • जगदीश प्रसाद, राइट टाउन
  • सदर ड्राइविंग लाइसेंस
  • रामलीला स्कूल
  • निकिता मोटर ड्राइविंग स्कूल, सदर
  • राजेंद्र मोटर ड्राइविंग स्कूल, गोहलपुर
  • बेंजामिन ओ प्राइम जोगनी, एकता मार्केट
  • मारुति ड्राइविंग स्कूल
  • कमलेश शर्मा, कांचघर लालमाटी
  • शुभ मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, महानद्दा
  • आनंद कोरी, धनवंतरी नगर
  • मोनिका पाल गोविंद भवन, सिविल लाइन
  • राजेंद्र तिवारी रद्दी चौकी
  • अजय विश्वकर्मा, धनवंतरी नगर
  • मुकेश पटेल, दमोहनाका
  • राजेश विश्वकर्मा, गुप्तेश्वर
  • संजय चंद्रवंशी, न्यू शास्त्रीनगर
  • विनोद अग्निहोत्री, विजयनगर
  • सोसाइटी ऑफ अशोक लीलैंड
  • श्री साईं ड्राइविंग स्कूल, रांझी
  • विजय मोटर्स ड्राइविंग स्कूल
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